RANCHI : रांची समेत पूरे झारखंड में रियल इस्टेट रेग्यूलेटरी एक्ट (रेरा) के फेरे से बिल्डर्स और डेवलपर्स बाहर नहीं आ पा रहे हैं। झारखंड में इस एक्ट के लागू हुए चार माह से ज्यादा हो चुके हैं। इसके तहत 539 बिल्डर्स ने आवेदन दिया है, लेकिन किसी को अबतक रजिस्ट्रेशन नंबर अलॉट नहीं हो सका है। ऐसे में बिल्डर्स इसे लेकर काफी कंफ्यूजन में हैं कि वे अपने नए प्रोजेक्ट को कैसे शुरू करें। इतना ही नहीं, इस एक्ट में पुराने अपार्टमेंट व कंस्ट्रक्शन का भी ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट देना है, जो उन्हें और परेशान कर रहा है। वे यह नहीं समझ पा रहे हैं कि पुराने कंस्ट्रक्शन का आक्यूपेंसी कहां से लाएं।

अपना दफ्तर भी नहीं

रेरा में कई पेंच हैं, जिससे बिल्डर्स को निजात दिलाने के लिए सरकार के स्तर पर कोई पहल नहीं हो रही है। एक्ट के लागू होने के चार माह बाद भी इसका दफ्तर तक नहीं खुल सका है। इससे संबंधित जानकारी देने के लिए न तो कई स्टाफ है और न ही इंफ्रास्ट्रक्चर मौजूद है। फिलहाल जुडको के रिसेप्शन काउंटर पर आवेदन लिए जा रहे हैं। लेकिन, यहां यह बताने वाला कोई नहीं है कि उनका रजिस्ट्रेशन कब तक होगा।

जारी है आवेदन लेने की प्रक्रिया

इस साल 27 जुलाई को रेरा के लागू होने के बाद से ही बिल्डर्स और डेवलपर्स से रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन लिए जा रहे हैं। रेरा के ओएसडी गजानंद राम ने बताया कि आगे भी आवेदन जमा लेने की प्रक्रिया जारी रहेगी। सभी बिल्डर्स को हर हाल में अपने प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराना है, अन्यथा उनके खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है।

एक्ट को लेकर कंफ्यूजन बरकरार

रेरा के तहत रजिस्ट्रेशन कराना अब कंपल्सरी है, इस बात से बिल्डर्स भली-भांति वाकिफ हैं, लेकिन इस एक्ट के बारे में उन्हें डिटेल जानकारी नहीं है। एक्ट लागू होने के चार माह बाद भी बिल्डर्स के बीच इस एक्ट को लेकर कंफ्यूजन बरकरार है। लेकिन, सरकार की ओर से इस बाबत जानकारी देने के लिए किसी तरह की पहल नहीं की जा रही है। सिर्फ उनसे आवेदन लिए जा रहे हैं।