- घाटे में चल रहे 10 पब्लिक सेक्टर बैंक के स्टॉफ की सुविधाएं होंगी कम

- बैंक यूनियन्स पीएसबी के साथ एमओयू पर सिग्नेचर करने को तैयार नहीं

<- घाटे में चल रहे क्0 पब्लिक सेक्टर बैंक के स्टॉफ की सुविधाएं होंगी कम

- बैंक यूनियन्स पीएसबी के साथ एमओयू पर सिग्नेचर करने को तैयार नहीं

BAREILLY:

BAREILLY:

नॉन परफॉर्मिग असेट (एनपीए) में चल रहे पब्लिक सेक्टर के क्0 बड़े बैंक्स के स्टॉफ की सुविधाओं में कटौती होने वाली है। ऐसे बैंक्स की फाइनेंशियल कंडीशन डांवाडोल होने पर स्टाफ को शुरू से मिल रहे कई एक्स्ट्रा भत्ते खत्म किए होंगे। इन बैंक्सको फाइनेंशियल क्राइसिस से उबारने के लिए सरकार स्टाफ की सुविधाओं में कटौती करने पर गंभीरता से सोच रही है। इसके लिए सरकार ने देश के क्0 पब्लिक सेक्टर बैंक्स (पीएसबी) के चेयरमैन को निर्देश भी जारी कर दिए हैं। जिससे पीसीबी संबंधित संगठनों के साथ सहमति पत्र (एमओयू) पर सिग्नेचर करें। यदि सहमति बनती है, तो बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों को मिलनी वाली मेडिकल, न्यूज पेपर, चाय व फ्यूल सहित अन्य सुविधाओं वाले भत्ते जल्द खत्म हाे जाएंगे।

घाटे में चल रहे बैंक्स

देश के क्0 सबसे बड़े पब्लिक सेक्टर बैंक्स फिलहाल एनपीए की गंभीर स्थिति में हैं। इनमें यूको बैंक, यूनाइटेड बैंक, देना बैंक, सेंट्रल बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र, बैंक ऑफ इंडिया, इलाहाबाद बैंक, आंध्रा बैंक, इंडियन ओवरसीज बैंक और विजया बैंक शामिल हैं। इन बैंक्स ने अपने कंज्यूमर्स को बड़े अमाउंट वाले लोन बांट तो दिए, लेकिन उसकी रिकवरी नहीं कर पाए। इस वजह से बैंक घाटे में आ गए है। इसकी वजह से देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर हो रही है। ऐसे में सरकार ने स्टाफ की सुविधाओं को कम करने का फैसला लिया है। बैंक अधिकारियों व स्टाफ को ऐसी करीब 9 सुविधाएं मिलती हैं। इनमें घर की साफ-सफाई के साथ ही घूमने-फिरने, मेडिकल जांच, बच्चों की पढ़ाई, पैथोलॉजी टेस्ट, बिजनेस डेवलपमेंट, चाय और पेपर सहित अन्य सुविधाएं शाि1मल हैं।

बैंक यूनियन तैयार नहीं

हालांकि सरकार के इस फैसले से बैंक के अधिकारी और कर्मचारी यूनियन्स के पदाधिकारी सहमत नहीं है। देश में कर्मचारियों की ऑल इंडिया बैंक्स इम्प्लाइज एसोसिएशन, एआईबीईए और अधिकारियों की ऑल इंडिया बैंक्स ऑफिसर कॉन्फेडेरेशन, एआईबीओसी यूनियन है। इन दोनों ने ही बैंक्स के साथ एमओयू पर सिग्नेचर करने से साफ मना कर दिया है। यूनियन के पदाधिकारियों का कहना है कि एक तरफ सरकार अधिक से अधिक लोन बांटने का दबाव बनाती है। वहीं लोन माफ करने का फैसला भी उसी का होता है। ऐसे में, लोन की रिकवरी न हो पाने पर बैंक अधिकारियों व कर्मचारियों पर दोष मढ़ उनको मिलनी वाली सुविधाओं में कटौती करना उचित नहीं है।

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इन सुविधाओं में हो सकती है कटौती

- ब्0 लीटर फ्यूल हर महीने।

- ब्भ्0 रुपए हर महीने बिजनेस डेवलपमेंट में।

- ब्भ्0 रुपए हर महीने घर की साफ-सफाई।

- ख्00 रुपए हर महीने चाय।

- क्7भ् रुपए न्यूज पेपर।

- ख्,भ्00 रुपए हर साल मेडिकल चेकअप।

- ख्,000 बच्चों की फीस।

- ब्000 रुपए एसी ख् टियर प्रति वर्ष।

- ख्,000 पैथोलॉजी टेस्ट।

एनपीए कैसे कम हो सरकार को इस पर काम करना चाहिए। सुविधाओं की कटौती से कर्मचारियों की वर्किंग पर बुरा असर पड़ेगा। यूनियन्स के पदाधिकारियों ने एमओयू पर सिग्नेचर करने से मना कर दिया है।

संजीव मेहरोत्रा, सहायक महामंत्री, यूपीबीईयू