ब्याज दरों में कटौती की मांग

सूत्रों की मानें तो भारत में कारपोरेट जगत सरकार के एजेंडे का खुलकर समर्थन नहीं कर रहा है। जिससे केंद्र सरकार की देश मे व्यापार व अर्थिक गतिविधियां गति नहीं पकड़ पा रहा रही हैं। सबसे खास बात तो हाल ही में सरकार ने इस दिशा में कारपोरेट जगत की बड़ी हस्ितयों के साथ बैठक भी की थी। बावजूद इसके इसका उम्मीदों के मुताबिक रिस्पांस न मिलने की खबरें आ रही हैं। गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कॉरपोरेट इंडिया को हाल ही में ज्यादा रिस्क लेकर निवेश बढ़ाने की सलाह दी थी, वहीं दूसरी तरफ इंडस्ट्री के दिग्गजों ने मोदी से ब्याज दरों में कटौती की मांग की थी। बड़े कारोबारी दिग्गजों ने देश में आसानी से कारोबार करने के लिए माहौल बनाने के लिए भी कहा था। प्रधानमंत्री ने अर्थव्यवस्था से चिंतित होकर मंगलवार को कॉरपोरेट इंडिया की बैठक बुलाई थी।बैठक में रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, टाटा ग्रुप के प्रमुख सायरस मिस्त्री, आदित्य बिड़ला ग्रुप के प्रमुख कुमार मंगलम बिड़ला, भारती एयरटेल के सुनील भारती मित्तल शामिल थे।

लोग रिस्क लेकर निवेश करेंगे

प्रधानमंत्री से बैठक के बाद सीआईआई के प्रेसीडेंट सुमित मजूमदार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने इंडस्ट्री को ज्यादा रिस्क लेकर निवेश बढ़ाने के लिए कहा था। फिक्की की प्रेसीडेंट ज्योत्सना सूरी के मुताबिक प्रधानंमत्री ने कहा कि हमारे सामने एक अवसर है और उसका फायदा उठाकर हमें निवेश करना चाहिए। लेकिन पूंजी की लागत बहुत ज्यादा है। वह नहीं जानती कि कितने लोग रिस्क लेकर निवेश करेंगे। इसलिए हम में से कई लोगों ने ब्याज दरों का मुद्दा उठाया। वहीं एसोचैम के प्रेसीडेंट राणा कपूर ने कहा कि बैठक में इकोनॉमिक ग्रोथ और बैंकों के डूबते कर्ज पर भी चर्चा हुई। सीआईआई के प्रेसीडेंट मजूमदार के मुताबिक वित्तमंत्री अरुण जेटली ने जीएसटी लागू करने का भरोसा दिलाया। हालांकि बैठक में भूमि अधिग्रहण पर कोई चर्चा नहीं हुई। इनके साथ ही बैठक में रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन के साथ मोदी कैबिनेट के रोड, ट्रांसपोर्ट और हाइवे मंत्री नितिन गडकरी, उर्जा मंत्री पियूष गोयल और तेल मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी मौजूद थे।

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