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VARANASI : टीएफसी के सामने अम्बेडकर क्रीड़ा संकुल में अटल बिहारी वाजपेयी सभागार आकर्षक स्वरूप लिये है, जो सभ्यताओं का संगम और भारतीय संस्कृति को बढ़ावा दे रहा है। इसके अलावा देश-दुनिया में सुर्खियां बंटोर चुका सरदार बल्लभ भाई का स्टैच्यू और राफेल भी प्रवासी भारतीयों को रोमांचित कर रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी सभागार में प्रवेश के लिए सात द्वार बने हैं। जिनका नाम गंगा सागर, पाटलीपुत्र, काशी, प्रयागराज, हरिद्वार, गंगोत्री रखा गया है। भारतीय प्रवासियों को इन्हीं गेटों से सभागार में प्रवेश दिया गया। भारतीय संस्कृति और सभ्यता से प्रवासियों को जोडऩे के लिए यह प्रयास है। इसके अलावा सभागार परिसर में विश्व की सबसे ऊंची सरदार बल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा का मॉडल प्रवासी भारतीयों को देखने के लिए उत्साहित कर रही है। मॉडल के अवलोकन के दौरान लोग सरदार पटेल के बारे में चर्चा भी कर रहे हैं। इसी तरह राफेल मॉडल की चर्चा लोगों के बीच में हो रही है।

हमारी मिट्टी में है दम, हम नहीं किसी से कम

बीएचयू के स्वतंत्रता भवन में सोमवार को प्रवासी युवा भारतीयों के साथ भारतवासी युवाओं ने दुनिया को जीत लेने का जज्बा दिखाया। उन्होंने कहा कि हम दुनिया के किसी भी दूसरे देश के युवाओं से कम नहीं हैं। हमारे हाथों में दुनिया को अपनी मुठ्ठी में कर लेने की ताकत है। मौका था युवा प्रवासी दिवस 2019 के उपलक्ष्य में इंटरेक्शन कार्यक्रम का। युवा प्रवासी भारतीय और बीएचयू के पांच पांच स्टूडेंट्स के पैनल के बीच 'राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका' पर संवाद हुआ। युवाओं ने कहा कि 'हिन्दुस्तान के युवा दुनिया में सबसे आगे हैं किसी से कम नहीं है' भारतीय युवाओं के मस्तिष्क का लोहा पूरा विश्व मानता है। इस कार्यक्रम का कोऑर्डिनेशन मालवीय सेन्टर फॉर पीस रिसर्च के प्रो। प्रियंकर उपाध्याय ने किया।

प्रवासी भारतीय सम्मेलन : बनारस में ही देख ली स्टैच्यू ऑफ यूनिटी!

हर सवाल का मिला जवाब

इंटरेक्शन प्रोग्राम के दूसरे चरण का विषय 'स्वस्थ समाज के निर्माण में खेल की भूमिकाÓ थी। कोआर्डिनेशन कर रही फिजिकल एजुकेशन डिपार्टमेंट की प्रो सुषमा घिलढियाल ने बताया कि भारतीय योग नेचुरोपैथी, आयुर्वेद, प्राणायाम का अनुसरण कर समूचा विश्व स्वस्थ्य होने का प्रयास कर रहा है। यह हमारे लिए गर्व की बात है। संवाद के तीसरे चरण में 'डिजिटल इण्डियाÓ विषय पर पैनल डिस्कशन हुआ। इस संवाद के माध्यम से युवा प्रवासी भारतीय एवं बीएचयू के छात्र-छात्राओं ने यह स्पष्ट किय कि यदि भारत को विश्व के शीर्ष देशों की कतार में खड़ा होना है तो डिजिटल संसाधनों के क्षेत्र में और अधिक सुदृढ़ एवं सुसज्जित होना होगा। इस दौरान श्रोताओं ने प्रश्न भी पूछे जिसका प्रतिभागियों ने सार्थक उत्तर दिया। कोआर्डिनेशन संगणक विज्ञान विभाग संस्थान के प्रो। विवेक सिंह ने किया।

शानदार हुआ स्वागत

युवा प्रवासी भारतीयों का काफिला जब स्वतंत्रता भवन पहुंचा तो उनका तिलक लगाकर अभिवादन किया गया। कार्यक्रम स्थल पर आकर्षक पुष्प सज्जा के साथ फूलों की रंगोली सजाई गयी थी, शहनाई बज रही थी तथा भवन के दोनों तरफ छात्र-छात्राएं रंग बिरंगे परिधान में कहीं पारम्परिक लोकनृत्य तो कहीं राजस्थानी नृत्य प्रस्तुत कर रही थी। युवा प्रवासी भारतीय इन प्रस्तुति पर झूम उठे।

मेहमानों ने कहा, बदल रहा है अपना देश

इसके पूर्व हुए उद्घाटन समारोह में कुलगीत के बाद प्रो। पतंजलि मिश्र ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। स्वागत बीएचयू के वीसी प्रो राकेश भटनागर ने किया। समारोह में बतौर चीफ गेस्ट उत्तर प्रदेश सरकार के खेल व युवा कल्याण मंत्री चेतन चौहान ने कहा कि पूरे विश्व में काशी को संस्कृति एवं सभ्यता के लिए जाना जाता है। भारत में बहुत तेजी से बदलाव आ रहा है। युवा प्रवासी भारतीय यहां से अच्छी याद लेकर जाएंगे, ऐसी हमारी अपेक्षा है। संचालन संगीत एवं मंच कला संकाय की प्रो संगीता पण्डित ने किया। रजिस्ट्रार डॉ नीरज त्रिपाठी ने धन्यवाद दिया। युवा प्रवासी भारतीयों ने बीएचयू के संगीत एवं मंचकला संकाय के शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं की बेहतरीन कला प्रस्तुतियों का आनंद उठाया।

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