बंजारा हिल्स स्थित उस घर को अब एनटीआर के पुत्र रामकृष्ण ने अपने कब्ज़े में ले लिया है। आज वो अपने वकील और पुलिस के साथ वहां पहुंचे और उन्होंने लक्ष्मी पार्वती का पूरा सामान घर से बाहर निकाल दिया।

रामाकृष्ण ने कहा की ये कार्रवाई अदालत के आदेश के अनुसार की गई है क्योंकि ये घर उनकी छोटी बहन का है और अदालत ने लक्ष्मी पार्वती को नवम्बर के अंत तक घर खाली कर देने के लिए कहा था।

ये कार्रवाई एक ऐसे समय की गई जब लक्ष्मी पार्वती हैदराबाद से बाहर हैं। पार्वती ने उनकी गै़र मौजूदगी में सामान निकाले जाने पर कड़ा विरोध किया है। इस घर को लेकर लक्ष्मी पार्वती और एनटीआर के बच्चों के बीच कई वर्षों से मुकद्दमेबाज़ी चल रही थी।

परिवार में जंग

लक्ष्मी पार्वती एनटीआर की दूसरी पत्नी थीं। दोनों ने साल 1993 में विवाह किया था और उसके बाद दोनों ने इसी घर में जीवन बिताया। जब एनटीआर ने 1994 में दोबारा चुनाव जीता और मुख्यमंत्री बने तब भी वो इसी घर में रहे। उसके बाद लक्ष्मी पार्वती ही तेलुगु देसम और राज्य सरकार में सत्ता का असल केंद्र बनकर उभरीं थीं। इससे एनटीआर परिवार के दूसरे सदस्य बहुत खुश नहीं थे।

इसी वजह से एनटीआर परिवार और तेलुगु देसम के अन्दर रामराव के विरुद्ध बग़ावत हो गई थी, जिसका नेतृत्व उनके दामाद एन चंद्रबाबू नायडू ने किया था।

इस बग़ावत में सत्ता और पार्टी से हाथ धो बैठने के बाद एनटीआर कभी संभल नहीं सके और उसके कुछ ही महीनों बाद जनवरी 1996 में उनका इसी घर में निधन हो गया था।

इसके बाद खुद लक्ष्मी पार्वती ने भी अपनी एक पार्टी बनाई और एक सक्रिय राजनीतिक भूमिका निभाने की कोशिश की लेकिन वो सफल नहीं हो सकीं।

लक्ष्मी पार्वती ने ये कहते हुए घर छोड़ने से इंकार कर दिया था कि एनटीआर के बाद उस पर उन्हीं का हक़ है। लेकिन अदालत में एनटीआर परिवार ने ये साबित किया कि एनटीआर ने अपनी वसीयत में ये घर अपनी बेटी उमा महेश्वरी को दिया था।

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