रेग्युलर नहीं, तो आंदोलन सही

- 22 सितंबर को जाना तय था, पर अब 12 को ही जाएंगी

- तीन-साढ़े तीन हजार मरीजों को संभाल रही हैं 894 नर्सेज

PATNA: जीएनएम का एग्जाम डेट निकल गया, पर हम एग्जाम नहीं देंगे। ऐसा कहा है पीएमसीएच की कांट्रैक्चुअल नर्सो ने। पीएमसीएच में हुई नर्सो की मीटिंग के बाद इन नर्सो ने आई नेक्स्ट को बताया कि पहले ख्ख् सितंबर को स्ट्राइक पर जाना तय था, पर अब क्ख् सितंबर को ही पूरे बिहार के कांट्रैक्चुअल नर्सेज स्ट्राइक पर जाएंगी। इनकी मांग है कि इनकी सेवा को नियमित किया जाए।

ये स्ट्राइक पर चलीं गईं तो

पीएमसीएच क्म्7भ् बेडेड हॉस्पीटल था, पर समय के साथ बेडों की संख्या भी बढ़ी। डॉ। सुधांशु सिंह बताते हैं कि पीएमसीएच में एक हजार पांच नर्सेज इंडोर के लिए जरूरत पड़ती है। ख्फ् ओटी टेबल के लिए ख्फ् नर्सेज चाहिए। दो ओटी इमरजेंसी राउंड जो राउंड द क्लॉक चलते हैं, उसके लिए म् नर्सेज चाहिए होते हैं। सीओटी इमरजेंसी में तीन नर्सेज की जरूरत पड़ती हैं। पीएमसीएच में छह आईसीयू हैं, जिसमें सीसीयू में छह बेड हैं, मेडिकल आईसीयू में आठ बेड हैं, सर्जिकल आईसीयू में 8 बेड हैं, बर्न आईसीयू में 8 बेड हैं, लेबर आईसीयू में म् बेड हैं और पीडिट्रियट्रिक आईसीयू में म् बेड हैं। यानी आईसीयू के लिए ही यहां क्ख्म् नर्सेज चाहिए होती हैं। लगभग साढ़े ग्यारह सौ नर्सेज चाहिए। अब इस पर गौर कीजिए कि नर्से कितनी हैं यहां।

इतनी नर्सेज हैं पीएमसीएच में

पीएमसीएच में वार्ड सिस्टर हैं तीन, जबकि पोस्ट है ब्8. सीनियर सिस्टर यानी रेगुलर नर्सेज हां ख्क्क् और कांट्रैक्ट पर काम करने वाली नर्सेज हैं म्फ्भ्। इस आंकड़ों को हॉस्पीटल में बेडों के मुकाबले बहुत कम है। उस पर से दर्जनों मरीजों का इलाज पीएमसीएच में जमीन पर भी हो रहा है। लगभग तीन-साढ़े तीन हजार मरीजों को यहां 89ब् नर्सेज संभाल रही हैं।

समय से मानदेय मिलता ही नहीं

इस पर से जो कांट्रैक्ट पर काम करने वाली नर्सेज हैं, उन्हें समय से मानदेय मिलता ही नहीं। हर दो-तीन महीने पर इन्हें जिन्दाबाद-मुर्दाबाद के नारे सुपरीटेंडेंट ऑफिस के बाहर लगाने पड़ते हैं, तब जाकर मानदेय मिलता है। अभी तक अगस्त का मानदेय नहीं मिला है। पिछली बार नारेबाजी के बाद दो-तीन महीने का मानदेय मिला था।

क्ख् सितंबर से स्ट्राइक के मायने

क्ख् सितंबर तक का अल्टीमेटम देने के मतलब है कि मानदेय पाने वाली नर्सो ने ये मन अब बना लिया है कि लड़ाई आर पार की होगी। रेगुलर करने के लिए एग्जाम की बात हुई तो आंदोलन और तेज होगा। इनकी मांग है कि ये लगभग आठ वर्षो से काम कर रही हैं और मानदेय पा रही हैं तो फिर सरकार उन्हें रेगुलर क्यों नहीं कर रही।

कंट्रैक्चुअल नर्सो ने अभी तक पीएमसीएच एडमिनिस्ट्रेशन को स्ट्राइक पर जाने के बारे में कोई सूचना नहीं दिया। इनका रेगुलर चयन एसएससी से होना है। पीएमसीएच के पास ऐसा कोई पावर नहीं है कि वह इन्हें परमानेंट रूप से बहाल कर सके।

- सुधांशु सिंह, डिप्टी सुपरीटेंटेंड, पीएमसीएच

पीएमसीएच में कांट्रैक्चुअल नर्सो की संख्या म्फ्भ् है। अगर ये स्ट्राइक पर चली गईं तो हॉस्पीटल चलाना ही मुश्किल हो जाएगा। इनके बिना पीएमसीएच का चलना टफ है। 80 वार्ड हैं। सीनियर सिस्टर यहां महज ख्क्क् हैं और वार्ड सिस्टर यानी रेड बेल्ट सिस्टर तीन।

-मीना कुमारी, मेट्रोन, पीएमसीएच

सरकार ने हमारी सेवा को रेगुलर नहीं किया, तो हम आंदोलन तेज करेंगे और स्ट्राइक पर जाएंगे। क्ख् सितंबर से हम सबों ने स्ट्राइक पर जाने का अल्टीमेटम सरकार को दिया है। हम नर्से जो दिन रात मरीजों की सेवा करती हैं, पर सरकार सही व्यवहार नहीं कर रही है। ये महिलाओं पर अत्याचार की तरह है।

-बी। विश्वास, नर्स

पिछले आठ साल से हम कांट्रैक्ट पर काम कर रही हैं। क्या इतना ही सरकार के लिए काफी नहीं है। हमने नर्सिग की पढ़ाई की है। सर्टिफिकेट है हमारे पास। हर दिन मरीजों की सेवा ही हमारा प्रैक्टिकल है। इसके बावजूद हमारे साथ भेदभाव बरता जा रहा है।

-प्रमिला कुमारी, नर्स

महंगाई लगातार बढ़ती जा रही है। अक्सर हमें समय पर मानदेय नहीं मिलता। अब सुन रहे हैं कि सरकार एक्जाम लेगी। सवाल ये है कि अब हम एग्जाम क्यों दें। सरकार इतने वर्षो तक हमरा एग्जाम ही तो लेती रही है पीएमसीएच में।

-अर्चना कुमारी, नर्स

रेगुलर नहीं किए जाने की वजह से सारे लोग हम कांट्रैक्चुअल नर्सेज को हेय दृष्टि से देखते हैं। हम किसी रेगुलर नर्स से कम योग्यता नहीं रखते। बावजूद सरकार न तो समय पर मानदेय देती है और न ही हमारी सेवा को रेगुलर किया जा रहा है।

-सविता कुमारी, नर्स