- गलत तरीके से हो रही थीं भर्तियां, अब दोबारा होगी पूरी प्रक्रिया

फैक्ट फाइल

- 2015 में निकाली गई नर्सिग और गैर शैक्षणिक पदों की भर्तियां

- 359 स्टाफ नर्स के पदों के लिए 10 फरवरी 2015 को निकाला था विज्ञापन

- 101 पदों पर भर्ती के लिए 17 सितंबर 2015 को विज्ञापन दिया था।

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) प्रशासन ने 2015 में निकाली गई नर्सिग और गैर शैक्षणिक पदों की भर्तियां रद्द कर दी हैं। अब नए सिरे से संजय गांधी पीजीआई के नियमों के आधार पर नर्सेज व अन्य की भर्ती की जाएगी। 13 अक्टूबर को हुई एग्जीक्यूटिव काउंसिल की मीटिंग में इसका निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि 359 पदों के लिए 10 फरवरी 2015 को विज्ञापन निकाल कर भर्तियां निकाली गई थी। इसके बाद इन पदों पर रिटेन एग्जाम भी करा लिया गया और रिजल्ट भी घोषित कर दिया गया। नियम शर्तो को दरकिनार कर की जा रही भर्तियों पर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने खबरें प्रकाशित की थी। जिसके चलते भर्तियों को कैंसिल कर दिया गया है।

नहीं हो सकी भर्ती

बता दें कि फरवरी 2015 में केजीएमयू ने 359 स्टाफ नर्स के पदों पर भर्ती निकाली थी। इसमें आवेदन शुल्क प्रति स्टूडेंट जनरल व ओबीसी के लिए 1000 रुपए और एससी, एसटी के लिए 500 रुपए था। 13 सितंबर 2016 को इसका रिटेन एग्जाम भी हुआ था। जिसमें 7200 अभ्यर्थियों ने हिस्सा लिया था। इसके बाद सरकार ने नर्सिग नियमावली जारी कर दी जिसमें नर्सेज की सेवा शर्ते और सैलरी भी बढ़ा दी गई। शासन की नीतियों के कारण भर्ती में ही अडं़गा लग गया। उसके बाद से न तो भर्ती की गई और न ही अभ्यर्थियों का पैसा वापस किया गया। इतना ही नहीं छात्र छात्राओं का लगभग 20 लाख रुपये केजीएमयू प्रशासन ने वापस नहीं किया।

नहीं ली थी शासन की अनुमति

केजीएमयू के सूत्रों के अुनसार इन भर्तियों के लिए तत्कालीन केजीएमयू प्रशासन ने शासन से अनुमति नहीं ली थी। यही नहीं भर्तियां रजिस्ट्रार की ओर से की जाती हैं, लेकिन अप्वाइंटिंग अधिकारी खुद वीसी बन गए थे। जिसके कारण मामला फंस गया और भर्तियों के लिए दोबारा शासन से अनुमति मांगी गई, लेकिन शासन ने मामले में एनओसी नहीं दी और एग्जाम देने वाले अभ्यर्थी तब से भर्तियों का रिजल्ट निकलने का इंतजार कर रहे हैं।

अन्य भर्ती भी कैंसिल

केजीएमयू ने 101 पदों पर भर्ती के लिए 17 सितंबर 2015 को विज्ञापन दिया था। इसमें स्टोर कीपर, एएनएम, हेल्थ एजूकेटर, रिक्रिएशन थेरेपिस्ट, स्पीच थेरेपिस्ट, विभिन्न टेक्नीशियन, अवर अभियंता, लिपिक, हेल्थ विजिटर, इलेक्ट्रीशियन, फॉर्मासिस्ट, सीनियर साइंटिफिक टेक्निकल असिस्टेंट, लेखा लिपिक, डायटीशियन, आशुलिपिक के खाली पदों को भरना था। सबसे एक एक हजार रुपए जमा कराए गए थे, लेकिन अब तक भर्तियां नहीं हो सकी हैं। केजीएमयू की एग्जीक्यूटिव काउंसिल ने इन भर्तियों को भी रद्द करते हुए नए सिरे से भर्तियां कराने की संस्तुति की है। केजीएमयू की ईसी ने कहा है कि अब संजय गांधी पीजीआई में प्रचलित अर्हता और नियुक्ति प्रक्रिया के आधार पर भर्तियां की जाएंगी।

जांच हुई तो कई फंसेंगे

केजीएमयू सूत्रों के अनुसार पूरी भर्ती प्रक्रिया ही नियम कानूनों को ताक पर की जा रही थी। रिटेन एग्जाम का रिजल्ट आने के बाद बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने शिकायतें दर्ज कराई थी। पूर्व में रजिस्ट्रार ने कई अधिकारियों को मामले में मेमो जारी किया था। पता चला है कि भर्तियों की जो प्रक्रिया रजिस्ट्रार ऑफिस से होनी थी वह आईटी सेल से कराई गई थी। इसमें लाखों रुपए पानी की तरह बहा दिए गए। सरकारी और आवेदकों के धन का जमकर दुरुपयोग किया गया, लेकिन ईसी ने सभी आरोपियों को माफ करते भर्ती कैंसिल कर फाइलें बंद करने का निर्णय लिया है।

कोट

हां, इन भर्तियों को कैंसिल कर दिया गया है। अब नये सिरे से दोबारा विज्ञापन निकालकर भर्तियां की जाएंगी।

प्रो। एमएलबी भट्ट, वीसी केजीएमयू