मिसाइलों की प्रतिस्थापन लागत में अच्छी बचत होगी
कानपुर। डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) व रूस के वैज्ञानिकों ने आज ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल परीक्षण किया। ओडिशा तट के चांदीपुर आईटीआर के एलसी-3 से 10 बजकर 40 मिनट पर किया गया ब्रह्मोस का परीक्षण सफल रहा। यह भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। अधिकारियों  की मानें तो इस मिसाइल की कार्यअवधि को 10 से 15 वर्षों तक बढ़ाने की वजह से इसका परीक्षण किया गया है। वहीं सफल परीक्षण को लेकर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से भी ट्वीट किया गया है। इसमें इन्होंने बालासोर में सफल परीक्षण के लिए टीम ब्रह्मोस और डीआरडीओ को बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने अपने एक दूसरे ट्वीट में लिखा कि इस सफल परीक्षण से भारतीय सशस्त्र बलों की लिस्ट शामिल मिसाइलों की प्रतिस्थापन लागत में काफी कमी आएगी।


इस मौके पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अधिकारी मौजूद थे

मिसाइल के परीक्षण के मौके पर डीआरडीओ एवं आईटीआर से जुड़े कई वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अधिकारी मौजूद थे। बता दें कि ब्रह्मोस एक सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल है। यह घनी शहरी आबादी में भी छोटे लक्ष्यों को सटीकता से भेदने में सक्षम है। यह मिसाइल 8.4 मीटर लम्बी तथा 0.6 मीटर चौड़ी है। इसका वजन 3 हजार किलोग्राम है।  सुपर सोनिक क्रूज मिसाइल आवाज की गति से भी 2.8 गुना तेज जाने की क्षमता रखती है। इसकी खासियत यह है कि इस मिसाइल को किसी भी दिशा में लक्ष्य की तरफ मनचाहे तरीके से छोड़ा जा सकता है। इतना ही नहीं यह मिसाइल पानी के जहाज, हवाई जहाज, जमीन एवं मोबाइल लंचर से भी आसानी से छोड़ी जा सकती है।जमीनी लक्ष्य को 10 मीटर की ऊंचाई तक से भेदने वाली मिसाइल भारतीय सेना में 2007 से इस्तेमाल की जा रही है।

 

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