- डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में महज हवाहवाई शो बना आला अफसरान का इंस्पेक्शन

- जेडी, एडी हेल्थ, राज्य मंत्री और नए डीएम के दौरे के बावजूद खामियां बरकरार

- बुनियादी सुविधाओं से जूझ रहे पेशेंट्स, जिम्मेदारेां के निर्देशों पर नहीं हुई कार्रवाई

BAREILLY: वार्ड के बाहर कैंपस में बेतरतीब खड़ी गाडि़यां, गर्मी से निजात पाने की नाकाम कोशिश करते पेशेंट्स, तपती धूप में पेड़ की छांव में सुकून तलाशते तीमारदार, बर्न वार्ड में दीवार पर टंगे खराब एसी, स्ट्रेचर के बजाए अपनों के कंधों पर झूलकर इलाज को पहुंचते मरीज, आवारा जानवरों की वार्ड में आसान पहुंच, क्क् बजे से पहले इंजेक्शन लगाने को फार्मासिस्ट का न होना, गंदगी और अक्सर ओपीडी में केबिन में डॉक्टर्स की खाली पड़ी कुर्सियां। जी हां, पिछले कई दिनों से डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की स्थितियां कुछ ऐसी हैं, जबकि इस दौरान आला अफसरान से लेकर राज्य मंत्री के इंस्पेक्शन भी हुए। उसके बाद भी डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में कुछ नहीं बदला। जिम्मेदारों की चेतावनी, फटकार और निर्देशों को डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल का सिस्टम मुंह चिढ़ा रहा है। सुधार के दावे दिखावे तक सिमटे हैं और आम जनता बेहतरी की उम्मीद से भी कोसों दूर इसी इंफेक्टेड सिस्टम में इलाज कराने को मजबूर है।

महज ट्रेंड बना दौरा

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में पिछले एक साल में जिले के आला अफसरान के कई इंस्पेक्शन हुए। हर बार खामियों पर बरसने के बाद अधिकारियों ने व्यवस्था दुरुस्त करने के कड़े निर्देश भी दिए। हर बार मरीजों को कुछ बेहतर होने की आस भी जगी, लेकिन हर बार असर ढाक के वही तीन पात सरीखे रहा। पिछले महीने ख्ख् मई को जेडी हेल्थ सुबोध शर्मा, ख्ब् मई को एडी हेल्थ योगेन्द्र कुमार, ख्8 मई को राज्य मंत्री भगवत सरन गंगवार और क्क् जून को डीएम संजय कुमार ने हॉस्पिटल का इंस्पेक्शन किया, लेकिन हॉस्पिटल के बीमार एडमिनिस्ट्रेशन और सिस्टम को सुधारने में इनकी फटकार भी फुस्स साबित हुई। जिम्मेदारों के औचक इंस्पेक्शन किसी दस्तूर से ज्यादा साबित नहीं हुए, जिसने थोड़ी बहुत सुर्खियां तो बटोरी, पर मरीजों के लिए सुधार नहीं ला सकें।

ठेंगे पर मंत्री जी के आदेश

ख्7 मई को फतेहगंज पूर्वी में नेशनल हाईवे ख्ब् पर हुए बस एक्सीडेंट के बाद डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल पहुंचे राज्यमंत्री भगवत सरन गंगवार ने अपने दौरे में कई खामियां पकड़ी। उन्होंने कैंपस और वार्ड के अंदर तक पार्क किए गए वाहनों को पार्किंग में ही लगवाने के आदेश दिए थे। ढाई हफ्ते बाद भी उनके आदेशों की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ख्ख् मई को आए जेडी हेल्थ ने बर्न वार्ड में भ् में से खराब फ् एसी को ठीक कराने के निर्देश दिए थे। ख्क् दिन बाद भी बर्न वार्ड में दो एसी खराब हैं और जो इकलौता रिपेयरिंग के लिए गया था, वह अब तक सही न हो सका।

साहब को एसी, इन्हें कूलर मयस्सर नहीं

एक ओर जहां गर्मी ने अपने तीखे तेवर अपनाए हैं। वहीं दूसरी ओर हॉस्पिटल में जिम्मेदारों ने मरीजों की ओर ठंडा रुख अपना रखा है। गर्मी से बचने को साहब और डॉक्टर्स को तो एसी नसीब है, लेकिन पेशेंट्स एक अदद कूलर की हवा खाने को भी मोहताज हैं। हॉस्पिटल में इमरजेंसी वार्ड में ही कूलर की व्यवस्था की है, जबकि ऑर्थो सर्जिकल, पेईग और बच्चा वार्ड में सीलिंग फैन या हाथ के पंखे से ही तीमारदार अपनों को राहत पहुंचाने की कोशिश में खप रहे। पीने के ठंडे पानी के लिए लोगों को जूझना पड़ रहा। मंत्री के दौरे के समय इमरजेंसी वार्ड के सामने लगा वाटरकूलर जो रिपेयर होने गया तो अब तक वापस नहीं आया।

नए डीएम का भी डर नहीं

डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल की बदइंतजामी पर मिली शिकायतों पर पुराने डीएम अभिषेक प्रकाश ने भी कई बार औचक इंस्पेक्शन किए, लेकिन उनके निर्देशों को यहां के जिम्मेदारों ने सिवाय 'जी सर' कहने के लागू करने में कभी मशक्क्त नहीं की। नए डीएम ने भी चार्ज संभालते ही हॉस्पिटल की दशा व दिशा सुधारने को कवायद छेड़ी। उन्होंने हॉस्पिटल में गंदगी, साफ सफाई, स्ट्रेचर और मरीजों को मिलने वाली अन्य सुविधाओं पर जोर दिया और जिम्मेदारों को व्यवस्था सुधारने में 7 दिन का समय दिया। बावजूद इसके खामियां बरकरार रही।

अफसरों और मंत्री जी के निर्देशों को पूरा कराने की कोशिश की जा रही है। सफाई और मरीजों की सुविधाओं पर ध्यान दिया जा रहा है। वार्ड में कूलर लगे हैं, जहां नहीं हैं, वहां लगाने की कोशिश है। मौजूदा मैनपावर में ही व्यवस्था सुधारने की पूरी कोशिश है।

- डॉ। आरसी डिमरी, सीएमएस