- तर्क, अच्छा अधिकारी बन सकता है अच्छा जनसेवक

- आजादी के बाद से लगातार चुनाव में उतर रहे हैं अफसर

- कई अधिकारी बने सीएम और कई को मिली केंद्रीय मंत्री की कुर्सी

- सेवक से सरकार बनने के लिए बेताब है साहब

- अब लोस चुनाव में उतरने के लिए भी कई ने ताल ठोंकी

Meerut :: चुनावी बिगुल बज चुका है। रण भी लगभग सज चुका है। कुछ पुराने, कुछ नए महारथी मैदान मारने को जी तोड़ मेहनत करेंगे। यहां हम बात करेंगे उन लोगों की जो अब सरकारी कामकाज को छोड़ कर खुद सरकार बनने की तैयारी में हैं। हम बात कर रहे हैं इस चुनावी रण के उन बांकुरों की जो राजनेता बनने के सपने आंखों में सजाए इस महासंग्राम में उतर चुके हैं या तैयारी में हैं। इसमें देश के कुछ जाने माने उच्च पदस्थ कर्मचारी अपनी किस्मत आजमाने की कतार में खड़े हैं।

पहनी थी वर्दी, अब पहनेंगे खादी

सबसे पहले हम बात करेंगे मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर सतपाल सिंह की। जो हाल में आईपीएस सेवा से वीआरएस लेकर पिछले माह दो फरवरी को भाजपा में शामिल हुए। और अब भाजपा के रथ पर सवार होकर बागपत लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं। सतपाल सिंह क्980 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। इसी तरह बीते दिनों बिहार के पूर्व मुख्य सचिव केपी रामैय्या भी सरकारी सेवा को बाय-बाय करते हुए जेडीयू संग चुनावी वैतरणी पार करने की तैयारी में हैं। ये क्98म् बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं और बिहार के सासाराम लोकसभा सीट से ताल ठोंकने की तैयारी में हैं। ये सीट लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार का लोकसभा क्षेत्र है।

सेना से भी उतर चुके हैं मैदान में

ऐसा नहीं है कि सिर्फ सिविल सर्विस से ही लोग चुनावी रण में कूद रहे हैं। भारतीय सेना के पूर्व जनरल वीके सिंह भी भाजपा में शामिल हो चुके हैं। चुनाव लड़ने की जुगत में जुटे हैं। इससे पहले सेना से ही पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत ंिसंह, भाजपा नेता कैप्टन अभिमन्यु, उत्तराखंड के पूर्व सीएम बीएस खंडूरी आदि इस रण के मंझे हुए योद्धा साबित हो चुके हैं।

राजनीति से जुड़े हैं कई पूर्व अफसर

ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है या अंतिम बार होगा। इससे पहले भी कई पूर्व लोकसेवा और सैन्य अधिकारी राजनीति में आते रहे हैं। बीते कल में देखें तो हम वर्तमान में लोकसभा अध्यक्ष मीराकुमार को देखेंगे। जो क्970 बैच की आईएफएस अधिकारी हैं और क्98भ् में यूपी के बिजनौर लोकसभा सीट से पहली बार सांसद चुनी गई। इसी तरह पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा क्9म्0 बैच के आईएएस अधिकारी हैं। छत्तीसगढ़ के पूर्व सीएम अजीत जोगी भी पूर्व आईएएस अधिकारी थे। केंद्रीय मंत्री पीएल पुनिया क्970 बैच के पूर्व आईएएस अधिकारी हैं।

लोकसेवा से पहुंचे जनता दरबार

एमएस गिल पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त निखिल कुमार पूर्व आईपीएस दिल्ली अरविंद केजरीवाल, पूर्व आईआरएस अधिकारी, देवीदयाल पूर्व आईएएस, पश्चिमी यूपी महेंद्र यादव पूर्व आईपीएस, पश्चिमी यूपी हरदेव सिंह पूर्व आईएएस पश्चिमी यूपी झारखंड से सांसद अमिताभ चौधरी पूर्व आईएएस हैं।

पहले आम चुनाव में दिखे अफसर

आजादी के बाद साल क्9भ्ख् में पहला आम चुनाव देश में हुआ। जिसमें मेरठ लोक सभा सीट से जनरल शाहनवाज खान को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी घोषित किया। जनरल पहले आईएनए में अधिकारी थे। बाद में कांग्रेस से नजदीकी होने के कारण उन्हें राजनीति में उतारा गया। जनरल खान मेरठ लोकसभा सीट से लगातार तीन बार सांसद चुने गए और ख्फ् सालों तक विभिन्न विभागों के केंद्रीय मंत्री भी रहे।

पॉलिटिकल न्यूट्रल

भारत में सरकारी नौकरी के नियम कहते हैं कि लाभ के पद पर रहते हुए कोई भी शख्स राजनीतिक दल से नहीं जुड़ सकता है। और न ही चुनाव लड़ सकता है। जबकि अमेरिकी सिस्टम अपने सरकारी अधिकारियों को इस बात की छूट देता है कि वो नौकरी में रहते हुए राजनीतिक दल से जुड़ सकते हैं।

भारतीय नियम

केंद्रीय सेवाओं के कर्मचारियों पर सिविल सेवा अधिनियम क्9म्ब् लागू होता है, जो उन्हें किसी भी राजनीतिक दल से जुड़ने से रोकता है। इतना ही नहीं यह नियम यह भी कहता है कि अधिकारी किसी भी ऐसे संगठन से नहीं जुड़ सकता है जो किसी राजनीतिक दल से संबंध हो।

गुलजार रही क्भ् वीं लोकसभा

पिछली लोकसभा भी उच्च पद त्याग कर राजनीति में आए सांसदों से गुलजार रही। बात क्भ् वीं लोकसभा की करें तो जमकर अधिकारी चुनावी रण में उतरे और संसद पहुंचे। इसमें 7 सिविल सर्विस, ब् डिफेंस सर्विस, फ् डिपलोमेट, क् आईपीएस, ख्0 मेडिकल क्षेत्र से, क् पायलट, 8 प्रोफेसर और 7 स्पोर्ट पर्सन थे। इसके अलावा अधिवक्ता से लेकर उद्योगपति भी सांसद में पहुंचे।

अफसर अच्छा जन सेवक भी हो सकता है। देश सेवा के बाद अब कुछ अपने क्षेत्र के लिए भी करने का जज्बा है, इस लिए राजनीति से जुडा हुं।

- सतपाल सिंह, पूर्व आईपीएस