सीएम के मिशन को फेल कर रहे विभागों के अधिकारी

पुलिस विभाग सबसे आगे, स्वास्थ्य विभाग दूसरे नंबर पर

जन शिकायतों की मोटी हो रही फाइल, नहीं मिल रहा समाधान

ALLAHABAD: 'सरकार' की मंशा साफ है। इसके लिए सीएम योगी आदित्य नाथ ने अफसरों से लेकर कर्मचारियों तक पर शिकंजा कसा है। शुरुआती दिनो में तेजी और एलर्टनेस दिखाने वाले अफसर और बाबू फिर से पुराने ढर्रे पर लौटने लगे हैं। उन्होंने डीएम की तो बात ही छोडि़ए सीएम के यहां से मार्क होकर आने वाली शिकायतों को भी नोटिस लेना आलमोस्ट छोड़ दिया है। नतीजा, शिकायतों की फाइल मोटी होती जा रही है और पब्लिक फिर से पहले जैसे हालत में पहुंच गई है कि सुनवाई होती ही नहीं।

सबसे आगे है पुलिस विभाग

कानून व्यवस्था से जुड़ा मामला फिलहाल सबसे ऊपर है। लिहाजा पब्लिक भी जागरूक हुई और शिकायतें पुलिस तक पहुंचनी शुरू हो गई। हो सकता है कर्मचारियों की संख्या बड़ा कारण हो, लेकिन बड़ी समस्या यह है कि पुलिस विभाग में ही सबसे ज्यादा पेंडेंसी है। यहां तो सीएम के यहां से फारवर्ड होकर आई दो दर्जन शिकायतें अब तक पेंडिंग है। हालांकि, एसएसपी को खुद हर दिन सुबह नौ से 11 बजे तक जनमिलन में शामिल होना अनिवार्य है। इसके बाद भी पेंडेंसी की स्थिति बयां करती है कि सब कुछ ठीक नहीं है। दूसरे नंबर पर स्वास्थ्य विभाग पर है। इसके बाद बेसिक शिक्षा और आबकारी विभाग का नंबर आता है। आनलाइन शिकायतों के मामले में पंचायती राज विभाग नंबर वन है।

फेल को गई ह्वाट्सएप पर अपडेशन व्यवस्था

जन शिकायतों की सुनवाई के प्रति सीएम के गंभीर रुख को देखते हुए डीएम ने सभी विभागाध्यक्षों से ह्वाट्सएप पर अधिकारियों का ग्रुप बनाने का निर्देश दिया था। इस पर शिकायतें शेयर की जानी थी और समाधान का स्टेटस भी इसी पर अपडेट किया जाना था। यह व्यवस्था भी फिलहाल फेल दिखाई देती है। अब डीएम ने सभी विभागाध्यक्षों से कहा है कि वे तीन दिन में पेंडेंसी निबटाएं और इसे वेबसाइट पर अपडेट करें।

विभाग सीएम संदर्भित डीएम संदर्भित ऑनलाइन कुल लंबित शिकायतें

पुलिस 22 237 13 329

सीएमओ 3 19 12 45

बीएसए 2 28 12 45

आबकारी 2 17 9 32

पंचायत राज 7 20 42 32

लीड बैंक 12 28 0 40

एसडीएम करछना 19 49 40 130

एसडीएम फूलपुर 26 70 20 163

एसडीएम सोरांव 10 62 21 104

हंडिया तहसील 0 45 10 196

कोरांव तहसील 0 21 2 169

सदर तहसील 5 12 6 105

(इनमें पीजी पोर्टल, सीएससी और तहसील दिवस में आई शिकायतें भी शामिल हैं)

इन पर हुई कार्रवाई

सभी एसडीएम

सभी तहसीलदार

बीएसए

पंचायत राज अधिकारी

जिला पूर्ति अधिकारी

लीड बैंक

सीओ मेजा

आबकारी अधिकारी

खंड विकास अधिकारी

(सभी का वेतन अग्रिम आदेश तक रोकने का आदेश)

जन शिकायतों के निस्तारण को लेकर शासन गंभीर है। इस मामले में कोई समझौता नहीं किया जाएगा। समीक्षा में यह तथ्य सामने आया है कि कई विभागों का रेस्पांस बेहद खराबहै। कई अधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। आगे और सख्ती की जाएगी।

संजय कुमार, डीएम इलाहाबाद

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Kumar Sanjeev

इसे योगी सरकार की कमजोरी ही कहा जायेगा अफसर क्यों सुस्त हैं यानि ऊपर से छूट मिल रही है तभी जनता को परेशान किया जा रहा है।

Akhilesh Yadav

देखने वाली बात है कि अफसर कहां तक सरकार के मुखिया की बात मानते हैं।

Bhartendra Tripathi

जनशिकायतों पर अफसर बिल्कुल भी गंभीरता से नही ले रहे है। इसका ताजा उदाहरण है डीएम इलाहाबाद की नाराजगी। उन्होंने सभी एसडीएम का वेतन रोक दिया है। सरकार बदल गयी पर अफसर अपना रवैया नही बदल रहे हैं।

Neera Tripathi

पब्लिक की शिकायतों को अफसर नहीं सुनते। कभी भी कोई भी अफसर गंभीर होकर कोई काम नहीं करता। यह प्रशासनिक अफसरों की सुस्ती का नतीजा है। अफसर राइट टाइम हो जाएंगे तो काम अपने आप होने लगेगा।

Sohit Mishra

लोगों की कम्प्लेंट को अफसर साल्व नहीं कर रहे हैं तो अफसरों के खिलाफ भी योगी सरकार को कुछ करना चाहिए। ऐसा नहीं हुआ तो अधिकारी और सरकार के बीच पब्लिक पिसती रहेगी।

MeTu

जनशिकायतों को निबटाने में अभी अफसर भले ही दिलचस्पी न ले रहे हों लेकिन सीएम योगी तो पता है कि काम करवाया कैसे जाता है।

Dinesh Yadav

योगी जी ने सत्ता सँभालते ही जिस तत्परता से काम करना शुरू किया था वह अब टाँय-टाँय फिस्स होता जा रहा है और उनके ही अधिकारी किसी भी प्रकार की जन शिकायतों के निपटारे में बिलकुल भी गंभीरता नही दिखा रहे हैं। जिससे सरकार से लोगों की उम्मीदों को झटका लग रहा है।

Krishna Mishra

सीएम योगी की हनक कमजोर नहीं पड़ सकती बस फर्क इतना है कि अभी जो भी ऑफिसर जन शिकायत तो निबटाने की गंभीरता नहीं दिखाये तो उन पर भी कार्रवाई जरूर होगी। ऐसा नहीं है कि उन्हें छोड़ दिया जाएगा।