- यूपी में भी अफसरों पर राजनेताओं की मेहरबानी के कई हैं किस्से

- सत्ता जाते ही गंवानी पड़ी नौकरी, करना पड़ गया जांच का सामना

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LUCKNOW : पूर्ववर्ती बसपा सरकार में कैबिनेट सेक्रेटरी रहे शशांक शेखर सिंह की गिनती सबसे पॉवरफुल अफसरों में होती थी। समय का पहिया घूमा और बसपा को चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करना पड़ गया। नई सरकार के निशाने पर सबसे पहले शशांक शेखर आएंगे, यह चर्चा आम होने लगी और यही वजह रही कि सरकार बदलने से पहले उन्होंने वीआरएस मांग लिया। यूपी के सबसे कद्दावर अधिकारी ने इसके बाद बाकी जिंदगी गुमनामी में काटी। यह मामला एक बानगी है राजनेताओं के संरक्षण में पॉवर सेंटर बनने वाले अफसरों का। कोलकाता में जिस तरह एक आईपीएस के समर्थन में पूरी सरकार सड़क पर उतर आई है, उससे साफ है कि नेताओं और अफसरों का गठजोड़ कई बार मुसीबत का सबब भी बन जाता है। यूपी में भी तमाम ऐसे मामले हैं जिनमें नेताओं का संरक्षण पाने वाले अफसरों को बाद में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ गया।

जाना पड़ा था जेल
इसी तरह मुलायम सरकार में सबसे कद्दावर अफसर माने जानी वाली नीरा यादव और राजीव कुमार को भी सत्ता से नजदीकियों की कीमत चुकानी पड़ी थी। नोयडा लैंड स्कैम मामले में पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव और आईएएस राजीव कुमार को जेल जाना पड़ा था। घोटाले के दौरान नीरा नोएडा अथॉरिटी की सीईओ थीं जबकि राजीव कुमार डिप्टी सीईओ थे। नीरा के पति भी आईपीएस अफसर थे पर बाद में किन्हीं कारणों से उनको इस्तीफा देना पड़ा था। अखिलेश सरकार में नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग जैसा अहम विभाग की जिम्मेदारी संभालने वाले राजीव कुमार को आखिरकार कोर्ट की नाराजगी का सामना करना पड़ा और उनको सलाखों के पीछे भेज दिया गया। इसी तरह बहुचर्चित ताज कॉरीडोर मामले में फंसे तत्कालीन मुख्य सचिव देवेंद्र सिंह बग्गा और प्रमुख सचिव पीएन पुनिया को सस्पेंशन की कार्रवाई का सामना करना पड़ा था। सपा और बसपा सरकार में ऐसे तमाम मामले हैं जिनमें नेताओं के खास अफसर बाद में बदली हुई सत्ता के निशाने पर आ गये।

जांच के बाद लिया वीआरएस
वहीं अगर आईपीएस अफसरों की बात करें तो सबसे चर्चित नाम सपा सरकार में हुई पुलिस भर्तियों की जांच करने वाले आईपीएस शैलजाकांत मिश्र का है। शैलजाकांत मिश्र ने घोटाले को लेकर कुछ ऐसे बयान दिए जो बाद में उनके गले की फांस बन गये। नतीजतन उनको भी पुलिस सेवा से विदा होना पड़ गया। सूबे में सपा की सरकार काबिज हुई तो उनको वीआरएस लेना पड़ा हालांकि हाल ही में भाजपा सरकार में उनको ब्रज तीर्थ विकास परिषद का अध्यक्ष बनाया गया है। बसपा सरकार में ही सबसे ताकतवर आईपीएस ब्रजलाल को भी सत्ता परिवर्तन के बाद सालों तक साइड पोस्टिंग का सामना करना पड़ा। बमुश्किल उनको राजधानी में तैनाती मिल सकी थी। कुछ ऐसा ही हाल बसपा सरकार में प्रमुख सचिव गृह की कुर्सी संभालने वाले फतेह बहादुर सिंह का भी हुआ।

चंद्रकला का भी बुरा हाल
इसी तरह सपा सरकार में हुए खनन घोटाले में आईएएस बी। चंद्रकला को भी सीबीआई और ईडी की जांच का सामना करना पड़ रहा है। उनको सपा के वरिष्ठ नेताओं का करीबी माना जाता था और इसी वजह से वह सपा सरकार के पूरे कार्यकाल में तमाम बड़े जिलों में डीएम के पद पर काबिज रहीं। बसपा सरकार में स्मारकों का निर्माण कराने वाले निर्माण निगम के एमडी सीपी सिंह को भी तमाम जांचों का सामना करना पड़ रहा है। सपा सरकार में उप्र लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष रहे अनिल यादव पर भी सीबीआई भर्ती घोटाले में अपना शिकंजा कसती जा रही है।