मां होने का सुख क्या होता है उससे बेहतर कोई नहीं समझ सकता। शादी के सत्रह साल बाद उसकी गोद भरी, घर में लक्ष्मी आई। एक बेटे की ख्वाहिश थी। नवजात को पाकर उसे लगा भगवान ने सुन ली। उसे सीने से लगा लिया। लेकिन नौ घंटों की मां बन कर ही वो रह गई। क्या है इस मां की कहानी, जानने के लिए पढि़ए ये रिपोर्ट।

-चौखंडी दादा मीना का मजार के पास मिला नवजात शिशु

-पड़ोस में रहने वाली मीनू ने मासूम को अपनाया

-9 घंटे बाद कीडगंज पुलिस ने लेकर चाइल्ड लाइन को सौंप दिया बच्चा

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मां होने का सुख क्या होता है उससे बेहतर कोई नहीं समझ सकता। शादी के सत्रह साल बाद उसकी गोद भरी, घर में लक्ष्मी आई। एक बेटे की ख्वाहिश थी। नवजात को पाकर उसे लगा भगवान ने सुन ली। उसे सीने से लगा लिया। लेकिन नौ घंटों की मां बन कर ही वो रह गई। क्या है इस मां की कहानी, जानने के लिए पढि़ए ये रिपोर्ट।

-चौखंडी दादा मीना का मजार के पास मिला नवजात शिशु

-पड़ोस में रहने वाली मीनू ने मासूम को अपनाया

-9 घंटे बाद कीडगंज पुलिस ने लेकर चाइल्ड लाइन को सौंप दिया बच्चा

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: कीडगंज चौखंडी के रहने वाले जीतेन्द्र केसरवानी गुरुवार की सुबह जब जगे तो घर के बाहर कुछ शोर सुनाई दिया। घर से कुछ दूर दादा मीना का मजार के पास एक नवजात लावारिस हालत में पड़ा था। बच्चे को देखने के लिए लोग जमा हो रहे थे। यह देख जीतेन्द्र ने अपनी वाइफ मीनू को बुलाया। दोनों मौके पर पहुंचे और बच्चे को उठा कर अपने सीने से लगा दिया। बच्चे को लावारिस हालत में देख किसी ने पुलिस को सूचना दे दी। कीडगंज पुलिस भी वहां पहुंच गई। मीनू द्वारा बच्चे की देखभाल करता देख पुलिस ने भी राहत की सांस ली।

बेटे की मुराद हुई पूरी

मिर्जापुर के रहने वाले जीतेन्द्र ख्0 साल से चौखंडी में अपनी वाइफ मीनू लता केसरवानी के साथ रहते हैं। जीतेन्द्र अपना अलग धंधा करते हैं और मीनू लेडीज कपड़ों की सिलाई का काम करती है। दोनों की शादी को बीस साल हो गए हैं। तीन साल पहले मीनू मां बनी। उन्हें एक लड़की वैष्णवी है। मां का दर्द क्या होता है यह मीनू से बढ़कर कोई और क्या जानेगा। वह मां बनने के लिए क्7 साल तक तड़पती रही थी। भगवान ने पहले लक्ष्मी दिया और अब इस नवजात के रूप में बेटे की मुराद भी पूरी हो गई थी।

नाल भी नहीं कटा था

मीनू ने आई नेक्स्ट रिपोर्टर को बताया कि बच्चे का नाल भी नहीं कटा था। उसकी हालत खराब थी। नाले के पास पड़ा था। वह तो संयोग था कि वो लोग पहुंच गए, नहीं तो बच्चे के साथ कोई हादसा भी हो सकता था। बच्चे को लेकर वह तत्काल डॉक्टर के पास पहुंचे। उसका नाल कटाया और टिटनेस का इंजेक्शन लगवाया। फिर उसे घर लाकर दूध पिलाया। दूध पीने के बाद बच्चा थोड़ी हरकत में आया जिसके बाद उनकी खुशी दोगुनी हो गई।

लाइन लग गई घर के बाहर

कुछ ही घंटों में नवजात के मिलने की खबर हर तरफ फैल गई। मीनू के घर के बाहर कौतुहल वश लोगों की लाइन लग गई। कुछ लोग उसे मांगने पहुंच गए थे। लोग उन्हें पैसे का प्रलोभन भी देने लगे। कुछ ने तो ख् लाख रुपए तक देने की बात कही। लेकिन मीनू और उसके पति ने उस नवजात को हमेशा के लिए अपना बनाने का फैसला कर लिया था।

हरकत में आई पुलिस

कुछ देर बाद कीडगंज पुलिस भी हरकत में आ गई। कीडगंज थाने में दर्जनों लोग पहुंच गए जो बच्चे को अपनाना चाहते थे। पुलिस ने चाइल्ड लाइन को सूचना दी। फिर मीनू और उसके पति को बच्चे के साथ पुलिस स्टेशन बुलाया गया। तब तक थाने में लोगों की भारी भीड़ जमा हो गई। हर कोई उस बच्चे को अपनाना चाहता था। पार्षद से लेकर कुछ पुलिस वाले तक कीडगंज थाने की पुलिस पर प्रेशर बना रहे थे कि बच्चा उन्हें दे दिया जाए। इनमें कई ऐसी महिलाएं भी थीं जो बच्चे को अपनाकर अपना सूना गोद भरना चाहती थी।

मां के बिखर गए सपने

बच्चा करीब पांच बजे सुबह मीनू को मिला था। दोपहर दो बजे चाइल्ड नाइन के डायरेक्टर अजीत कुमार अपनी टीम के साथ वहां पहुंच गए। उन्होंने पहले बच्चे का चेकअप किया और फिर पुलिस से बच्चे की मांग की। कीडगंज एसओ रवि भूषण श्रीवास्तव ने मीनू और उसे पति को बुलाया और उन्हें समझाया कि बच्चा ऐसे कोई गोद नहीं ले सकता। बच्चा चाइल्ड लाइन जाएगा। उसके बाद आप वहां अप्लीकेशन देकर गोद लेने की गुजारिश कर सकती हैं। बच्चे को लेकर मीनू ने पिछले नौ घंटों में जो सपने संजोए थे वह बिखर गए। बुझे मन से उसने बच्चा चाइल्ड लाइन को सौंप दिया।

कौन है वो अभागिन मां?

नवजात कौन है, उसकी मां कौन है, यह तो अभी पता नहीं लग सका। लेकिन उसकी मां के बारे में लोग तरह-तरह की चर्चा करते रहे। मासूम को देखकर उसकी अभागिन मां को लोग कोस रहे थे। उन्हें शक था कि जरूर कुछ गड़बड़ था तभी उस अभागिन या बिन ब्याही मां ने मासूम को लावारिस छोड़ दिया।

सुबह पांच बजे पुलिस कंट्रोल रूम में किसी ने बच्चा मिलने की सूचना दी थी। पुलिस वहां पहुंची तो मीनू ने बच्चे को ले लिया था। वह उसकी देखभाल कर रही थी। उसके बाद चाइल्ड लाइन को बुलाकर बच्चे को सौंप दिया गया।

रवि भूषण श्रीवास्तव

एसओ कीडगंज

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बच्चा गोद लेने के लिए रजिस्ट्रेशन करना पड़ता है। उसके बाद नंबर आने पर बच्चा दिया जाता है। इलाहाबाद में अभी म्-7 बच्चे हैं जबकि फ्भ्0 से ज्यादा लोग वेटिंग में है। इस मासूम को पहले चिल्ड्रेन हॉस्पिटल ट्रीटमेंट के लिए ले जाया जा रहा है।

अजीत कुमार

डायरेक्टर चाइल्ड लाइन