Old always remains gold!

- जमाना खूब बदला पर मिट्टी तो मिट्टी है

- डॉक्टर भी पी रहे घड़े और सुराही का पानी

- 180 रुपए का घड़ा भी है बाजार में

PATNA (30 April) : सड़क किनारे बिकने को तैयार कुम्हार के बनाए मिट्टी के घड़े को देख जो लोग ये सोच रहे हैं कि बेचारा घड़ा फ्रिज युग में पीछे छूट गया है तो अपनी सोच बदल लीजिए। जान लीजिए कि नए दौर में भी घड़े की खासी डिमांड है। यही नहीं घड़े की कीमत में भी पिछले साल से ज्यादा उछाल आया है। जमाने के हिसाब से घड़े का मन- मिजाज कैसे उछला है जरा इसे देखिए।

घड़े की साइज पिछले साल की कीमत अब कीमत

छोटा घड़ा ख्0 रुपए फ्0 रुपए

मंझला घड़ा भ्0 रुपए म्0 रुपए

बड़ा घड़ा 90 रुपए क्00 रुपए

सबसे छोटा घड़ा क्भ्0 रुपए क्80 रुपए

टोटीवाला छोटा घड़ा क्00 रुपए क्क्0 रुपए

टोटी वाला बड़ा घड़ा क्फ्0 रुपए क्ब्0 रुपए

फ्रिज है तो क्यों खरीद रहे घड़े

जी हां, घड़े का जलवा ही है कि लोग कार से घड़ा खरीदने आ रहे हैं। घड़े की खासियत हीं है कि वो पानी को जरूरत भर ही ठंडा करता है। फ्रिज की तरह इसमें पानी वैसा चिल नहीं होता जो कई बार गले को नुकसान पहुंचा देता है। जिन लोगों के घर में फ्रिज है वे भी घड़ा खरीदने आ रहे हैं।

घड़े के पानी का विकल्प नहीं

कदमकुंआ में हिन्दी साहित्य सम्मेलन के पास हमने देखा राजेन्द्र नगर के अनिल लाल इसलिए घड़ा खरीद रहे हैं कि उनकी पत्नी रेशम लाल की छाती में इन्फेक्शन है और वो फ्रिज का पानी नहीं पी सकती। वह सूट नहीं करता है। ऐसे में घड़े का पानी ही पिलाना पड़ेगा।

पछिया और पुरवइया का असर

फ्रिज का जमाना आ गया पर पछिया और पुरवइया का असर पानी पर अभी भी है। पिछले फ्0 वषरें से घड़ा बेच रही उर्मिला देवी बताती हैं कि पुरवइया हवा के चलने पर घड़े का पानी कम ठंडा होता है लेकिन जब पछिया हवा चलती है तब पानी ज्यादा ठंडा। घड़े के अंदर के पानी पर बाहर की हवा का खासा असर है। यही तो है जो पानी को मजेदार बनाता है।

गंगा की मिट्टी और ठंड के राज

पटना में घड़ा या सुराही बनाते समय गंगा की मिट्टी का इस्तेमाल जरूर करते हैं कुम्हार। गंगा के मिट्टी में बालू का अंश ज्यादा होता है जिससे घड़े का पानी ज्यादा कूल रहता है। लोकल मिट्टी में गंगा का मिट्टी एक निश्चित अनुपात में मिलाया जाता है और फिर घड़ा तैयार होता है।

70-80 साल से बेच रहा है

उर्मिला देवी का परिवार पिछले 70-80 वर्षो से लोगों को ठंडा पानी पिलाने के लिए घड़े-सुराही बेच रही हैं। उर्मिला देवी बताती हैं कि इसके पहले उनकी सास और उससे भी पहले उनकी परसास घड़े बेचा करती थी। पहले तो ये कुम्हारों का ही कारोबार हुआ करता था लेकिन अब दूसरी जात वाले भी घड़े बेच रहे हैं।

फुलवारी में खूब बनते हैं घड़े

म्0 वर्षीया उर्मिला देवी कहती हैं कि जगह की कमी है इसलिए घड़े बनाना और उसे सुखाना यहां संभव नहीं इसलिए घड़े मंगवाकर बेचती हैं। फुलवारीशरीफ, गंगापार, दानापुर और पटना सिटी से बड़ी मात्रा में घड़े सेन्ट्रल पटना में आते हैं। फुलवारी में कुम्हारों की खासी संख्या है, फ्0-ब्0 घरों में घड़े तैयार होते हैं।

गला बैठ सकता है फ्रीज के पानी से

डॉक्टर जेडी सिंह घर में खुद सुराही रखे हुए हैं और उसी का पानी पीते हैं। वे बताते हैं कि पानी फिल्टर कर सुराही में डालते हैं और उसके बाद इस्तेमाल करते हैं। ऐसा क्यों करते हैं? इस सवाल के जवाब में वे कहते हैं कि फ्रिज का पानी पीने से गले में खरास हो जाती है और फिर सांस लेने में भी कठिनाई आ जाती है। इसलिए सेंसेटिव लोगों को फ्रिज का पानी पीने से परहेज करना चाहिए। इससे गले में खराश तो हो ही सकता है साथ ही आवाज भी बैठ सकती है और गले में इंफेक्शन भी हो सकता है।

- डॉ। जेडी सिंह, सीनियर डॉक्टर