बचपन बचाने की पहल
स्वराज विद्यापीठ संस्थान पहली बार बच्चों के लिए ऐसे प्रोग्राम आर्गनाइज कर रहा है, जिसमें 6 से 10 साल के बच्चे पार्टिसिपेट कर सकते हैं। बच्चों को दादी और नानी की कहानियां सुनाने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के डॉ। अंजलि, प्रोफसर आरती भटनागर व मधु भटनागर अपनी टीम के साथ होंगी। इन्होंने बच्चों का बचपन बचाने की पहल की है। डॉ। अंजलि मनोविज्ञानशाला से जुड़ी टीचर हैं और उन्हें पता है कि आजकल की भागदौड़ की जिन्दगी में बच्चों का बचपन कैसे छीनता जा रहा है.

टीवी और वीडियो गेम हैं दुश्मन
 मनोवैज्ञानियों के अनुसार बच्चों की आपराधिक प्रवृत्ति और एग्रेसिवनेस का कारण  टीवी है। ज्यादा टीवी देखने के कारण बच्चों की कल्पनाशीलता डेवलप नहीं हो पा रही है। स्वराज विद्यापीठ में एक से 10 जून तक आर्गनाइज प्रोग्राम में बच्चों को न केवल डिफरेंट कहानियां सुनाई जाएंगी बल्कि उनसे कहानियां सुनी भी जाएगी। हर कहानी के बाद कहानी से उठ रहे प्रश्नों पर बातचीत होगी। जिन कहानियों में बच्चों की विशेष रूचि होगी उन्हें मंचित भी कराया जाएगा। संस्था कहानियों के माध्यम से बच्चों को मानवीय व जीवन मूल्यों का संस्कार देगा। हां, इतना जरूर है कि इस प्रोग्राम में केवल 25 बच्चों का सेलेक्शन होना है इसलिए देर न करें जल्द ही अपने बच्चे का रजिस्ट्रेशन करा लें. 

बचपन बचाने की पहल

स्वराज विद्यापीठ संस्थान पहली बार बच्चों के लिए ऐसे प्रोग्राम आर्गनाइज कर रहा है, जिसमें 6 से 10 साल के बच्चे पार्टिसिपेट कर सकते हैं। बच्चों को दादी और नानी की कहानियां सुनाने के लिए इलाहाबाद यूनिवर्सिटी के डॉ। अंजलि, प्रोफसर आरती भटनागर व मधु भटनागर अपनी टीम के साथ होंगी। इन्होंने बच्चों का बचपन बचाने की पहल की है। डॉ। अंजलि मनोविज्ञानशाला से जुड़ी टीचर हैं और उन्हें पता है कि आजकल की भागदौड़ की जिन्दगी में बच्चों का बचपन कैसे छीनता जा रहा है।

टीवी और वीडियो गेम हैं दुश्मन

 मनोवैज्ञानियों के अनुसार बच्चों की आपराधिक प्रवृत्ति और एग्रेसिवनेस का कारण  टीवी है। ज्यादा टीवी देखने के कारण बच्चों की कल्पनाशीलता डेवलप नहीं हो पा रही है। स्वराज विद्यापीठ में एक से 10 जून तक आर्गनाइज प्रोग्राम में बच्चों को न केवल डिफरेंट कहानियां सुनाई जाएंगी बल्कि उनसे कहानियां सुनी भी जाएगी। हर कहानी के बाद कहानी से उठ रहे प्रश्नों पर बातचीत होगी। जिन कहानियों में बच्चों की विशेष रूचि होगी उन्हें मंचित भी कराया जाएगा। संस्था कहानियों के माध्यम से बच्चों को मानवीय व जीवन मूल्यों का संस्कार देगा। हां, इतना जरूर है कि इस प्रोग्राम में केवल 25 बच्चों का सेलेक्शन होना है इसलिए देर न करें जल्द ही अपने बच्चे का रजिस्ट्रेशन करा लें.