क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ: रिम्स में इलाज के लिए मरीज दर-दर भटकते रहते हैं. इससे न तो अधिकारियों को फर्क पड़ता है और न ही डॉक्टरों को. लेकिन देश के लिए गोल्ड मेडल जीतने वाले हॉकी प्लेयर सिलवानुस डुंगडुंग को इलाज के लिए वार्ड दर वार्ड भटकना पड़ा. वहीं दो दिनों तक जेनरल वार्ड में सामान्य मरीजों की तरह ही उनका इलाज किया गया. रविवार को खेल संघ के अधिकारियों की पहल पर ट्रामा सेंटर में शिफ्ट किया गया. जहां सीनियर डॉक्टरों की देखरेख में उनका इलाज किया जा रहा है. बताते चलें कि 22 मार्च को डिबडीह पुल के पास ऑटो ने धक्का मार दिया था. इससे उन्हें सिर और पैर में गहरी चोटें आई थीं. इसके बाद इलाज के लिए उन्हें रिम्स में एडमिट कराया गया था.

जेनरल वार्ड में भीड़ के बीच इलाज

इमरजेंसी में इलाज के बाद उन्हें ट्रामा सेंटर में रखा गया था. लेकिन कुछ देर बाद उन्हें न्यूरो वार्ड में भेज दिया गया. जहां मरीजों की भीड़ में ही उनका इलाज किया जा रहा था. इस वजह से उन्हें थोड़ी परेशानी झेलनी पड़ी. वहीं शोर होने के कारण उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इतना ही नहीं, शुक्रवार देर रात तक वह सो भी नहीं सके. इस बीच खेल संघ के अधिकारियों ने रविवार को रिम्स प्रबंधन से बात की. इसके बाद उन्हें तत्काल न्यूरो वार्ड से निकालकर दोबारा से ट्रामा सेंटर में शिफ्ट किया गया.

वर्जन

पहले तो पिताजी को ट्रामा सेंटर में ही लाया गया था. इसके बाद उन्हें न्यूरो वार्ड में ले गए. वहां पर भीड़ थी, जिसके कारण थोड़ी परेशानी हुई. रात में नर्स से भी पिताजी ने दिक्कत होने की बात कहीं. लेकिन नर्स ने भी डॉक्टर के आने के बाद ही कोई दवा देने को कहा. इसलिए रात में पिताजी परेशान रहे.

नवीन डुंगडुंग