खेल मामलों की एक अदालत ने अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक कमेटी (आईओसी)के उस नियम को रद्द कर दिया है जिसके तहत प्रतिबंधित दवा के लिए छह महीने से अधिक के लिए प्रतिबंध लगाने के बाद उस पर अगले ओलंपिक में हिस्सा लेने पर रोक लग जाती है।

अमरीका के धावक लशॉन मेरिट ने इस नियम को चुनौती दी थी और अब वे लंदन में होने जा रहे ओलंपिक में 400 मीटर के अपने खिताब को बचाने के लिए फिर से मैदान में उतर सकेंगे।

हालांकि इस फ़ैसले से पहले माना जा रहा था कि आईओसी इस नियम के बदले कोई ऐसा नियम लागू करेगी जिससे अदालत में दी गई चुनौती का सामना किया जा सके।

चुनौती

400 मीटर दौड़ के चैंपियन मेरिट पर वर्ष 2010 में स्टेरॉयड लेने के लिए दोषी पाए जाने के बाद दो वर्ष का प्रतिबंध लगा दिया गया था जिसे बाद में घटाकर 21 महीने कर दिया गया था।

आईओसी के नियम, 45 के तहत यदि किसी खिलाड़ी पर छह महीने से अधिक का प्रतिबंध लग जाए तो वह अगले ओलंपिक में भाग नहीं ले सकता। लेकिन मेरिट और अमरीकी ओलंपिक कमेटी का कहना था कि इस तरह से तो प्रतिबंध की अवधि तीन वर्ष की हो जाएगी जो वर्ल्ड एंडी डोपिंग एजेंसी (वाडा) के प्रतिबंध से अधिक हो जाएगा।

इस आपत्ति को वैध मानते हुए अदालत ने मेरिट को अलगे ओलंपिक में भाग लेने की अनुमति दे दी है। इस फ़ैसले के बाद अब लंदन ओलंपिक के कर्ताधर्ताओं को इस नियम पर विचार करना होगा क्योंकि ब्रिटिश ओलंपिक एसोसिएशन के नियम भी इसी तरह के प्रतिबंध की हिमायत करते हैं।

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