-सिगरा स्टेडियम में बना है वुडेन कोर्ट मगर नेशनल या इंटरनेशनल लेवल की नहीं होती है प्रैक्टिस

-बिना कोच कहां से निकलेंगे बैडमिंटन के बेहतर प्लेयर, नहीं होता है कोई टूर्नामेंट भी

VARANASI

सुविधा होने के बावजूद बनारस से बैडमिंटन के अच्छे खिलाड़ी नहीं निकल पा रहे हैं। सिगरा स्टेडियम में वुडेन कोर्ट बना हुआ है जहां पर खिलाड़ी प्रैक्टिस करते हैं लेकिन इनकी प्रैक्टिस नेशनल या इंटरनेशनल लेवल की नहीं होती है। बनारस के बैडमिंटन प्लेयर्स सिर्फ स्टेट लेवल के टूर्नामेंट तक ही सीमित रह गये हैं। इसका सबसे बड़ा कारण ये है कि यहां पर बैडमिंटन के लिए अच्छा कोच नहीं है। वहीं यहां पर अच्छे लेवल पर टूर्नामेंट भी नहीं होते हैं कि जिसमें यहां के खिलाड़ी अपना टैलेंट दिखा सकें।

स्टेट तक सीमित हैं प्लेयर

अच्छे कोच के न होने का परिणाम है कि बनारस में बैडमिंटन का खेल प्रदेश से आगे नहीं निकल पा रहा है। गिने चुने खेल ही हैं जिनके प्लेयर इंटरनेशनल लेवल पर पहुंच सके। बनारस में बैडमिंटन प्लेयर सिर्फ स्टेट लेवल के टूर्नामेंट तक ही सिमट कर रह गये हैं। गिने चुने प्लेयर ही नेशनल लेवल पर खेल सके हैं। शहर में बैडमिंटन में ऐसा कोई नाम नहीं है जिसके नाम का जिक्र किया जा सके।

ऐसी सुविधा का क्या मतलब?

बैडमिंटन के लिए बनारस के सिगरा स्टेडियम के साथ ही बीएचयू में भी वुडेन कोर्ट बना हुआ है। इसके अलावा एक इनडोर स्टेडियम भी है। लेकिन इन सब के होने के बाद भी यहां से प्लेयर नहीं निकल पा रहे हैं। बैडमिंटन का खेल सेहत में सुधार के लिए खूब खेला जाता है। साथ ही ये गेम लोगों के लिए स्टेटस सिंबल भी बना हुआ है। लेकिन इसे बहुत कम लोग ही प्रोफेशनल तौर पर ले रहे हैं।

कुछ नाम ही हैं गिने-चुने

बनारस के रवींद्र सिंह ने इंटरनेशनल लेवल पर बैटमिंटन में शिरकत की है। इसके बाद जो नाम आये वो नेशनल लेवल तक ही रहे। लेकिन पिछले कुछ सालों से नेशनल लेवल पर भी प्लेयर नहीं निकल पा रहे हैं। बनारस के वाई के जायसवाल बाबू, राकेश कोछड़, अजय बहादुर, आरएन सरकार, प्रवेश भारद्वाज, नागेंद्र सिंह, अजय तिवारी, राजन सिंह, उत्कर्ष वर्मा, अंसल यादव का नाम बैडमिंटन के प्लेयर्स में लिया जाता है।