- दोनों संस्थाए रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए साथ मिलकर करेंगी काम

- संस्थाएं एक दूसरे के लैब और फैकेल्टी एक्सचेंज प्रोग्राम में जुड़ेंगी

LUCKNOW :

लखनऊ यूनिवर्सिटी और बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पेलियोबॉटनी बीएसआईपी रिसर्च के क्षेत्र में अब एक साथ काम करेंगे। बुधवार को यूनिवर्सिटी के वीसी प्रो। एसपी सिंह और बीरबल साहनी के निदेशक प्रो। सुनील वाजपेई के बीच तीन एमओयू साइन किए गए। इसमें प्रयोगशाला, शोधार्थी और शोध पर्यवेक्षकों का आदान-प्रदान किया जाएगा।

1946 में हुई थी स्थापना

दोनों ही संस्थाएं रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए एक दूसरे को सहयोग करेंगी। लखनऊ यूनिवर्सिटी के प्लानिंग एंड डेवलपमेंट बोर्ड के निदेशक प्रो। धु्रवसेन सिंह ने बताया कि बीएसआईपी एक स्वायत्त संस्थान है जो भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के तहत गठित है। संस्थान प्रदेश में पौधे जीवाश्म अनुसंधान के क्षेत्र में उच्च शिक्षा का एक स्थान है। जिसकी स्थापना 1946 में प्रसिद्ध भारतीय वनस्पति शास्त्री प्रोफेसर बीरबल साहनी की अगुवाई वाले वनस्पति वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा की गई थी। एमओयू साइन होते समय बीएसआईपी के निदेशक प्रो। सुनील बाजपेई, रजिस्ट्रार डॉ। मुकुंद शर्मा, वरिष्ठ वैज्ञानिक बीएसआईपी के वीसी प्रो। एसपी सिंघ, पीवीसी प्रो। यूएन द्विवेदी, एफओ प्रो। पीसी मिश्रा, रजिस्ट्रार प्रो। आरके सिंघ और निदेशक अनुसंधान प्रो। ध्रुव सेन सिंह उपस्थित रहे।

एलयू के रिसर्च स्कॉलर को मिलेगा फायदा

प्रो। धु्रवसेन सिंह ने बताया कि इस करार के साथ ही दोनों संस्थाए बॉटनी के क्षेत्र में एक दूसरे का सहयोग करेंगी। केंद्रीय शोध संस्थान से मिलकर एलयू में शोध का माहौल और बेहतर होगा। एमओयू हस्ताक्षर होने के बाद एलयू के पीएचडी बीएसआईपी के वैज्ञानिकों को अपना शोध पर्यवेक्षक बना सकेंगे। इसी तरह एलयू के शिक्षक बीएसई के स्टूडेंट्स के शोध पर्यवेक्षक बन सकेंगे। इतना ही नहीं दोनों संस्थाए एक दूसरे की लैब का उपयोग भी कर सकेंगी। इस तरह से पेलियोबॉटनी के क्षेत्र में नए रिसर्च होने की संभावानएं बढे़गी। प्रो। धु्रवसेन सिंह ने बताया कि दोनों संस्थाओं के बीच करीब 11 साल के बाद एक बार फिर से रिसर्च को बढ़ावा देने के लिए एमओयू किया गया है।