दिल्ली गवर्नर से भिड़े केजरीवाल

आप मुखिया अरविंद केजरीवाल ने बीते कुछ दिनों में धुमिल हुई अपनी छवि को फिर से ट्रेक पर लाने के प्रयास शुरु कर दिए हैं. ताजा मामले में सीएम केजरीवाल ने प्रदेश के मुख्य सचिव को आधिकारिक चिठ्ठी लिखकर आदेश दिया है कि लैंड एवं दिल्ली पुलिस से जुड़ी फाइलें अब दिल्ली गवर्नर के ऑफिस से पहले सीएम ऑफिस में पहुंचाई जाएं. दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव उमेश सहगल ने सीएम केजरीवाल के इस कदम को सीधे-सीधे गवर्नर के अधिकारों के उल्लंघन से जोड़ा है. दरअसल दिल्ली के केंद्रशासित प्रदेश होने की वजह से इस प्रदेश की सभी विधाई शक्तियां राज्यपाल के निहित हैं. दिल्ली पुलिस और लैंड से जुड़े मामलों पर कार्रवाई करने का अधिकार गर्वनर को है क्योंकि वह राज्य में केंद्र सरकार का प्रतिनिधि है.

सीएम केजरीवाल ने चलाया नया तीर

सीएम केजरीवाल ने अधिकार उल्लंघन के आरोप का बचाव करने के लिए दिल्ली-एनसीटी एक्ट का सहारा लिया है. आप सरकार ने इस कानून का सहारा लेते हुए मुख्य सचिव को चिठ्ठी लिखी है. इसके साथ दिल्ली सरकार ने अपनी छवि को दुरस्त करने के लिए कई नए आदेश जारी किए हैं. इन आदेशों में दिल्ली नागरिकों के सेना या दिल्ली पुलिस की ड्यूटी करते हुए शहीद होने पर एक करोड़ का मुआवजा, मजदूरी दरों में बढ़ोत्तरी और मजदूरों का रजिस्ट्रेशन, ई-राशनिंग जैसे आदेश शामिल हैं.

किसको मिलेगी कितनी मजदूरी

आप सरकार ने मजदूरी दरों में वृद्धि करते हुए एक बड़े मतदाता वर्ग को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया है. नए आदेश में असंगठित एवं कंस्ट्रक्शन साइट्स पर लगे श्रमिकों की मिनिमम वेजे 8632 से बढ़कर 9048 रुपये हो गई है. ट्रेंड और सेमी-ट्रेंड लेबर्स की वेजेज बढ़कर 9,542 से 10,010 रुपये हो गई है. इसके अलावा ट्रेंड कारीगर की वेजेज बढ़कर 10,478 से 10,998 रुपये हो गई है. ग्रेजुएट्स की मिनिमम सेलरी अब 11,414 से बढ़कर 11,966 रुपये हो गई है.

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