1. दाद साहेब फाल्के का जन्म 20 अप्रैल साल 1870 में महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर में हुआ था। उनके पिता अपने जमाने के जाने माने विद्वानों मे से एक थे। दादा साहेब की पढा़ई लिखाई की बात की जाए तो उन्होंने अपनी पढा़ई मुंबई के जेजे स्कूल ऑफ आर्ट से की थी।

2. जेजे स्कूल ऑफ आर्ट्स से अपनी शुरुआती पढा़ई पूरी करने के बाद उन्होंने मूर्तिकला, चित्रकारी, फोटोग्राफी और इंजीनियरिंग से अपनी पढा़ई वडोदरा के महाराजा सैयाजीराव यूनिवर्सिटी ऑफ बडौ़दा से पूरी की।

3. बता दें की दादा साहेब फाल्के ने अपना करियर बतौर डायरेक्टर या एक्टर नहीं बल्कि बतौर फोटोग्राफर शुरू किया था। उस वक्त वो गोधरा में फोटोग्राफर के तौर पर काम कर रहे थे। उस समय वहां प्लेग की महामारी फैली थी जिसकी वजह से उनकी पत्नी और बच्चे का निधन हो गया था।

4. फोटोग्राफर बनने के बाद दादा साहेब ने भारत के पुरातत्व विभाग में भी नौकरी की। इसके बाद उन्हें ये काम रास नहीं आया और उन्होंने खुद का प्रिटिंग प्रेस शुरू करने का सोचा। प्रिटिंग प्रेस के शुरुआती दिनों में उन्होंने राजा रवि वर्मा के साथ काम किया था।

5. कहा जाता है कि दादा साहेब ने अपने एक साथी के साथ मिल कर जो मूक फिल्म बनाई थी द लाइफ ऑफ क्राइस्ट। इस फिल्म पर काफी विवाद हो गया था और फिर दादा साहेब का मन भटकने लगा और इसके बाद उन्होंने इस फिल्म को छोड़ अपनी पहली फीचर फिल्म बनाने की ओर ध्यान दिया जिसका नाम था हरिशचंद्र।

6. बता दें की भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की शुरूआत दादा साहेब फाल्के ने ही की थी जो आज दुनिया की काफी बडी़ इंडस्ट्रियों में से एक है। लोग विदेशों से भी भारतीय फिल्मों में काम करने के लिए आते हैं। दादा साहेब ने अपने फिल्मी योगदान से भारतीय सिनेमा को कहां से कहां पहुंचा दिया।

7. जान लें कि हिंदी सिनेमा को दुनिया भर में एक पहचान दिलाने वाले दादा साहेब फाल्के का 16 फरवरी साल 1944 में निधन हो गया पर उनके योगदान को हमेशा याद रखने के लिए आज उनके नाम पर फिल्म जगत का सबसे बडा़ अवॉर्ड है जो इस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करने वाले को ही दिया जाता है।

8. कहा जाता है कि अपने जीवन के अंतिम समय में दादा साहेब को आखिरी बार फिल्म बनाने की इच्छा हुई जिसके लिए उन्हें ब्रिटिश सरकार से मंजूरी चाहिए थी। इसके लिए उन्होंने सरकार चिठ्ठी लिखी थी पर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें फिल्म बनाने की इजाजत नहीं दी और इस वजह उन्हें गहरा सदमा लगा जिस वजह से वो दो दिन के भीतर ही दुनिया को अलविदा कह गए।

9. दादा साहेब फाल्के के हिंदी सिनेमा के शुरुआती दिनों में भारी योगदान देने के लिए उनकी 25वीं पुण्यतिथि पर यानी की साल 1969 से उनके नाम पर दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड का चलन शुरु हुआ जो फिल्म जगत के सभी अवॉर्ड्स से श्रर्वश्रेष्ठ माना जाता है।

10. इस अवॉर्ड के चलन शुरू होने के बाद से खबरों के मुताबिक पहला दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से उस समय की जानी मानी अभिनेत्री देविका रानी को सम्मानित किया गया था। मालूम हो कि इस साल का दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड विनोद खन्ना को दिया गया है। दादा साहेब फाल्के के नाम पर इतना ही नहीं भारत सरकार ने साल 1971 में डाक टिकट भी जारी किया था।

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