हमारी पृथ्वी गोल नहीं:

पृथ्वी को लेकर अक्सर ही लोग कहते हैं कि हमारी पृथ्वी गोल है, लेकिन यह सत्य नही हैं। यह गोल क्षेत्र जरूर है, लेकिन गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से यह एक पूर्ण चक्र नहीं है। यह साफ है कि इस वजह से भूमध्य रेखा के चारों ओर एक उभार सा उठा है जो इसको गोल दिखाने में मदद करता है। यह इक्वेटोरियल त्रिज्या 3,963.34 मील की दूरी पर है, जबकि पृथ्वी के ध्रुवीय त्रिज्या, 3,949.99 मील की दूरी पर है। जिससे साफ है कि पृथ्वी गोल नहीं है।

गर्म और ठंडा तापमान:

पृथ्वी के ठंडे और गर्म तापमान को लेकर भी दुनिया में अलग अलग भ्रांतिया हैं। कोई किसी देश को बताता तो कोई किसी देश को, लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक धरती का सबसे ठंड स्थान 21 जुलाई 1983 में  वोस्तोक स्टेशन पर दर्ज किया गया था। यह स्टेशन अंटार्कटिका में हैं और यहां का तापमान -100 degrees F दर्ज हुआ था। इसके अलावा सबसे गर्म स्थान 13 सितम्बर, 1922 को रिकार्ड किया गया। जिनमें दुनिया के दो शामिल थे। अजीजिया, लीबिया में कुल तापमान 136 डिग्री एफ दर्ज हुआ। इन दोनों ही मौसमों की मार से इन देशों में काफी परेशानी हुई थी।

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सबसे ऊंचा माउंट एवरेस्ट नहीं:

लोग पृथ्वी का सबसे ऊंचा प्वाइंट माउंट एवरेस्ट है, लेकिकन यह भी एक बहुत बड़ा सच है कि ऐसा बिल्कुल नहीं हैं। बस इतना है कि यह दुनिया के बड़े व ऊंचे मशहूर पहाड़ों में से एक है, क्योंकि इसकी ऊंचाई 29,035 फुट हैं। यह समुद्र की सतह से 8850 मीटर की ऊंचाई हैं। यह भूमध्य रेखा के साथ कुछ खास सितारों के थोड़ा करीब है। वहीं अगर धरती के क्रेद्र से देखें तो पृथ्वी पर तकनीकी रूप से "टक्कर" माउंट Chimborazo लेता हैं। माउंट Chimborazo की ऊंचाई धरती से सिर्फ 20,564 फुट है। जब कि समुद्र से 6310 मीटर की ऊंचाई पर है।

"पृथ्वी" एंग्लो शब्द:

पृथ्वी के नाम को लेकर भी कम ही लोगों को इसकी हकीकत पता है। कुछ लोग इसे यूनानी भगवान के नाम पर बताते हैं तो कुछ लोग इसको जमीन आदि। वहीं कुछ कहते हैं कि मिट्टी भी इसका मतलब है। जब यह पृथ्वी शब्द ग्लो-सैक्सन शब्द erda से है। यह भी करीब 1000 से अधिक का पुराना बताया जाता है। इसके अलावा यह भी एक खास बात है कि पूरे ब्रम्हांड 71% प्रतिशत में पानी मतलब तरल पदार्थ है। बहुत ही कम लोगों को यह पता है।

एक दिन में 24 घंटे नहीं.

अधिकांश लोग यही मानते हैं कि एक दिन में 24 घंटे ही होते हैं, लेकिन शायद आप भी सुनकार चौक जायेगे कि पूरी तरह से यह सच नहीं हैं। एक दिन में केवल 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकंड होते हैं। इतने ही वक्त में पृथ्वी अपनी गति पूरी कर लेती है।

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