ये हैं गंगा दशहरा के महत्व की कहानी

60000 पुत्र पूरी तरह पृथ्वी पर कोसते हुए पूर्व और उत्तर की दिशा के कोने तक कपिल मुनि के आश्रम पहुंचे जहां पर घोड़ा की बनावट के घोड़े को देख कर के साठ हजार पुत्र उसे लेकर के मुनि के पास पहुंचे और उन्हें चोर-चोर कह कर चिल्लाने लगे। इसी बीच कपिल मुनि ने आंखें खोली और आंख खुलते ही मुनि के क्रोध में महाराज सागर के साठ हजार पुत्रों को देखा और वो जलकर राख हो गए। महाराज सागर की दूसरी रानी के पुत्र असमंजस थे। असमंजस के पुत्र अंशुमान थे। अंशुमान घोड़े को ढूंढते हुए कपिल मुनि के पास पहुंचे। अंशुमान ने उनके चरणों में प्रणाम किया मुनि प्रसन्न हुए और उन्होंने यज्ञ के घोड़े को घर ले जाने की आज्ञा दे दी, कहा कि तुम्हारे 60000 चाचाओं का उद्धार केवल और केवल गंगाजल से होगा। दूसरा कोई उपाय इस पृथ्वी पर नहीं है। गंगा जी को पृथ्वी पर लाने के लिए अंशुमान और उसके उनके पुत्र दिलीप ने जीवन भर अपेक्षा की परंतु गंगा को पृथ्वी पर नहीं ला सके और समय आने पर इनकी भी मृत्यु हो गई इसके बाद दिलीप के पुत्र भगीरथ ने घोर तपस्या की और गंगा जी ने उन्हें दर्शन दिया और उन्होंने गंगा स्तुति कर उन्हें पृथ्वी पर आने के लिए कहा।

गंगा के उच्चारण मात्र से हो जाएगा उद्धार

भारतीय संस्कृत में मां गंगा समस्त पापों का नाश करने वाली और अक्षय पुण्य फल प्रदान करने वाली हैं। गंगा की उच्चारण मात्र से पापों का नाश होने लगता है। मां गंगा की महिमा का वर्णन स्वयं भगवान विष्णु भी सैकड़ों वर्षों में नहीं कर सकते। गंगा जी का महत्व कई जगह पर है महा भागवत पुराण में गंगा का अत्याधिक महत्व बताया गया है महाभारत में तो यहां तक कहा गया है कि जो व्यक्ति समर्थ होते हुए भी गंगा का दर्शन नहीं करते हैं वे पंगु और मुर्दों के समान हैं। गंगा जी की भक्ति करने का अनंत पुण्य फल है जो व्यक्ति गंगा से संयोजन लाख योजन दूर खड़ा होकर भी गंगा-गंगा का उच्चारण करता है, उसके भी पापों का नाश हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। जैसे ब्रह्मलोक सभी लोगों में श्रेष्ठ बताया गया है, वैसे ही स्नान करने वाले पुरुषों के लिए गंगा जी सभी नदियों में सिस्ट बताई गई हैं। गंगा के केवल 1 किलो जल के पान करने से अश्वमेघ यज्ञ का फल प्राप्त हो जाता है।

गंगा दशहरा में गंगा स्नान से दूर होते हैं दस प्रकार के पाप, जानें पूजा विधि

घर पर ही इस तरह कमाई गंगा स्नान का पुण्य

यदि आप गंगा दशहरा को गंगा स्नान करने नहीं जा सकते तो घर पर ही गंगा दशहरे में गंगा स्नान का पुण्य कमाए आप अपने घर के स्नान करने वाले जल पर 11  बूंद गंगाजल डाल दे 1 तुलसी दल और कुश डाल दें। पश्चात पतित पावनी मां गंगा का ध्यान करते हुए स्नान करें। गंगा मोक्ष दायिनी है, पापों का नाश करने वाली है, गंगाजल को पीने मात्र से मनुष्य निरोगी रहता है। वर्तमान में प्रदूषित गंगा को शुद्ध करने का सभी लोगों को प्रथम पालन करना चाहिए। गंगा दशहरा के अवसर पर अभी गंगा सफाई अभियान में बढ़-चढ़कर भाग लेना चाहिए और गंगा मैया के जन्मदिन गंगा दशहरा के दिन 10 फल 10 दीपक और 10 किलो तेल या आपके घर में जितने सदस्य हैं उतने किलो श्रद्धा के अनुसार ओम श्री गंगाई नमः कहकर दान करें कि युक्त तू और गुड़ के पिंड में जल डालकर और श्रद्धा तथा पूर्वक सच्चे मन से समस्त नर नारी को करना चाहिए। इससे समस्त पापों का नाश होता है और अक्षय पुण्य फल की प्राप्ति तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है।

पंडित दीपक पांडे