-डीएम ने मानसून से पहले खस्ताहाल सड़कों को दुरुस्त करने के निर्देश की औपचारिकता पूरी की

-हर साल सड़कों को ठीक करवाने का ढोंग करते हैं अफसर, छह सालों में कभी नहीं हुआ अमल

- खुदाई वाले प्वाइंट्स के आसपास शोरूम, दुकानदारों व काम करने वाले मुश्किल में

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KANPUR : बारिश के मौसम में जलभराव, सड़कों का धंसना, जगह-जगह गढ्डे होना, रोड एक्सीडेंट्स अपने शहर में आम बात है। इसीलिए मानसून से पहले अफसरों ने 'मिशन इम्पॉसिबल' फरमान जारी कर दिया है। आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन लगातार पांच सालों से जारी होने वाला यह फरमान कभी भी अपनी डेडलाइन मीटआउट नहीं कर सका। जानिए क्या है शहर की सड़कों के लिए 'मिशन इम्पॉसिबल' फरमान और इसके पीछे की हिस्ट्री

मानसून से पहले-पहले

शहर की सड़कें मानसून का सीजन झेलने लायक नहीं रहीं। इसका अहसास प्रशासनिक अफसरों को भी है। इसीलिए रोड मेंटीनेंस को लेकर फरमान जारी कर दिया गया। डीएम डॉ। रोशन जैकब ने मानसून से पहले-पहले जर्जर सड़कों को युद्धस्तर पर बनवाने का पीडब्लूडी अफसरों को दिया है। इनमें लाल इमली, चुन्नीगंज, परेड आदि सड़कें प्रायोरिटी बेसिस पर शामिल हैं। मुख्य चौराहों की सड़कों पर अभियान चलाकर बारिश से पहले मेंटीनेंस करवाया जाना है।

चंद सेकेंड में मिट्टी स्नान

गहरी सीवर लाइन डाले जाने की वजह से फूलबाग, परेड, लाल इमली, चुन्नीगंज आदि सड़कें खस्ताहाल हैं। यहां से निकलने का मतलब है, मिट्टी स्नान करना। आई नेक्स्ट टीम ने जब इन प्वाइंट्स का रिएलिटी चेक किया तो पता चला कि वहां के ऑफिसेज, दुकानों और शोरूम में काम करने वाले खासे परेशान हैं। पार्किग में खड़ी कारें और बाइकों पर मिट्टी की मोटी-मोटी परतें जमा हो गई थीं। इन प्वाइंट्स से निकलने वाला हर शख्स मुंह पर रूमाल बांधकर गुजर रहा था। वहीं दुकानों के अंदर तक फर्श पर भी धूल की परत दिखी। शोरूम के कर्मचारी मोनू और सुमित ने बताया कि यहां कुछ देर रुक जाओ तो दम घुटने लगता है। खुदाई करके पाइप डाल दिए गए, लेकिन काम पूरा होने के बाद भी सड़क नहीं बन रही।

लगातार छह सालों से

मानसून से पहले शहर की सड़कों को बनाये जाने का फरमान लगातार छह सालों से जारी किया जा रहा है। मगर, इन आदेशों पर कभी भी सौ फीसदी अमल नहीं हो सका। उल्टा, डेडलाइन की डेट्स आगे बढ़ानी पड़ीं। चिंता जताने और दिखाने के लिए आला अफसर जिम्मेदार विभागीय अफसरों संग मीटिंग जरूर कर लेते हैं। मगर, नतीजा सिफर ही निकला। इसकी अहम वजह जिम्मेदार विभागों की लापरवाही व कामचोरी है। नगर निगम, पीडब्लूडी, जलसंस्थान, जलकल विभाग ढेरों तर्क और मुश्किलें बताकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। आखिर में अंजाम पब्लिक को भुगतना पड़ता है।

हर साल अलग डेडलाइन

अब आपको बताते हैं मानसून से पहले दी जाने वाली रोड कंस्ट्रक्शन की डेडलाइन्स। जब से शहर की सड़कें खुदना शुरू हुई हैं, हर साल रोड मेंटीनेंस की डेडलाइन जारी कर दी जाती है। आम तौर पर इसकी शुरुआत 15 मई से होकर 15 जून पर खत्म होती है। हालांकि, काम पूरा नहीं होने पर यह डेडलाइन मानसून के बीच में भी बढ़ा दी जाती है। सन-2013 का ही उदाहरण ले लीजिए। 15 जून तक सड़कें नहीं बनी तो इसे बढ़ाकर 25 जून कर दिया गया।

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इन रोड्स की हालत खस्ता -

ø लाल इमली

ø चुन्नीगंज

ø परेड

ø दलेलपुरवा

ø फूलबाग से शुक्लागंज रोड

ø डीबीएस कॉलेज से चावला मार्केट

ø दीप सिनेमा के सामने साकेत नगर

ø देवनगर से आचार्य नगर

ø चन्द्रिका देवी चौराहा से अफीम कोठी

ø हरवंशमोहाल

ø शारदा नगर रोड रेलवे लाइन के पैरलल

ø कमिश्नर बंगला चौराहा से मैकरॉब‌र्ट्सगंज ढलान

ø खलासी लाइन

ø जीटी रोड वाइडनिंग वर्क

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बॉक्स-बॉक्स

साइड एफेक्ट्स

बारिश के कारण राहगीरों व वाहन चालकों को होने वाली प्रॉब्लम्स -

ø रोड पर केव-इन

ø सड़कों का धंसना

ø रोड एक्सीडेंट्स

ø अंधेरे में गिरकर चुटहिल हो जाना

ø विभिन्न इलाकों में भीषण जलभराव

ø सीवर, नाले-नालियों का चोक हो जाना

ø वाहनों का क्षतिग्रस्त होना

ø जलभराव में फंसने से बाइक-कारें स्टार्ट नहीं होती

ø अचानक सड़क फटने से गाडि़यां समा जाने की घटना

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ॉक्स-बॉक्स

मानसून के मद्देनजर ईयरवाइज रोड मेंटीनेंस की डेडलाइन -

ईयर डेट

2010 15 मई

2011 20 मई

2012 15 जून

2013 15 जून

2014 18 जून

2015 20 जून

नोट : (सिटी में मानसून 20 जून के आसपास प्रपोज्ड है। डीएम ने निर्धारित तारीख तक खुदी रोड्स, मेन चौराहों का मेंटीनेंस प्रायोरिटी बेसिस पर करने के आदेश दिए हैं)

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पब्लिक वर्जन

ø मैं यहां अपने काम से आया था। बेतरतीब खुदाई के कारण इतनी धूल उड़ रही है कि बिना रूमाल बांधे पल भर भी रुकना मुमकिन नहीं है। कपड़े तो धूल की वजह से पहले ही खराब हो चुके हैं। मगर, अपनी हेल्थ मुझे प्यारी है।

- मोहन, सर्विसमैन

ø हमारे शोरूम में तो अंदर तक धूल घुस जाती है। शाम होते-होते ऑफिस के अंदर और बाहर कारों पर धूल-मिट्टी की परतें जमा हो जाती हैं।

- मोनू, सर्विसमैन

ø कई दिनों से खुदाई का काम चल रहा है। कब खत्म होगा, इसका पता नहीं। मेरा कहना है कि अगर रोड खोदी गई है तो काम पूरा होने के बाद कम से कम नए सिरे से बना देना चाहिए, जिससे पब्लिक को प्रॉब्लम फेस न करनी पड़े।

- सुमित, सर्विसमैन

ø मैं तो यहां बिल्डिंग में पेंटिंग का काम दो दिनों से कर रहा हूं। पर मिट्टी और धूल ने परेशान करके रखा हुआ है। ठेका ले लिया था इसलिए काम कर रहा हूं। अगर पहले साइट देखी होती तो काम ही हाथ में न लेता।

- किशन लाल