-नेक्स्ट विंटर सीजन आने के पहले जू की झील मगरमच्छ विहीन होगी

-विदेशी प्रवासी पक्षियों की घट रही संख्या की वजह से लिया गया फैसला

-मगरमच्छ के हमलों से दिन पर दिन कम हो रहे हैं विदेशी पक्षी

KANPUR: एक वक्त था जब जू की झील को हजारों की संख्या में रूस, अफगानिस्तान, मंगोलिया से आए हुए प्रवासी पक्षी अपना आशियाना बना लेते थे। लेकिन पिछले कुछ सालों से ये मनोरम दृश्य देखने को नहीं मिल रहा है। झील से विदेशी पक्षी गायब होते जा रहे हैं, जिसकी मुख्य वजह झील के मगरमच्छ बताए जा रहे हैं। दरअसल यह विदेशी चिडि़यां मगरमच्छ का भोजन बन रही हैं। गंभीर होते स्थिति को भांपते हुए अब जू प्रशासन ने मगरमच्छों को बाहर करने का डिसीजन लिया। अब तक झील से 18 मगरमच्छ पकड़े भी जा चुके हैं। जिन्हें जल्द ही करतनिया घाट या फिर दुधवा नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा। जिसके बाद एक बार फिर कानपुर जू की झील विदेशी परिंदों से गुलजार हो जाएगी।

झील से 80 मगरमच्छ होंगे बाहर

जू की झील का ग्राउंड मगरमच्छ का ब्रीडिंग सेंटर बन गया है। जू डॉक्टर आरके सिंह का कहना है कि झील में करीब 80 मगरमच्छ हैं। जिन्हें हटाया जा रहा है। एक बार फिर जू की झील विदेशी पक्षियों का आशियाना बनेगी।

दस फिट लंबा मगरमच्छ पकड़ा

झील से पकड़ा गया एक मगरमच्छ दस फीट लंबा है और उसका वजन करीब 200 किलो ग्राम है। अगस्त से इन मगरमच्छ को पकड़ने का कैंपेन चलाया जा रहा था। इन्हें पकड़ने के लिए आटोमेटिक केज का यूज किया जा रहा है। जाल में फंसाने के लिए लॉयन या फिर टाइगर का बचा हुआ खाना इन्हे फेंका जाता है। इसी लालच में फंसकर ये पिंजरे में आ जाते हैं। अब तक 18 मगरमच्छ पकड़े जा चुके हैं। जैसे ही 30 मगरमच्छ पकड़ जाएंगे, वैसे ही उन्हें करतनिया घाट में छोड़ दिया जाएगा। कुछ को दुधवा नेशनल पार्क में छोड़ा जाएगा।

जू की झील में मगरमच्छ नहीं रखे जाएंगे। इसकी परमीशन गवर्नमेंट से ले ली गई है। नेक्स्ट विंटर सीजन तक झील से मगरमच्छ हटा दिए जाएंगे ताकि विदेशी प्रवासी पक्षी आराम से अपना टाइम यहां गुजार सकें।

-दीपक कुमार, जू डायरेक्टर