-मंडलीय अस्पताल में पर्ची के लिए मरीजों को लगानी पड़ रही लंबी लाइन

-यहां दो ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर में से सिर्फ एक पर ही पहुंच पाते हैं मरीज

मंडलीय अस्पताल में सुविधाओं के नाम पर करोड़ों रूपए खर्च किये जा रहे हैं। वहीं मरीजों की लंबी लाइन को कम करने की दिशा में अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यहां मरीजों को ओपीडी कार्ड बनवाने के लिए रोज धक्के खाने पड़ते हैं। जिसकी सबसे बड़ी वजह काउंटर की संख्या कम होना है। आंकड़ों की मानें तो यहां रोजाना करीब दो हजार मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं। वैसे तो यहां दो काउंटर हैं। लेकिन एक अस्पताल के पिछले हिस्से में है जहां तक मरीज या उनके तीमारदार पहुंच ही नहीं पाते। जिसके चलते मरीजों को काफी दिक्कत का सामना करना पड़ता है।

बेवजह लगता है समय

यहां के कर्मचारियों की मानें तो अस्पताल में आते ही मरीज व उनके साथ आए अटेंडेंट की वेटिंग प्रक्रिया शुरू हो जाती है। गेट के ठीक बगल में बने रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लगी मरीजों की लाइन कभी-कभी इतनी लंबी हो जाती है कि मरीज गेट के बाहर तक खड़े रहते हैं। सबसे ज्यादा दिक्कत बुजुर्ग और महिलाओं को होती है। हालांकि महिलाओं के लिए उसी काउंटर पर अलग लाइन लगवाई जाती है।

क्या कहते हैं अधिकारी

वहीं अधिकारियों की मानें तो काउंटर बनाने की दिशा में अस्पताल प्रबंधन प्रयासरत है। हॉस्पिटल के पिछले हिस्से में बनी नई ओपीडी में भी एक आउटडोर ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटर बनाया गया है। हालांकि पीछे होने के चलते लोगों को अभी इसकी जानकारी नहीं है। इसलिए मरीज सबसे पहले पुराने काउंटर पर ही कार्ड बनवाने चले जाते हैं।

ऐसा नहीं है कि यहां सिर्फ एक ही काउंटर है। दूसरा काउंटर नई ओपीडी में है। ये अलग बात है कि मरीजों को इसकी जानकारी नहीं है। स्पेस चिन्हित कर जल्द ही दो और काउंटर बनाए जाएंगे।

डॉ। अरविंद सिंह, एमएस, मंडलीय अस्पताल

रोजाना करीब 2 हजार मरीजों की लगती है लाइल

- मरीजों के लिए 2 रजिस्ट्रेशन काउंटर

- एक ही काउंटर पर रहती है पूरी भीड़

- दूसरे काउंटर को नहीं ढूढ़ पाते मरीज

- हॉस्पिटल के पिछले हिस्से में है दूसरा काउंटर