पटना के 1 लाख लोगों को 3 साल से 2 अरब रुपए पाने का इंतजार, पीएसीएल में किया है निवेश

PATNA (27 Jan) : देशभर में चिटफंड कंपनी पर्ल एग्रोटेक कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसीएल) के लाखों निवेशकों का पैसा बीते पांच साल से दांव पर है। किसी ने बेटी की शादी की आस में तो किसी ने अपना नया बिजनेस खड़ा करने की उम्मीद लिए इस कंपनी में निवेश किया था। पटना से भी करीब एक लाख निवेशकों ने इसमें अपना पैसा लगाया था। यह करीब 20 हजार रुपए औसत के हिसाब से दो अरब रुपए होता है। हद तो यह है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जस्टिस आर एस लोढ़ा कमेटी का गठन किया गया। कमेटी ने छह माह की समय सीमा देते हुए पीएसीएल को दिसंबर, 2016 तक सभी निवेशकों का पैसा लौटाने को कहा था। लेकिन वर्तमान स्थिति ढांक के तीन पात जैसी ही है।

यह है चिटफंड का मामला

यह चिट फंड कंपनी 1983 से रियल इस्टेट के क्षेत्र में काम काम कर रही है। यह कंपनी तब तक लगातार निवेशकों का पैसा दे रही थी। लेकिन 22 अगस्त, 2014 को यह कंपनी सेबी के द्वारा इसकी गतिविधियों को प्रतिबंधित कर दिया गया।

सेबी ने कंपनी को निर्देश दिया कि तीन माह में निवेशकों का पैसा लौटा दे। चूंकि मात्र तीन माह में यह संभव नहीं था। इसलिए यह कंपनी सिक्योरिटीज एपीलेट ट्राइब्यूनल (सैट) में चली गई। यहां भी कंपनी ने कहा कि तीन माह में निवेशकों का पैसा नहीं दे पाएंगे। फिर भी इस अपील को ठुकराते हुए तीन माह में पैसा देने का आदेश सैट ने दिया। इसके बाद कंपनी सुप्रीम कोर्ट में चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में पूर्व जस्टिस आरएम लोढ़ा के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया।

5 लाख करोड़ की है प्रॉपर्टी

इससे पहले सीबीआई ने भी पीएसीएल की परिसंपत्ति की जांच की। जांच में पता चला कि पीएसीएल के पास पांच लाख करोड़ की प्रापर्टी है। जबकि कस्टम की देनदारी 60 हजार करोड़ है। लोढ़ा कमेटी ने भी संज्ञान लेते हुए 6 माह में कंपनी की संपत्तियों को बेचकर निवेशकों का पैसा लौटाने का निर्देश दिया था। फरवरी, 2018 में मात्र 2500 निवेशकों का पैसा लौटाया गया था।

बिहार में पांच लाख निवेशक

पीएसीएल में बिहार के करीब 5 लाख लोगों ने निवेश किया था। जो अपना पैसा वापस मिलने की आस में बैठे हैं। केवल पटना की बात करें तो यहां करीब एक लाख से अधिक निवेशक हैं। इन्हें न तो कंपनी और न ही पैसा जमा कराने वाले एजेंट से लोगों को सही जानकारी नहीं मिल रही है।

बना ली राजनीतिक पार्टी

पीएसीएल मामले को लेकर बिहार ही नहीं देश भर में आंदोलन चल रहा है। कई बार सेबी के अधिकारियों से भी बात कर मामले का जल्द निपटारा करने की मांग की गई है। लेकिन जब निवेशकों का पैसा नहीं मिला तो निवेशकों ने मिलकर एक राजनीतिक पार्टी भारतीय लोक सेवा दल का गठन कर लिया। इस पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता विकास त्रिपाठी ने कहा कि 70 हजार लोग इससे जुडे़ है। लक्ष्य यह है कि राजनीतिक पार्टी बनकर संसद में निवेशकों के प्रतिनिधि जाएंगे और तब आवाज और बुलंद होगी।