सेव इन्वॉयरमेंट का मैसेज

कंधों पर देश का भविष्य संवारने की जिम्मेदारी है इसलिए काफी समय क्लासेज में स्टूडेंट्स के बीच बिताते हैंं। बावजूद इसके अपनी रिस्पांसिबिलिटी से मुंह नहीं मोड़ते। क्लास के बाहर भी वह उतने ही सजग हैं जितने कि भीतर। सोसायटी को सेव इन्वॉयरमेंट का मैसेज देने के साथ खुद को फिट रखने के लिए डेली कई किमी साइकिलिंग करते हैं। सिटी के प्रामिनेंट इंस्टीट्यूशंस के इन टीचर्स को देखकर दूसरे भी मोटीवेट हो रहे हैं.

डेली चलाते हैं 20 किमी। साइकिल

आईआईआईटी के अप्लाइड साइंसेज डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ। सीवीएस शिवा प्रसाद पिछले तीन सालों से लगातार साइकिलिंग कर रहे हैं। वह डेली 20 किमी साइकिल चलाते हैं। इससे उनकी एक्सरसाइज भी होती है और घर के सभी काम भी निपट जाते हैं। वह बताते हैं कि आमतौर पर टीचर्स का फिजिकल लेबर काफी कम करना पड़ता है। डेली 8 से 9 घंटे कम्प्यूटर वर्क करने की वजह से शोल्डर, बैक पेन की पॉसिबिलिटी बनी रहती है। ऐसे में वह साइकिलिंग के जरिए डेली एक्सरसाइज करते हैं। उनके मुताबिक मॉर्निंग में साइकिलिंग करने से उनकी बॉडी में कैल्शियम डिफिशिएंसी के चांसेज भी कम होते हैं। उनको देखकर क्लास के दूसरे स्टूडेंट भी मोटीवेट हो रहे हैं। वह साइकिलिंग को इन्वॉयरमेंट सेव रखने का बेहतर ऑप्शन मानते हैं.

पहल हमें करनी होगी

जिस तरह से सड़कों पर व्हीकल्स का रश बढ़ रहा है उससे फ्यूचर में जाम एक बड़ी प्रॉब्लम बन जाएगी। इससे बचना है तो साइकिलिंग को प्रमोट करना होगा। यह कहना है आईआईआईटी के आईटी डिपार्टमेंट के टीचर डॉ। त्रिलोकी पंत का। वह पिछले 12 सालों से डेली दस से बाहर किमी साइकिलिंग करते हैं। उनके मुताबिक यह हंड्रेड परसेंट इको फ्रेंडली है और इससे वह खुद को फिट रखते हैं। घर में बाइक होने के बावजूद वह इसका यूज ना के बराबर करते हैं। शुरुआत से ही स्पोट्र्स पर्सन होने की वजह से उनको साइकिलिंग से हमेशा से प्यार रहा है। वह कहते हैं कि अगर लोग व्हीकल से अपनी निर्भरता कम कर दें तो जाम और पॉल्यूशन की प्रॉब्लम को काफी हद तक कम किया जा सकता है.

यहां तो व्हीकल लाना बिल्कुल मना है

तेलियरगंज के एक नेशनल लेवल इंजीनियरिंग इंस्टीट्यूट में पिछले कुछ सालों से व्हीकल लाने पर प्रतिबंध लगाया गया है। केवल स्टाफ या टीचर्स ही व्हीकल से एंट्री कर सकते हैं, जबकि स्टूडेंट साइकिल के जरिए पढ़ाई के लिए आते हैं। इसके पीछे इंस्टीट्यूट का मकसद सोसायटी को इको फ्रेंडली थिंकिंग डेवलप करने का मैसेज देना है। इसको देखते हुए कुछ दूसरे इंस्टीट्यूट भी ऐसा करने की प्लानिंग करने का मन बना रहे हैं.