शहर में 14 लाख की आबादी मान कर जलापूर्ति कर रहा है विभाग

वर्तमान आंकड़ों की मानें तो आबादी है 20 लाख से अधिक

ALLAHABAD: नमस्कार दोस्तों ! उम्मीद है ईश्वर की कृपा से आप सब सकुशल होंगे और गर्मा-गर्म चाय की प्याली हाथ में होगी। दोस्तों, आज की ताजा खबर यह है कि अपने शहर की एक तिहाई आबादी को पानी ही नहीं मिल रहा है। चौंकिए मत, दरअसल ये जमीनी हकीकत विभागीय आंकड़े दर्शा रहे हैं। आजादी से लेकर अब तक बहुत कुछ बदलाव आप ने देखे हैं। शहर स्मार्ट सिटी बनने की तरफ अग्रसर है। बस नहीं बदली तो पेयजल आपूर्ति की व्यवस्था। पेयजल के तमाम संसाधन होने के बावजूद यहां एक तिहाई आबादी का गला जुगाड़ से तर हो रहा है। जबकि प्रति वर्ष पेयजल आपूर्ति के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। इतने ही रुपए फिर इस व्यवस्था पर खर्च किए जाने की तैयारी है।

दावे और हकीकत में अंतर

नगर निगम और जलकल विभाग जरूरत के मुताबिक जलापूर्ति के दावे कर रहे हैं। वे रिकार्ड में दर्ज शहर की आबादी और प्रतिदिन की जा रही पेयजल आपूर्ति के आंकड़ों का उदाहरण दे रहे हैं। ऐसे में यदि आप शहर की वर्तमान आबादी के आंकड़ों पर गौर करें तो उनके दावे औंधे मुंह नजर आते हैं। यदि आबादी के विभागीय आंकड़े व वर्तमान आबादी में तुलना की जाय तो यह पता चलता है कि एक तिहाई आबादी को अब भी प्रति दिन पानी नहीं मिल रहा है। नगर निगम के जलकल विभाग की मानें तो शहर की आबादी 14 लाख है। जबकि वर्तमान में शहर की आबादी 20 लाख से अधिक है। यह बात जलकल विभाग के अफसर भी दबी जुबान स्वीकार करते हैं। वर्ष 2001 में शहर की आबादी दस लाख थी। 2011 की जनगणना के अनुसार यह संख्या 14 लाख के करीब पहुंच गई। गौर करने वाली बात यह है कि वर्तमान में 14 लाख की आबादी को ही मानक मान कर पेयजल की व्यवस्था की जा रही है। बता दें कि सरकार द्वारा प्रति व्यक्ति जल उपयोग का मानक पहले 135 लीटर परडे था। अब इसे 170 लीटर परडे कर दिया गया है।

340 मीलियन लीटर की है जरूरत

इलाहाबाद शहर को पर डे करीब 340 मीलियन लीटर पानी की जरूरत है। नगर निगम का जलकल विभाग 236 एमएलडी पानी की ही आपूर्ति कर रहा है। विभाग की मानें तो 336 एमएलडी पानी की आपूर्ति में क्षतिग्रस्त पाइप लाइन लीकेज व अन्य कारणों से 30 प्रतिशत यानी करीब 100 एमएलडी पानी परडे वेस्ट हो रहा है।

फैक्ट फाइल

20 लाख से अधिक है शहर की आबादी

170 लीटर प्रतिदिन पानी का प्रति व्यक्ति मानक

- निगम के रिकार्ड में 14 लाख की आबादी पर 210 एमएलडी पेयजल परडे आपूर्ति का है मानक

- 210 एमएलडी जरूरत के सापेक्ष जलकल विभाग द्वारा 336 एमएलडी पानी की करता है सप्लाई

- पर-डे आपूर्ति होने वाले पानी का 30-40 प्रतिशत यानी 100-120 एमएलडी पानी हो जाता है वेस्ट

256

एमएलडी पानी की परडे ट्यूबवेल से की जाती है सप्लाई

80

एमएलडी पानी की यमुना से परडे शहर में की जाती है आपूर्ति

01

तिहाई शहर की आबादी पानी सप्लाई से है वंचित

62

सेंटीमीटर प्रति वर्ष की दर से घट रहा है वाटर लेवल

पेयजल आपूर्ति के संसाधन

- 257 बड़े ट्यूबवेल

- 306 मिनी ट्यूबवेल

- 2664 हैंडपंप

- 48 टैंकर

- 47 ओवर हेड टैंक

शहर में पेयजल आपूर्ति के संसाधन की कोई कमी नहीं है। इसके बाद भी पेयजल आपूर्ति की समस्या बनी रहती है। क्योंकि कभी ट्यूबवेल जला रहता है, तो कहीं पाइप लाइन ही टूटी हुई है। जिसकी मरम्मत ही नहीं होती है।

शिवसेवक सिंह

पूर्व पार्षद

योजनाओं में लापरवाही और मनमानी की वजह से आज शहर में पेयजल आपूर्ति की समस्या बनी हुई है। जबकि करोड़ों रुपया पेयजल आपूर्ति के नाम पर खर्च किया जा चुका है। जेएनएनयूआरएम योजना इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।

कमलेश सिंह

पार्षद

शहर में 2.19 लाख घर हैं। प्रत्येक घर में औसतन 05 से 06 लोग रहते हैं। प्रति व्यक्ति को 170 लीटर पानी उपलब्ध कराना मुश्किल टास्क है। ऐसे में पानी की बर्बादी हमारे भविष्य को खराब बना रही है। जल के संचय के लिए पब्लिक और सरकार दोनों को कदम उठाने होंगे। हर साल वाटर लेवल 62 सेमी घट जाता है।

प्रो। एएआर सिद्दीकी, भूगोल विभाग, इलाहाबाद विवि