अब केवल नाम का रह गया तार

सीनियर टेलिग्र्राफिस्ट(टीएल) राम शरण जी कैपिटल के घंटाघर स्थित केंद्रीय तार घर में तैनात हैं। उनके द्वारा भेजे गए तार की संख्या करोड़ से उपर है। बात करते समय उनकी आंखे कुछ पुराने दिन में खो सी गई। उन्होंने बताया बे तार के तार का समय अब समाप्त हो चुका है। बीते करीब चार वर्ष से वे खुद कंप्यूटर के जरिए तार भेजने व रिसीव करने का काम कर रहे हैं। वक्त के साथ धीरे-धीरे मशीनें पुरानी पड़ती गई और उनका इस्तेमाल खत्म हो गया। ऑफिस में लगे लाईन टर्मिनेटिंग इक्यूपमेंट को देखकर कुछ यादें ताजा हो जाती हैं। सुना है तार की सेवा बंद होने वाली है। वैसे भी विभाग में वे स्वयं और मैसेंजर रामनरेश ही इस सेवा के लिए फिलहाल काम कर रहे हैं।

सरकारी काम के लिए किया जा रहा यूज

जब से फैक्स व इंटरनेट की सर्विस यूज में आई। टेलीग्र्राम का चलन मानों खत्म ही हो गया। आजकल केवल फौजी या फिर पुलिस कर्मी ही इसे इस्तेमाल करते हैैं। वे भी महज सरकारी यूज के लिए। वरना एक समय था कि, यहां लोगों की लाईन लगा करती थी। ऑफिसर बताते हैैं इस सर्विस से विभाग को कोई लाभ नहीं है। डाक विभाग द्वारा कुछ ऐसी ही सेवाएं पूर्व में बंद की जा चुकी हैैं। लोगों के पास विकल्प की कमी नहीं है। इसके साथ ही समय की बचत भी मायने रखती है। तार भेजने और रिसीव करने के लिए कर्मियों को मैनुअली वर्क करना पड़ता था। अब कुछ पल में सूचना एक स्थान से दूसरे स्थान पर आसानी के साथ पहुंच जाती है वो भी काफी कम खर्च में। सर्विस के बंद होने से कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा।

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तार भेजने से पूर्व एक प्रोफार्मा भरा जाता है। जिसके तीन कॉलम होते हैैं। अब इसे कंप्यूटर पर ही अपलोड कर दिया गया है। सबसे अधिक अहमियत डबल एक्स तार को दी जाती थी। जिसमें किसी के डेथ की सूचना को दूसरे स्थान तक पहुंचाने के लिए तार विभाग में कार्य करने वाले कर्मी पूरी तन्मयता के साथ अंजाम देते थे। बदलते समय के साथ मोबाइल फोन, एसएमएस सेवा के साथ ही इंटरनेट ने इस सर्विस को पूरी तरह समाप्त कर दिया। अब कहीं भी मौत या गहन बीमार होने की सूचना को इस सेवा के जरिए नहीं भेजी जाती।

बॉक्स लगाएं

क्ररूद्गस्रद्बड्ड को मिलती थी तरजीह

डीएवी कॉलेज के प्रिंसिपल डा। देवेंद्र भसीन पूर्व में पत्रकार रह चुके हैैं। वर्ष 1984, 85, 86 की बात करते हुए बताते हैैं वो समय ही कुछ अलग था। आज की तरह सुविधाएं नहीं थी। हमें खबर भेजने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था। केंद्रीय तार घर में प्रेस के लिए अलग सुविधा रखी गई थी। हम कई पत्रकार साथी यहीं बैठकर खबरें लिखते और उन्हें भेजने का इंतजार करते। टेलीग्र्राम का इस्तेमाल हमारे लिए लाइफ लाईन की तरह हुआ करता था। पता चला है सर्विस समाप्त की जा रही है। मीडिया के लिए बनाया गया रूम भी अब बंद हो चुका है। अफसोस तो है लेकिन, प्रकृति का नियम भी यही है जिस वस्तु का निर्माण होता है वह एक दिन अपना समय पूरा कर खत्म हो जाती है।

वर्जन-

दरअसल, ये सेवा अप्रासंगिक हो गई है। कई देश में तार सर्विस को बंद भी कर दिया गया। समय के साथ चीजें पीछे छूट जाती हैैं। पता चलता है सर्विस अगले माह से बंद की जा रही है। हालांकि, अभी तक हमारे पास कोई रिटेन लेटर नहीं आया है।

-कृष्णानंद शर्मा, सब डिवीजनल इंजीनियर, बीएसएनएल

स्टेशन टू स्टेशन रन करने वाली ये सेवा अब बंद होने के कगार पर है। इसके पीछे कई सारी वजह है। अहम कारण ये है कि, विभाग को रेवेन्यू नहीं मिल पा रहा है।

-राम शरण, सीनियर टेलिग्र्राफिस्ट