--थड़पखना और ईस्ट जेल रोड में घंटों फंसे रहे वाहन

--तीन घंटे देर से घर पहुंचे बच्चे, परेशान रहे पैरेंट्स

RANCHI (1 Apr) : ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के नाम पर ईस्ट जेल रोड से लेकर डंगरा टोली चौक तक किए गए वन-वे से शनिवार को शहर पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया। नई व्यवस्था के पहले ही दिन सिटी की तीन प्रमुख सड़कों पर वाहनों की लंबी कतार लग गई, जिससे जाम में फंसे लोगों को दफ्तर, घर या अन्य स्थानों पर पहुंचने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। ज्यादातर लोगों को इस नई व्यवस्था के बारे में जानकारी भी नहीं थी, जिसके चलते ट्रैफिक पुलिसकर्मियों के साथ दिन भर लोगों की बकझक भी होती रही।

स्कूली बसों को भी छूट नहीं, लगा लंबा फेरा

स्कूल बसों को भी इस रूट निर्धारण में छूट नहीं दी गई है। इस वजह से शनिवार को कई स्कूली बसें भी जाम में फंसकर रह गईं। नतीजा यह हुआ कि बच्चों को आम दिनों के मुकाबले काफी देर तक बसों में ही घूमना पड़ा। कई बच्चे तो अपने घर तीन घंटे देर से पहुंचे। बस स्टैंड पर खड़े बच्चों के गार्जियन भी परेशान रहे। वे फोन पर बसों के लोकेशन पता कर सड़क के बीच से ही अपने बच्चों को उतारने में व्यस्त रहे।

सर्कुलर रोड में बढ़ी परेशानी

कचहरी से लालपुर जाने वाली सड़क पर लोगों को सबसे ज्यादा परेशानी का सामना करना पड़ा। न्यूक्लियस मॉल के ठीक सामने ईस्ट जेल रोड से वाहनों की लंबी कतार को पास देने के कारण काफी देर तक ट्रैफिक रोका गया। इससे रह-रह कर जाम लगता रहा। उधर, लालपुर चौक से वीमेंस कॉलेज की ओर नो इंट्री रहने के कारण थड़पखना रोड में वाहनों का जबर्दस्त दबाव बढ़ गया। इस सड़क पर वन-वे नहीं था। लगभग एक किलोमीटर तक दोनों ओर से गाडि़यों की लंबी कतार लग गई, जिससे मिशन चौक जाने वाले रास्ते पर भी जाम लग गया।

कई संगठनों ने अव्यवहारिक करार दिया

ट्रैफिक की नई व्यवस्था को कई नागरिक संगठनों ने अव्यवहारिक करार दिया है। झारखण्ड पैरेन्ट्स एसोसिएसन ने कहा है कि लालपुर, डंगरा टोली, पुरुलिया रोड, थड़पखना, ईस्ट जेल रोड को वन-वे करने से कोई लाभ नहीं मिला है। उलटे इस व्यवस्था से लोगों की परेशानी बढ़ गई है। स्कूली बच्चों को नाहक परेशानी झेलनी पड़ रही है। इस भीषण गर्मी में बच्चों को घंटों बसों में फंसा कर रखना बेहद अमानवीय है।

इधर, नागरिक संघर्ष समिति की आपातकालीन बैठक हुई, जिसमें नई व्यवस्था का विरोध किया गया। बैठक में कहा गया कि बगैर कोई आम राय बनाए आनन फानन यातायात विभाग और जिला प्रशासन ने वन वे लागू कर दिया, जिससे बड़ी तादाद में स्कूली बच्चों, कॉलेज के स्टूडेंट्स और मरीजों एवं नौकरीपेशा लोगों, खासकर महिलाओं को बहुत परेशानी का सामना करना पड़ा। अधिकतर स्कूली बसों का रूट, कई प्रमुख स्कूल कॉलेज इन क्षेत्रों में स्थित हैं। सरकार और जिला प्रशासन किसी दीर्घकालिक योजना के अभिनव प्रयोग करने में लगा हुआ है, वह भी चंद संस्थानों को इसका लाभ मिले, इस एजेंडे के साथ काम किया जा रहा है। यह निंदनीय है।

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इन सात सड़कों पर रेंगते रहे वाहन

क्। ईस्ट जेल रोड

ख्। थड़पखना रोड

फ्। मिशन चौक

ब्। कचहरी से वीमेंस कॉलेज

भ्। ओल्ड एचबी रोड

म्। अल्बर्ट एक्का चौक से प्लाजा चौक

7. डंगराटोली से लालपुर चौक

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नागरिक संघर्ष समिति से जुड़े लोग फ् अप्रैल को शहर के ट्रैफिक एसपी से मिलकर एक ज्ञापन सौंपेंगे और नागरिकों को हो रही परेशानियों से उन्हें अवगत करवाते हुए तत्काल इस व्यवस्था को खत्म कर पुरानी स्थिति बहाल करने की मांग करेंगे।

डॉ राजेश गुप्ता, संयोजक, नागरिक संघर्ष समिति

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ट्रैफिक एसपी से स्कूली बच्चों को आज हुई परेशानी के संबन्ध में अवगत कराते हुए स्कूली बसों को वन-वे से मुक्त करने का आग्रह किया गया है। अगर सोमवार से इस व्यवस्था में कोई परिवर्तन नहीं हुआ तो आंदोलन की रूपरेखा तैयार की जायेगी।

अजय राय, अध्यक्ष, झारखण्ड पैरेन्ट्स एसोसिएशन

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डिप्टी मेयर ने मांगी माफी, कहा : हमसे पूछा ही नहीं

रांची के डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय ने नई ट्रैफिक व्यवस्था के कारण हुई परेशानी पर आम लोगों से माफी मांगते हुए कहा है कि इस मामले में जनप्रतिनिधियों से कोई राय नहीं ली गई थी। उन्होंने 'दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट' को भेजे एक बयान में कहा है कि वन-वे और मालवाहक टेम्पो पर प्रतिबंध से शहरवासियों को बहुत परेशानी झेलनी पड़ी है, जिसके लिए वे बतौर डिप्टी मेयर क्षमा प्रार्थी हैं, लेकिन इस व्यवस्था को लागू करने में उनका कोई हाथ नहीं है। उन्होंने कहा है कि इस बात का दुख है कि कोई नई व्यवस्था को लागू करने से पहले अधिकारी न तो उनकी राय लेते हैं और न ही कोई प्रस्ताव ही मांगते हैं। अगर सभी स्टेक होल्डर्स और पब्लिक रिप्रेजेंटेटिव से राय ली जाए, तो कोई भी व्यवस्था ज्यादा व्यावहारिक ढंग से लागू की जा सकती है। आज लोग नगर निगम को इस व्यवस्था के लिए कोस रहे हैं, लेकिन हकीकत यह है कि हमारी सहमति ली ही नहीं गई है।