RANCHI: देश में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानी जीएसटी को लागू हुए एक साल पूरे हो गए। बीते साल 1 जुलाई को संसद का विशेष सत्र बुलाकर जीएसटी को लागू किया गया था। शुरुआती दिनों में जीएसटी की जटिलताओं को लेकर कुछ सवाल खड़े किए गए थे, लेकिन अब यह लागू है और देश भर में काम कर रहा है। अब भी जीएसटी को लेकर कई काम होना बाकी हैं, लेकिन बीते एक साल में जीएसटी को लेकर व्यापारियों का भरोसा समय के साथ मजबूत होता गया है। जीएसटी को लेकर व्यवसाय जगत की क्या समस्याएं हैं और लागू होने से क्या फायदा हुआ है इसकी जानकारी के लिए दैनिक जागरण आईनेक्स्ट अभियान चला रहा है। जानते हैं कि एक साल में जीएसटी कितना रहा कामयाब और कहां रह गई दिक्कतें।

महंगाई दर स्थिर रही

जीएसटी को लेकर जिस तरह से कयास लगाए जा रहे थे कि इसे लागू होने के बाद महंगाई दर बढ़ जाएगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। सिंगल टैक्स सिस्टम लागू होने से स्थिति महंगाई दर की सामान्य रही। लेकिन उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतों में उछाल दर्ज किया गया और इसके पीछे पेट्रोल की कीमतों में उछाल को दोषी माना जा सकता है। इस तरह यदि जीएसटी को लेकर लगता है कि टैक्स अधिक है तब भी वह सबको मिलाकर जितना लगता था उससे कम या बराबर ही है। इसके अलावा भले ही जीएसटी लागू होने के बाद एंटी-प्रॉफिटियरिंग एजेंसी का गठन हुआ हो, लेकिन इसके चलते टैक्स के प्रावधानों का दुरुपयोग होने की आशंकाएं खत्म हुई हैं।

सिंगल नेशनल मार्केट

राज्यों की सीमाओं पर पहले ट्रकों की लाइनें लगी रहती थीं। अब पूरे देश के एक बाजार के रूप में तब्दील होने के चलते यह स्थिति खत्म हो गई है। इसके चलते ट्रांजेक्शंस में देरी होती थी और सामान भी बेवजह अटका रहता था।

एक देश एक टैक्स

जीएसटी का सबसे बड़ा लाभ यह है कि कन्याकुमारी का कोई व्यक्ति भी उतना ही टैक्स देता है, जितना जम्मू-कश्मीर या अन्य किसी प्रदेश में देता है। जीएसटी के चलते डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम, प्रोडक्शन, सप्लाई चेन, स्टोरेज भी मजबूत हुआ है।

टैक्स से बचना मुश्किल

जीएसटी के चलते इकनॉमी का फॉर्मलाइजेशन होगा। इसके चलते टैक्स के दायरे से बचना मुश्किल हुआ है, पारदर्शी डिजिटल व्यवस्था होगी, इनवॉइस मैचिंग और इनसेंटिव ऑफ इनपुट क्रेडिट की भी सुविधा मिलेगी। एंप्लॉयीज प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन के सबस्क्राइबर्स की संख्या में इजाफा होना भी इसका सबूत है।

हर किसी की जीत

करीब 17 प्रकार के टैक्स और कई सेस का जीएसटी में विलय हो गया है। एक्साइज ड्यूटी, सर्विसेज टैक्स, काउंटरवेलिंग ड्यूटी और वैट, परचेज टैक्स जैसे राज्य कर अब जीएसटी में ही समाहित हो गए हैं। जीएसटी के चलते टैक्स क्रेडिट का फ्री फ्लो हुआ है।

कहां रह गई हैं खामियां

अनुपालन में अभी और दुरुस्त होने की जरूरत है। जीएसटी के कंप्लायंस में सबसे अधिक समस्या आ रही है। खासतौर पर तकनीकी समस्या के चलते कई बार व्यापारियों को मुश्किलें आई हैं। इस प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए ही रिटर्न फाइलिंग का एक नया फॉर्म तैयार किया गया है।

रजिस्ट्रेशन सिस्टम में जटिलता

कई तरह के रजिस्ट्रेशन की जरूरतों के चलते इंडस्ट्री को जटिलता महसूस हो रही है। कई मामलों में हर राज्य में रजिस्ट्रेशन कराए जाने की जरूरत है। कंपनियों को इस बात की आशंका रहती है कि कई मल्टीपल रजिस्ट्रेशन के चलते मल्टीपल ऑडिट और असेसमेंट होगा, जिससे आने वाले समय में जीवन और मुश्किल होगा।

नए सेस का लागू होना

जीएसटी के चलते कई तरह के टैक्सों का विलय हो गया है, लेकिन इसके बाद भी एक नए तरह की लेवी लागू हो गई है। लग्जरी गुड्स पर कॉम्पेन्सेशन सेस लागू कर दिया गया है। इसके बाद इन्हें ऑटोमोबाइल में लागू किया गया।

एक्सपो‌र्ट्स को रिफंड की प्रॉब्लम

एक्सपो‌र्ट्स रिफंड मैकेनिज्म, डेटा मैचिंग लॉ में जटिलता है। इसके लिए सरकार की ओर से अब तक कई प्रयास किए जा चुके हैं, लेकिन अब भी इसमें दखल की जरूरत है।

4 तरह के रिफंड का हुआ निदान

वाणिज्यकर विभाग की ओर से रांची में 29 मई से 14 जून तक रिफंड पखवाड़ा लगाया गया था जिसमें 399 से ज्यादा पेंडिंग मामलों का निष्पादन किया गया। संयुक्त आयुक्त वाणिज्य कर अधिकारी के अनुसार रिफंड पखवाड़े में चार तरह लंबित रिफंड के मामलों का निष्पादन किया गया। एक तो ऐसे मामले हैं जो एक्सपोर्ट से जुड़े हुए हैं। एक्सपोर्ट के मामलों में उत्पादित वस्तुओं को टैक्स पूर्व में ही जमा होता है और एक्सपोर्ट के समय भी लिया जाता है जिसके रिफंड का प्रावधान है। दूसरे ऐसा मामला है जिसे इनवैलिटेड टैक्स कहते हैं साथ ही आईटीसी और स्पेशल इकनॉमिक जोन के मामले में भी रिफंड की समस्या का निदान किया गया है।

किस जोन में कितने मामले निपटे

साउथ जोन 75

वेस्ट जोन 82

ईस्ट 52

स्पेशल 83

पलामू 68

लोहरदगा 05

गुमला 09