>RANCHI: फिलहाल देश में बाल श्रम(प्रतिषेध एवं विनियमन) अधिनियम, क्98म् प्रभावी है। इसका उद्देश्य बाल श्रम पूरी तरह खत्म करना नहीं, बल्कि कुछ प्रक्रियाओं एवं व्यवसायों में बाल श्रम के नियोजन को रोकना है। यह नियम में क्ब् वर्ष तक के उम्र वाले बच्चच्ें की शिक्षा सुनिश्चित कराने का प्रावधान है। उनकी कोमल अवस्था के विपरीत उनसे कठिन कार्य लेने पर रोक लगाता है। विभिन्न श्रम कानूनों में बाल की परिभाषा को एक रूप देता है। ऐसे श्रमिक जिन्होंने अपनी आयु के क्ब् साल पूरा नहीं किए है। इस अधिनियम की धारा-ख् के अंतर्गत बालक के रूप में परिभाषित किए गए हैं।

बाल श्रमिक नियोजन की शर्ते

बाल श्रमिक से किसी भी दिन लगातार तीन घंटे से अधिक काम नहीं लिया जा सकता है। तीन घंटे काम लेने के बाद या उससे पहले बालक को कम से कम घंटे भर का रेस्ट देना जरूरी है।

बाल श्रमिकों को हफ्ते में कई दिन अवकाश देना जरूरी है।

शाम सात से सुबह आठ बजे के बीच बाल श्रमिक से काम नहीं लिया जा सकता है।

बाल श्रमिक से ओवर टाइम काम बिल्कुल नहीं कराया जा सकता है।

क्या है दंड

हाईकोर्ट के एडवोकेट मनीष कुमार के मुताबिक, बाल श्रम अधिनियम की धारा-क्ब् एवं क्भ् में नियोजन संबंधी प्रावधान का उल्लंघन करनेवाले नियोजक को प्रथम अपराध पर न्यूनतम तीन माह से लेकर एक वर्ष तक की सजा हो सकती है या दस हजार से लेकर ख्0 हजार रुपए तक आर्थिक दंड भी लगाया जा सकता है। अधिनियम के अन्य किसी प्रावधान का उल्लंघन करनेवाले को एक माह तक सजा या दस हजार रुपए तक अर्थदंड अथवा दोनों दंड दिया जा सकता है।

पूरे राज्य में हैं बाल श्रमिक

बाल श्रमिक राज्य के हर गांव में हैं। सर्वाधिक बाल श्रमिक चाईबासा, लोहरदगा, सिमडेगा, पलामू, रांची और खूंटी जिले में हैं। जहां क्ब् वर्ष से कम आयु के बच्चच्ें से न सिर्फ काम लिया जा रहा है, बल्कि उन्हें प्रताडि़त भी किया जा रहा है।