- चुनावी गीतों में बीजेपी ने बढ़ाई है बढ़त, कांग्रेस पीछे-पीछे

- सबसे ज्यादा पीएम मोदी पर केंद्रित ऑनलाइन चुनावी गीतों की भरमार

>DEHRADUN: चुनावी अखाड़े में दंगल शुरू हो चुका है. राजनीतिक पार्टियां अपने प्रचार में कोई कसर नहीं छोड़ना चाह रही हैं. खास बात यह है कि राज्य की पांचों लोकसभा सीटों के लिए होने वाले लोकतंत्र के पर्व में चुनावी गीतों की भी खूब बयार बहनी शुरू हो गई है. कई स्थानीय लोक कलाकारों द्वारा एक के बाद एक-एक करके चुनाव गीत गाकर ऑनलाइन अपलोड किए जा रहे हैं. जबकि कुछ राजनीतिक पार्टियां लोकगायकों से गीत गाने के लिए संपर्क साधे हुए हैं. हालांकि सभी पॉलिटिकल पार्टियों को पीछे छोड़कर भाजपा आगे निकलती दिख रही है. भाजपा के पक्ष में गाए गए गीतों में फिलहाल सबसे आगे पीएम मोदी को प्राथमिकता दी गई है.

क्षेत्रीय भाषा गढ़वाली में सबसे ज्यादा चुनावी गीत

देश के सबसे बड़े लोकतंत्र के पर्व में पॉलिटिकल पार्टियां प्रचार-प्रसार न करें, यह नहीं हो सकता. चुनाव प्रचार के कई तरीके अब तक अपनाए जाते रहे हैं, लेकिन केंद्रीय चुनाव आयोग के हंटर के कारण पोस्टर, बैनर, लाउडस्पीकर जैसे पारंपरिक स्टाइल फिलहाल के लिए बंद होता दिख रहा है. अब पॉलिटिकल पार्टियों ने दूसरे तरीके भी अख्तियार कर लिए हैं. इनमें ऑनलाइन चुनावी गीत भी चुनाव प्रचार में आगे दिख रहा है. राज्य में आदर्श आचार संहिता 10 मार्च से प्रभावी हो चुकी है और 11 अप्रैल को इलेक्शन होने हैं. इसको देखते हुए पार्टियों के पक्ष में स्थानीय लोक गायकों व लोक कलाकारों के गाए हुए चुनावी गीत खूब सुने जा रहे हैं. इस चुनाव के सीजन में ऑनलाइन जिनके गीत तैर रहे हैं. उनमें लोक गायक सुनील थपलियाल, अंजली नेगी रमोला, वीरेंद्र चौहान, शगुन उनियाल, गोविंद सिंह के अलावा कई हिंदी सिंगर भी शामिल हैं. बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में ऐसे गायकों व पार्टियों के चुनावी गीत सुनने को खूब मिल जाएंगे.

पुराने पीछे हटे, नए गायकों की अावाज ज्यादा

बताया जा रहा है कि चुनावी गीत गाने के लिए लोक कलाकारों को 15 से 20 हजार रुपए दिए जा रहे हैं. हाल में बागेश्वर से एक लोक कलाकार बीजेपी के पक्ष में गीत गाने के लिए देहरादून रिकॉडिंग स्टूडियो पहुंचे. ऐसे ही पार्टियां अपने-अपने लोकसभा क्षेत्रों में लोक गायकों से गीत गाने के लिए अप्रोच कर रही हैं, लेकिन इन चुनावी गीतों में यह भी देखने को मिल रहा है कि सीनियर लोक गायक कारणवश किसी पार्टी के गीत गाने के लिए तैयार नहीं हो पा रहे हैं. एकाध राजी हो रहे तो वे नाम पब्लिश करने को तैयार नहीं हैं. ऐसे नए नवेले क्षेत्रीय भाषाओं के गायककार ही पकड़ में आ पा रहे हैं.

::सीनियर लोक गायक नहीं हो रहे तैयार:::

हेमा नेगी करासी, गढ़वाली लोक गायक:-मैं इस वक्त दिल्ली में रिकॉर्डिग कर रही हूं. मुझे कुछ पार्टियों ने प्रचार के लिए अप्रोच की थी. लेकिन मैंने पहली ही मना किया है.

ललित मोहन जोशी फौजी, कुमाऊंनी लोक गायक:-मैं रानीखेत में हूं और सरकारी कर्मचारी भी हूं. वैसे भी मैं बिल्कुल भी चुनाव के मौसम में कोई गीत नहीं गा सकता हूं. चुनावी गीत के बारे में रिटायरमेंट के बाद ही साेचूंगा.

जीतेंद्र टोमकियाल, कुमाऊंनी लोक गायक:-चुनावी गीत के बारे में अभी कुछ नहीं कह सकता हूं. कुछ समय दीजिए, मैं आपको बता दूंगा. लेकिन फोन नहीं आया..

::ऑनलाइन चुनावी गीत::

- मोदी जी तें वोट दैणे..अब खा माछा, सारे देश में कमल खिलौणे..अब खा माछा.

सुणजा मेरी बात भुली..मोदी जी बताया बाट

फिर मोदी को लाना है..बीजेपी की हो सरकार..

अटल जी ने उत्तराखंड बनाया, मोदी जी सवारेंगे..

2019 में फिर से मोदी को जिताएंगे..लून रोटी खाएंगे..

धन्य हो मोदी दिदा कन कमाल. करी..देश सेवा में तुमले कोई कसर न छोड़ी..

नमो-नमो गुंजडूं छौ दिशों मा..

सबसे मेरा मोदी बौडा..

सबकी यही पुकार..कांग्रेस इस बार..

भाजपा प्रचार सामग्री में मोबाइल स्टीकर्स, गांधी टोपी

करीब एक माह से भाजपा ने प्रचार सामग्री का आवंटन शुरू कर दिया. बीजेपी चुनाव सामग्री के प्रदेश संयोजक राजेंद्र ढिल्लो के मुताबिक इस बार बीजेपी के प्रचार सामग्री में गांधी टोपी, क्रिकेट कैप, टी-शर्ट, की-रिंग, मोदी कटआउट, सफेद कमल, मास्क और मोबाइल स्टीकर शामिल हैं. बताया गया कि अब इलेक्शन के कुछ ही दिन शेष रह गए हैं. पांचों लोकसभा सीटों के अलावा जिलों, ब्लॉक व बूथ स्तर पर प्रचार सामग्री पहुंचा दी गई है.