जल रही है अलख
एसिड अटैक्स का पूरे देश में विरोध हो रहा है। अब ये विरोध सड़क के साथ-साथ वेब की दुनिया में भी पहुंच चुका है। एसिड की खरीद-फरोख्त और एसिड अटैक्स का विरोध करने के लिए सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर कई पेज, ग्रुप और कम्यूनिटी बन गई है, जो धीरे-धीरे अपने कैंपेन को आगे बड़ा रहे हैं।
हर कोई जुड़ रहा कैंपेन से
एसिड और एसिड अटैक्स का विरोध करने को कोई भी ऐसे फेसबुक पेज, गु्रप और कम्यूनिटी को ज्वाइन करने में पीछे नहीं है। मेरठ के विनीत राना कहते हैं कि मैं एक स्टूडेंट हूं। मैं सड़क पर धरना प्रदर्शन करने को नहीं जा सकता है। मैंने स्टॉप एसिड अटैक्स पेज को लाइक किया हुआ है, जो मेरे मन में एसिड को लेकर आता है उसे मैं पेज पर पोस्ट कर देता हंू। साथ ही मुझे भी कई तरह की जानकारियां मिल जाती हैं।
अधिकतर लड़कियां
एसिड अटैक के जो मामले अभी तक देखने में जो आएं हैं वो लड़कियों पर हुए हैं। इसलिए ऐसे पेजेस को अधिकतर लड़कियां लाइक्स कर रही हैं। यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट मीनल गौतम की मानें तो आज फेसबुक एक बड़ा हथियार बन गया है। छोटे से एक कैंपेन को बड़ा रेवोल्यूशन बनाया जा सकता है। इसी तरह से स्टॉप एसिड अटैक्स को लेकर फेसबुक पर काफी बड़ा कैंपेन चल रहा है, जिससे मैं भी जुड़ी हुई हूं। ऐसे कैंपेन के साथ जुडऩा काफी जरूरी है। क्योंकि ये एक क्षेत्र या राज्य की नहीं बल्कि पूरे देश का मुद्दा है।
पाकिस्तान और बांग्लादेश भी
इंडिया ही नहीं एसिड अटैक्स को लेकर पड़ोसी देश भी काफी परेशान हैं। वहां भी लड़कियों पर एसिड और तेजाब फेंकने की घटनाएं काफी होती रहती हैं। पाकिस्तान और बांग्लादेश जैसे देशों के सभ्य समाज के लोग भी इसके विरोध में हैं। वहां भी सोशल नेटवर्किंग साइट्स थ्रू लोगों को जगाने का काम किया जा रहा है। धीरे-धीरे इन देशों में कैंपेन को लेकर सजगता भी आ रही है।
कुछ ऐसे छिड़ी हुई है जंग
Stop acid attacks (Open Group)
Members : 1056
Place : Delhi
Stop acid attacks (Page)
Likes : 12,194
Place : Delhi
अभियान के जरिए मांग
- पीडि़त महिलाओं को सरकार द्वारा आर्थिक सहायता मुहैया कराई जाए और इलाज का सारा भार सरकार उठाए।
- तेजाब के हमलों की घटनाओं से निबटने के लिए नया कानून बने। भारतीय दंड संहिता, भारतीय साक्ष्य कानून और अपराध प्रक्रिया संहिता में भी पर्याप्त संशोधन हो।
- जांच अधिकारी अपनी पंद्रह दिनों के भीतर हीं जांच पूरी करें। ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही हो।
- इन केसेज को फास्ट ट्रैक सुनवाई करके तीन महीनों के भीतर निपटाया जाए।
- इन घटनाओं को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर मानते हुए अपराधी को उम्र कैद की सजा का प्रावधान हो।
- इन मामलों में पुनर्वास की कठिन समस्या को समझते हुए सरकार पीडि़त के लिए सरकारी नौकरी और रोजगार में आरक्षण की व्यवस्था करे।
STOP ACID TROUGHING (Open Group)
Members : 308
Place : Bangladesh
Stop Acid Terrorism Against Women in Pakistani (Promotional page)
Going : 3
Place : 319
Maybe : 92
Invited : 3183
Place : Pakistan
Students against Acid Attack (Open Group)
Members : 7711
Place : Delhi
AGAINST ACID ATTACKS (Open Group)
Members : 31
Place : Delhi
Unite Against Acid Crime (Page)
Likes : 9419
Place : Pakistan
'एसिड से पीडि़त सिर्फ एक आदमी नहीं होता है। उसकी जलन से पीड़ा परिवार के हरेक शख्स को होती है। हमारा ये कैंपेन ऐसी लड़कियों को इंसाफ दिलाना और उन्हें रिहैबिलिटेट करना है। ऐसे जो भी केस हमारे सामने आ रहे हैं उन्हें हम सुप्रीम कोर्ट में भेज रहे हैं। ताकि उन लड़कियों को इंसाफ मिल सके.'
- आलोक दीक्षित, फाउंडर, स्टॉप एसिड अटैक कैंपेन