RANCHI : राज्य के कमोबेश सभी शेल्टर होम में बच्चों के भोजन में भी डंडी मारी जा रही है। पिछले आठ महीनों से यहां बच्चों को एक ही पहर का भोजन परोसा जा रहा है। इस बाबत शेल्टर होम के संचालकों का कहना है कि फरवरी से शेल्टर होम को समाज कल्याण, महिला एवं बाल विकास विभाग से फंड आवंटित नहीं किया गया है। इतना ही नहीं, यहां काम कर रहे लोगों का पेमेंट भी पेंडिंग है। ऐसे में वे मजबूरी में यहां नौकरी कर रहे हैं।

मेंबर्स को भी पेमेंट नहीं

एक तरह शेल्टर होम को पिछले आठ माह से फंड नहीं मिला है, वहीं सीडब्ल्यूसी, जेजेबी और बाल कल्याण समाज के पदाधिकारियों व कर्मियों का भी वेतन अटका हुआ है। मिली जानकारी के मुताबिक, वेतन भुगतान से जुड़े मामले बाल समाज कल्याण विभाग में लंबित हैं। इस बाबत विभिन्न जिलों के डीडीओ को जब राशि भुगतान करने को कहा जाता है तो वे विभाग से आदेश नहीं दिए जाने की बात कह देते हैं।

कहां से खिलाएंगे बच्चों को

शेल्टर होम संचालकों का कहना है कि उन्हें विभाग से फंड अलॉट नहीं किया जा रहा है। ऐसे में आखिर वे अपनी जेब से कब तक बच्चों को भोजन करा पाएंगे। उन्होंने कहा कि अब तो दुकानदारों ने उधारी देनी बंद कर दी है। ऐसे में बोकारो और गढ़वा के शेल्टर होम संचालकों ने सरेंडर करने का मन बना रहे हैं।

फंसी है पांच करोड़ की राशि

शेल्टर होम की चल रही जांच प्रक्रिया की वजह से लगभग पांच करोड़ की राशि फंस गई है। शेल्टर होम में दस-दस स्टॉफ हैं, जो राशि नहीं मिलने काम छोड़ कर चले जा रहे हैं। इससे यहां रहने वाले बच्चे की देखभाल पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।