- आजम ने किया अपने बेटे को लांच

- प्रदेश की राजनीति में परिवार पर रहता है अधिक भरोसा

- मुलायम के अलावा यूपी के तमाम नेताओं ने अपनों को सौंपी विरासत

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LUCKNOW: काबीना मंत्री आजम खां द्वारा अपने बेटे को राजनीति में पर्दापण कराने से साथ यह साफ हो गया कि राजनीति में परिवारवाद की मुखालफत करने वाले नेता 'अपनों' को विरासत सौंपने का कोई मौका गंवाना नहीं चाहते हैं। यूपी ही नहीं, देश भर में राजनेताओं के बीच यह प्रवृत्ति कम होने का नाम नहीं ले रही। यही वजह है कि यूपी में विधानसभा चुनाव नजदीक आता देख राजनेताओं के बीच अपने करीबी रिश्तेदारों को चुनाव मैदान में उतारने की होड़ मच चुकी है। केवल आजम खां नहीं, बल्कि कई बड़े नेता इस फेहरिस्त में बढ़ते जा रहे हैं।

मुलायम परिवार सबसे आगे

इस फेहरिस्त में पहले नंबर पर सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव का परिवार आता है। उनके घर के करीब दो दर्जन सदस्य राजनीति में पर्दापण कर चुके हैं। हाल ही में मुलायम ने अपनी छोटी बहू अपर्णा यादव को लखनऊ कैंट से टिकट देकर इस परंपरा को आगे बढ़ाया। सिर्फ सपा ही नहीं, बल्कि बीएसपी, बीजेपी और कांग्रेस के नेताओं का भी नाम भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। आजम ने अब्दुल्लाह को भले ही अब लांच किया हो लेकिन उनकी पत्नी तजीन फातिमा पहले से राज्यसभा सदस्य हैं। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र पंकज सिंह के विधानसभा चुनाव में मैदान में उतरने की चर्चा है। उनके लिए राजधानी की सुरक्षित सीट की तलाश की जा रही है।

राजनीति में परिवार की तिकड़ी

राजनीति में तिकड़ी वाले परिवार यानी जिस परिवार में कम से कम तीन लोग राजनीति में हों उनकी संख्या भी कम नहीं है। रामवीर उपाध्याय के परिवार में उनके भाई और पत्नी दोनों सक्रिय राजनीति में है। पिछली बसपा सरकार में रामवीर उपाध्याय मंत्री थे, भाई मुकुल उपाध्याय एमएलसी और पत्नी सीमा उपाध्याय सांसद। बसपा के ही नसीमुद्दीन सिद्दकी के परिवार के तीन लोग राजनीति में किस्मत आजमा चुके हैं। नसीमुद्दीन के अलावा उनकी पत्‍‌नी हुस्ना जहां राज्यसभा में सांसद रह चुकी हैं जबकि बेटा अफजल सांसद का चुनाव लड़ चुका है। बीएसपी छोड़ कर बीजेपी में आने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य के अलावा उनकी बेटी और बेटा दोनों राजनीति में हैं। पिछले लोकसभा इलेक्शन में दोनों ने बीएसपी के टिकट पर किस्मत आजमाई और हार गये। मौर्य ने जब बीएसपी छोड़ी तो मायावती ने आरोप लगाया था कि वह परिवार को बढ़ावा दे रहे थे, पार्टी ने उनकी नहीं सुनी इस लिए वह पार्टी छोड़ कर चले गये।

बीजेपी में भी नेता पीछे नहीं

सिर्फ सपा और बसपा ही नहीं बल्कि बीजेपी और कांग्रेस में भी कई ऐसे परिवार हैं, जिनमें एक से अधिक लोग सक्रिय राजनीति में हैं। प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह मौजूदा समय में राजस्थान के गवर्नर हैं, बेटे राजवीर सांसद हैं। एक समय ऐसा भी था जब कल्याण सिंह ने अपनी अलग पार्टी बनायी थी और खुद कल्याण सिंह, बेटा राजवीर सिंह और बहु विधायक थीं। बीजेपी और बीएसपी की मिली जुली सरकार में नगर विकास मंत्री रहे लालजी टंडन के बेटे आशुतोष टंडन उर्फ गोपाल टंडन भी सक्रिय राजनीति का हिस्सा बन चुके हैं और मौजूदा समय में लखनऊ पूर्वी से विधायक हैं। गांधी परिवार से संबंध रखने वाली मेनका गांधी खुद सांसद हैं और केंद्र में मंत्री जबकि बेटा वरुण गांधी सुल्तानपुर से सांसद है।

कांग्रेस में भी कमी नहीं

रायबरेली और अमेठी से सांसद कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के अलावा भी कांग्रेस में कई नेता ऐसे हैं जिन्होंने अपने परिवार को आगे बढ़ाया। इसमें पूर्व मुख्यमंत्री रहे हेमवती नंदन बहुगुणा की बेटी रीता बहुगुणा राजधानी लखनऊ से कैंट से विधायक हैं। हालांकि भाई विजय बहुगुणा पहले कांग्रेस में थे और अब बीजेपी में चले गये और उत्तराखंड की सक्रिय राजनीति में खासा दखल रखते हैं। आठ बार के विधायक रहे प्रमोद तिवारी जब राज्यसभा गये तो उन्होंने अपनी बेटी अराधना मिश्रा उर्फ मोना को यूपी में अपनी विरासत सौंप गये। यूपी में कांग्रेस की ओर से सीएम की उम्मीदवार बनायी गयीं शीला दीक्षित के परिवार से उनके बेटे पवन दीक्षित केंद्र सरकार में मंत्री रह चुके है।

हर पार्टी में दिया जाता रहा है परिवार को बढ़ावा

सपा-

आजम-तजीन-अब्दुल्लाह

नरेश अग्रवाल-नितिन अग्रवाल

बलराम यादव-संग्राम यादव

वकार शाह-यासर शाह

विजय मिश्रा-पत्‍‌नी एमएलसी

रेवती रमण सिंह-उज्जवल रमण सिंह

सुरेंद्र पटेल-भाई महेंद्र पटेल

बीजेपी-

मेनका गांधी-वरुण गांधी

कल्याण सिंह-राजवीर सिंह बहु एमएलए

लालजी टंडन-आशुतोष टंडन

स्वामी प्रसाद मौर्य-उत्कर्ष मौर्य-बेटी संघ मित्रा मौर्य

राजनाथ सिंह-पंकज सिंह

कांग्रेस

सोनिया-राहुल

शीला दीक्षित-पवन दीक्षित

मोना मिश्रा-प्रमोद तिवारी

हेमवती नंदन बहुगुणा-रीता बहुगुणा जोशी

बीएसपी

रामवीर उपाध्याय-मुकुल उपाध्याय-सीमा उपाध्याय

नसीमुद्दीन सिद्दीकी-अफजल-हुसना सिद्दीकी

जसमीर अंसारी-कैसर जहां

अन्य

चौधरी अजीत सिंह -जयंत चौधरी

हरिशंकर तिवारी- कुशल तिवारी

मुख्तार-अफजाल-सिगबतुल्ला