संगम व आनंद भवन तक सीमित है टूरिजम


Only Sangum and Anand Bhawan promoted


Allahabad: विरासतों के मामले में इलाहाबाद बेहद समृद्ध है। इसके बाद भी यहां फॉरेन टूरिस्ट या तो संगम ?ाूमने आते हैं या फिर आनंद भवन। ऐसा नहीं है कि टूरि&म डिपार्टमेंट इस एरिया की चीजों को प्रमोट करने की कोशिश नहीं करता। लेकिन, ये कोशिशें अपना प्रभाव नहीं दिखा पा रही हैं। तभी तो इलाहाबाद में आने वाले फॉरेनर्स की संख्या बेहद कम है. 

०ाोड़े और की जरूरत है

इलाहाबाद में संगम के अलावा कई ऐसी विरासतें हैं जो फॉरेनर्स को अपनी ओर खीचने का दम रखती है। इसमें खुसरुबाग, उल्टा किला, नागवासुकी मंदिर, ?ाूरपुर में सुजावन देव मंदिर और ऐतिहासिक किला समेत दर्जनो स्०ाान हैं। अकबर के जमाने में बने किले में पूरा ?ाूमने की इजाजत टूरिस्ट्स को नहीं है लेकिन अक्षयवक्ष तक कोई भी जा सकता है। आर्मी ने इसका सुंदरीकर!ा कराकर इसे और बेहतर लुक तो दिया ही है, इस हेरीटेज प्रापर्टी को संरक्षित करने की कोशिश भी की है।  

नहीं बन पा रहा है टूरिस्ट स्पॉट

आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल फॉरेन से आने वाले टूरिस्ट्स की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। लेकिन, इसका कार!ा टूरिस्ट क्रलेसेज नहीं हैं। इसके पीछे है कुंभ का आयोजन जो इस साल की शुरुआत में संगम तट पर आयोजित किया गया ०ाा। इसके बाद से इलाहाबाद में टूरिस्ट के नाम पर स९नाटा पसर गया है. 

इस राह में कई रोड़े

टूरि&म ऑफिसर क्वाीरेश कुमार ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सिटी और आसपास का एरिया टूरि&म के लिहाज से बेहद रिच है। इसे प्रमोट करने की जरूरत है। उनका कहना है कि इसमें कई रोड़े भी हैं। कई स्०ाान ऐसे हैं जो सेना के अक्विाकार क्षेला में हैं। इन स्०ाानों पर कोई भी काम बगैर सेना की परमीशन के नहीं हो सकता। दूसरे स्०ाानों पर भी कई लोगों से एनओसी लेनी पड़ेगी। बजट की भी प्रॉ8लम है.

ये स्०ाान कर सकते हैं टूरिस्ट्स को अट्रैॠट

-अशोक स्तंभ जो सरस्वती ?ााट के नजदीक स्०िात है
-खुशरो बाग। यहां पार्क तो शानदार है ही यहां पैदा होने वाले अमरूद की पूरे विश्व में ख्याति है
-सरस्वती कूप और अक्षयवट। इस स्०ाल का अस्तिठव महाभारत के काल का माना जाता है.
-गोरा कब्रिस्तान, यहां पर ब्रिटिश काल में तैनात रहे ऑफिसर्स की कब्रें स्०िात हैं
-उल्टा किला, झूंसी एरिया में स्०िात इस किले का भी ऐतिहासिक महठव है

 

०ाोड़े और की जरूरत है

इलाहाबाद में संगम के अलावा कई ऐसी विरासतें हैं जो फॉरेनर्स को अपनी ओर खीचने का दम रखती है। इसमें खुसरुबाग, उल्टा किला, नागवासुकी मंदिर, ?ाूरपुर में सुजावन देव मंदिर और ऐतिहासिक किला समेत दर्जनो स्०ाान हैं। अकबर के जमाने में बने किले में पूरा ?ाूमने की इजाजत टूरिस्ट्स को नहीं है लेकिन अक्षयवक्ष तक कोई भी जा सकता है। आर्मी ने इसका सुंदरीकर!ा कराकर इसे और बेहतर लुक तो दिया ही है, इस हेरीटेज प्रापर्टी को संरक्षित करने की कोशिश भी की है।  

नहीं बन पा रहा है टूरिस्ट स्पॉट

आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल फॉरेन से आने वाले टूरिस्ट्स की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। लेकिन, इसका कार!ा टूरिस्ट क्रलेसेज नहीं हैं। इसके पीछे है कुंभ का आयोजन जो इस साल की शुरुआत में संगम तट पर आयोजित किया गया ०ाा। इसके बाद से इलाहाबाद में टूरिस्ट के नाम पर स९नाटा पसर गया है. 

इस राह में कई रोड़े

टूरि&म ऑफिसर क्वाीरेश कुमार ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सिटी और आसपास का एरिया टूरि&म के लिहाज से बेहद रिच है। इसे प्रमोट करने की जरूरत है। उनका कहना है कि इसमें कई रोड़े भी हैं। कई स्०ाान ऐसे हैं जो सेना के अक्विाकार क्षेला में हैं। इन स्०ाानों पर कोई भी काम बगैर सेना की परमीशन के नहीं हो सकता। दूसरे स्०ाानों पर भी कई लोगों से एनओसी लेनी पड़ेगी। बजट की भी प्रॉ8लम है.

ये स्०ाान कर सकते हैं टूरिस्ट्स को अट्रैॠट

-अशोक स्तंभ जो सरस्वती ?ााट के नजदीक स्०िात है

-खुशरो बाग। यहां पार्क तो शानदार है ही यहां पैदा होने वाले अमरूद की पूरे विश्व में ख्याति है

-सरस्वती कूप और अक्षयवट। इस स्०ाल का अस्तिठव महाभारत के काल का माना जाता है।

-गोरा कब्रिस्तान, यहां पर ब्रिटिश काल में तैनात रहे ऑफिसर्स की कब्रें स्०िात हैं

-उल्टा किला, झूंसी एरिया में स्०िात इस किले का भी ऐतिहासिक महठव है