चार अफसरों को करेंगे सुपरसीड

1983 बैच के आईपीएस ओपी सिंह को चार सीनियर अफसरों को दरकिनार कर डीजीपी की कुर्सी सौंपी गयी है। 1982 बैच के आईपीएस प्रवीन सिंह, डॉ. सूर्य कुमार शुक्ला के अलावा 1983 बैच के आरआर भटनागर और गोपाल गुप्ता उनसे वरिष्ठ हैं। ओपी सिंह तीन बार लखनऊ के एसएसपी रह चुके हैं हालांकि कभी भी उनका कार्यकाल तीन माह से ज्यादा का नहीं रहा। उल्लेखनीय है कि उनके एसएसपी रहने के दौरान ही दो जून 1995 को राजधानी में बहुचर्चित गेस्ट हाउस कांड और बैंक लूट कांड भी हुआ था। इसके बाद उन्हें सस्पेंड कर दिया गया था। पूर्ववर्ती सपा सरकार में उन्हें एडीजी एनसीआर बनाया गया था हालांकि नोएडा में हिंसा भड़कने की बड़ी घटना के बाद उन्हें हटाकर एडीजी सिक्योरिटी बना दिया गया। इसके बाद वह एडीजी टेलीकॉम और फिर एडीजी सिक्योरिटी के पद पर रहे। जनवरी 2014 में वह केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर सीआईएसएफ के एडीजी बना दिए गये।

आसान नहीं आगे का सफर

ओपी सिंह को डीजीपी बनाए जाने को लेकर पिछले बीस दिनों से जारी ऊहापोह को देखते हुए यह साफ है कि उनके लिए आगे का सफर आसान नहीं होगा। उनसे पहले राज्य सरकार ने सुलखान सिंह को डीजीपी की कुर्सी पर बैठाया था जिनकी छवि की मिसाल दी जाती है। वहीं सुलखान सिंह की विदाई से पहले सूबे में आईएएस और आईपीएस लॉबी के बीच अधिकारों को लेकर शुरू हुई खींचतान के मामले को अब तक सुलझाया नहीं जा सका है। आईपीएस और पीपीएस एसोसिएशन सूबे में कमिश्नर सिस्टम लागू करने की मांग भी पुरजोर तरीके से कर रही है। वही दूसरी ओर अपराधियों के प्रति पुलिस के बदले रवैये के बाद हुए ताबड़तोड़ एनकाउंटर का सिलसिला आगे जारी रहेगा कि नहीं, यह भी नये डीजीपी के रुख पर निर्भर करेगा। हालांकि अगर ओपी सिंह का कामकाज राज्य सरकार को पसंद आया तो वह लंबे समय तक इस कुर्सी पर बने रह सकते हैं।

फैक्ट फाइल

- 02 जनवरी 1960 को बिहार के गया में जन्म

- 1983 में आईपीएस बनने में सफल हुए

- 1993 में राष्ट्रपति का वीरता पदक मिला

- 1999 और 2007 में राष्ट्रपति के पुलिस पदक मिला

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