-कानून के डर से भागे दूसरे प्रदेशों के व्यापारी, मंडी में सड़ रहा माल

-फुटकर बाजार में प्याज के रेट पर जारी है मनमानी, पचास फीसदी का अंतर है थोक के भाव से

-मंडी में खुलने वाला रेट अलग, मंडी का रेट अलग और खुदरा बाजार का रेट अलग, ऐसा क्यों है?

<-कानून के डर से भागे दूसरे प्रदेशों के व्यापारी, मंडी में सड़ रहा माल

-फुटकर बाजार में प्याज के रेट पर जारी है मनमानी, पचास फीसदी का अंतर है थोक के भाव से

-मंडी में खुलने वाला रेट अलग, मंडी का रेट अलग और खुदरा बाजार का रेट अलग, ऐसा क्यों है?

ALLAHABAD: allahabad@inext.co.in

ALLAHABAD: कमाना हो, अफसरों से कोई बात मनवानी हो या फिर ऐसा ही कुछ और मैटर हो। हर बार सबके निशाने पर होता कॉमन मैन ही है। सब उसी के कंधे पर रखकर बंदूक चलाते हैं। कॉमनमैन पर फोकस करके बातें और दावे करने वाले ही सत्ता संभालते हैं। फिर भी कॉमनमैन की कोई पूछ नहीं है। सिस्टम को कॉमनमैन की प्राब्लम तभी समझ में आती है जब उसके ऊपर प्रेशर बन जाए या कोई मजबूरी ऐसी सामने आ जाए जिसमें उनके पास दूसरा और कोई ऑप्शन न हो। आलू और प्याज के साथ भी ऐसा ही है। पिस कॉमनमैन रहा है और मालामाल हो रहे हैं बिचौलिए। थोक मार्केट को कब्जे में लेकर खुदरा मार्केट को प्रभावित करने वाले बिचौलियों की ही देन है कि आलू और प्याज कॉमनमैन की थाली से गायब हो रही है। वैसे तो सरकारी गोदामों में भी इनके सड़ने की नौबत है।

थोक व्यापारियों का माल फंसा

किसान के खेत से थोक मंडी तक माल लाकर जमाखोरी करने वाले बिचौलियों को फिलहाल बड़ा झटका लगा है। केंद्र सरकार द्वारा आलू-प्याज की बढ़ती कीमतों को देखते हुए इन्हें आवश्यक वस्तु अधिनियम के दायरे में लाना इनको को भारी पड़ गया है। कार्रवाई के डर से बिहार, बंगाल, झारखंड सहित दूसरे प्रदेशों से आने वाले बड़े व्यापारी पिछले दो दिनों से नजर नहीं आ रहे हैं। जिसके चलते थोक मंडी में क्विंटलों सब्जियां खराब हो रही हैं। बड़े खरीदारों के अचानक गायब हो जाने से थोक मंडी में माल डंप होने लगा है।

क्म् रुपए में प्याज कोई पूछने वाला नहीं

शुक्रवार को आई नेक्स्ट रिपोर्टर ने मुंडेरा सब्जी मंडी में पड़ताल की तो हकीकत सामने आ गई। हालात यह हैं कि आढ़तियों के यहां क्विंटलों प्याज बारिश से दागी हो रहा है। बावजूद इसके इनके खरीदार नहीं मिल रहे हैं। मप्र के मनगवां से कई ट्रक प्याज लेकर आए व्यापारी केएस गुप्ता ने बताया कि उन्होंने ख्000 रुपए प्रति क्विंटल के रेट से माल उठाया था लेकिन यहां पर क्म्00 रुपए में भी कोई पूछने वाला नहीं है। इसी तरह अन्य आढ़तियों के यहां भी व्यापारियों का तकरीबन क्भ्0 टन प्याज सड़ने की कगार पर पहुंच चुका है।

क्या है ये खेल

मार्केट में प्याज के दाम बढ़ने के पीछे सबसे बड़ा रोल बिचौलियों का होता है। मप्र के अलग-अलग जिलों के किसानों से माल लेकर आने वाले व्यापारी इन्हें थोक मंडियों में आढ़तियों के यहां रख देते हैं, फिर यह दूसरे प्रदेशों सहित बांग्लादेश तक मनचाहे रेट में निर्यात किया जाता है। जमाखोरों और कालाबाजारी पर लगाने के लिए केंद्र सरकार ने कानून में बदलाव किया तो बाहरी व्यापारी नदारद हो गए। ऐसे में लोकल फुटकर बाजारों में इतनी बड़ी मात्रा में खपत नहीं होने से यह माल आढ़तियों के यहां डंप हो रहा है। जो व्यापारी किसानों से माल लेकर आ चुके हैं, वह इसे औने-पौने में बेचने की जुगाड़ में हैं।

फिर भी लुट रही है पब्लिक

बता दें कि शुक्रवार को शहर की फुटकर बाजारों में प्याज के रेट फ्0 रुपए प्रति किलो थे। जैसे हालात बन रहे हैं उससे तो रेट कम हो जाने चाहिए थे लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मुंडेरा थोक सब्जी मंडी में प्याज के रेट ख्0 रुपए प्रति किलो थे लेकिन शहर में आते-आते इसके रेट दस रुपए बढ़ गए। मुनाफाखोरी की हदें पार कर रही फुटकर सब्जी मंडियों की मनमानी पर प्रशासन भी कोई लगाम नहीं लगा रहा है। सोहबतियाबाग फुटकर मंडी में सब्जी विक्रेता सुभाष से जब रिपोर्टर ने कहा कि इतनी महंगी प्याज क्यों बेच रहो, तो उसने टका सा जवाब दिया। खरीदना हो तो लो, वरना जाओ।

आलू ने दी राहत

प्याज भले ही लोगों को रुला रहा हो लेकिन आलू ने थोड़ी राहत दे दी है। शुक्रवार को फुटकर मंडियों में आलू ख्0 रुपए प्रतिकिलो के रेट से बिका। जबकि दो दिन पहले इसके रेट ख्ब् से ख्8 रुपए पहुंच गए थे। हरी सब्जियों की बढि़या आवक और बाहरी व्यापारियों के गायब हो जाने से आलू की पूछ-परख कम हो गई है, जिससे उसके दाम गिरने लगे हैं। आढ़ती बरकत ने बताया कि फिलहाल आलू के भी खरीदार नहीं मिल रहे हैं। जिससे माल के खराब होने के आसार बनने लगे हैं। मुंडेरा मंडी में बढि़या किस्म के आलू के रेट क्8 से ख्0 रुपए प्रति किलो। फुटकर बाजारों में भी आलू इसी रेट से बिका।

तीन दिन में ऐसे बदले सब्जियों के रेट

क्- एक जुलाई को थोक मंडी में प्याज के रेट

क्भ्00 से ख्000 रुपए प्रति क्विंटल

फुटकर रेट- ख्8 रुपए प्रति किलो

एक जुलाई को थोक मंडी में आलू के रेट

क्म्00 से क्900 रुपए प्रति क्विंटल जी फोर

फुटकर रेट- ख्8 रुपए प्रति किलो

क्700 रुपए प्रति क्विंटल सामान्य आलू

फुटकर रेट- ख्ब् रुपए प्रित किलो

ख्- चार जुलाई को थोक मंडी में प्याज के रेट

क्भ्00 से ख्000 रुपए प्रति क्विंटल

फुटकर रेट- फ्0 रुपए प्रति किलो

चार जुलाई को थोक मंडी में आलू के रेट

क्फ्00 से क्भ्00 रुपए प्रति क्विंटल सामान्य आलू

फुटकर रेट- क्8 रुपए प्रति किलो

क्700 रुपए प्रति क्विंटल जी फोर आलू

फुटकर रेट- ख्0 रुपए प्रति किलो

-कानून में बदलाव के चलते आलू-प्याज के बाहरी व्यापारी भाग खड़े हुए हैं। मंडी में व्यापारियों का माल डंप हो गया है। दोनों के दामों में गिरावट हो गई है। अभी दोनों के रेट और ज्यादा कम हो सकते हैं। फुटकर बाजारों की मुनाफाखोरी पर रोक लगनी चाहिए।

सतीश कुशवाहा, अध्यक्ष, मुंडेरा सब्जी मंडी