- सविंदाकर्मियों के खाते में नहीं जमा किया जा रहा पैसा

- केंद्रीय श्रम मंत्री ने सीएम को लिखा पत्र

- 15 नगर निगमों व निकायों को नोटिस

- 6 निगमों के खिलाफ प्रवर्तन अधिकारियों ने शुरू की कार्रवाई

sunil.yadav@inext.co.in

LUCKNOW : प्रदेश के नगर निगम व नगर पालिकाओं में संविदा कर्मियों के पीएफ की लूट की जा रही है। बार-बार चेतावनी के बाद भी जिम्मेदार पीएफ का पैसा जमा नहीं कर रहे हैं। जबकि प्रदेश के 21 नगर निगमों को नोटिस भी जारी किया गया है। अब केंद्रीय भविष्य निधि संगठन कार्रवाई शुरू कर दी है।

कई हजार कर्मचारी कार्यरत

प्रदेश की इन नगर निगमों में सफाई कर्मचारी, इलेक्ट्रिशियन, ड्राइवर, सुपरवाइजर, गैंगमैन, चपरासी सहित अन्य कर्मचारी संविदा या ठेके पर रखे जाते हैं। अकेले लखनऊ नगर निगम में ही तीन हजार से अधिक कर्मचारी कांट्रैक्ट पर काम कर रहे हैं, लेकिन ये नगर निगम या फिर मैनपावर सप्लाई करने वाली कंपनियां कर्मचारियों का हक मार रही हैं और उनका पीएफ कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में जमा ही नहीं कर रही। जबकि नियमों के मुताबिक 15 हजार से कम सैलरी वाले सभी कर्मचारियों का पीएफ जमा करना अनिवार्य है। ये संस्थान कर्मचारियों की सैलरी से पैसा तो काट लेते हैं, लेकिन उसे जमा नहीं करते। जिससे कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं मिलता।

कारण बताओ नोटिस जारी

तीन माह पहले ही इन नगर निगमों में चल रहे गोरखधंधे की रिपोर्ट क्षेत्रीय भविष्य निधि आयुक्त अनिल कुमार प्रीतम ने केंद्रीय भविष्य निधि आयुक्त को भेजी थी। जिसमें कहा गया था कि 15 नगर निगमों व नगर निकायों को अनुपालन न करने पर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। साथ ही 6 नगर निगमों व नगर निकायों के खिलाफ केंद्रीय भविष्य निधि अधिनियम 1952 की धारा 7 ए के तहत कार्रवाई की जा रही है।

खाते में रकम नहीं जमा

गौरतलब है कि इन संस्थानों ने यह जानकारी तक नहीं उपलब्ध कराई है कि उनके यहां पर कांट्रैक्ट या ठेके पर कितने कर्मचारी कार्यरत हैं। जबकि प्रत्येक में 1000 से लेकर 3000 तक कर्मचारी इस व्यवस्था के तहत तैनात किए गए हैं और उनका पीएफ भी काटा जाता है। लेकिन इस पैसे को भविष्य निधि के खातों में जमा नहीं किया जाता।

सीएम ने जारी किए सख्त निर्देश

नगर निगमों और नगर निकायों की हीलाहवाली पर केंद्रीय श्रम मंत्री ने सीएम अखिलेश यादव को पत्र लिखा कर नगर निगमों और नगर निकायों को कानून का पालन कराने को कहा है। जिस पर सीएम अखिलेश यादव ने मामले का संज्ञान लेते हुए प्रमुख सचिव को भी कार्रवाई के सख्त निर्देश जारी किए हैं। केंद्र और सीएम के संज्ञान लेने के बाद अब संविदा कर्मियों का करोड़ों रुपए डकारना नगर निगमों के लिए आसान नहीं होगा।

प्रवर्तन अधिकारियों ने शुरू की कार्रवाई

लगातार नियमों का उल्लंघन करने और बार-बार नोटिस देने के बाद भी रिकॉर्ड न देने के कारण क्षेत्रीय अधिकारी ने प्रवर्तन अधिकारियों को कार्रवाई के निर्देश दिए और उन्होंने 7ए के तहत प्रोसेडिंग शुरू कर दी है। जिनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है उनमें लखनऊ, बाराबंकी और रायबरेली सहित अन्य नगर निगम भी हैं।

तो खाते हो जायेंगे सीज

अगर नगर निगम अधिकारियों ने कर्मचारियों की जानकारी उपलब्ध न कराई और पैसा जमा न किया तो उनके खाते सीज करके आगे की कार्रवाई की जाएगी। कई जिलों में इस कार्रवाई की तैयारी कर ली गई है। लखनऊ नगर निगम भी इसमें शामिल है और जल्द ही अधिकारी नगर निगम का खात सीज करेंगे।

नगर निगमों को नोटिस भेजे गए हैं। रिकॉर्ड प्रस्तुत न करने वाले निगमों के खिलाफ 7ए के तहत कार्रवाई की जा रही है।

- बीके अस्थाना, सहायक आयुक्त, भविष्य निधि संगठन