-दो हफ्ते से चल रही है आदमखोर बाघिन को शूट करने की कवायद

-रामनगर क्षेत्र में बाघिन को खोजने में लगाया गया है हेलीकॉप्टर

-200 वन कर्मचारी जुटे हैं रात-दिन तलाश में, 2 ड्रोन और 4 हाथी भी ऑपरेशन में

-बाघिन की तलाश में अब तक खर्च हो चुके हैं 30 लाख रुपये से ज्यादा

DEHRADUN:

एक आदमघोर बाघिन ने पूरे वन महकमे की नाक में दम कर रखा है। कॉर्बेट नेशनल पार्क के रामनगर इलाके में दो हफ्ते से इस आदमखोर बाघिन को मार गिराने के लिए दो सौ से ज्यादा वन कर्मचारियों और शूटर्स को लगाया गया है लेकिन अभी तक कोई सफलता हाथ नहीं लगी है। इस आदखोर बाघिन को खोजने के लिए एक हेलीकॉप्टर के अलावा दो ड्रोन भी लगाए गए हैं। शनिवार से हेलीकॉप्टर से बाघिन की तलाश की जा रही है। बार बार हेलीकॉप्टर उड़ान भर रहा है लेकिन बाघिन का कोई अता पता नहीं चल पाया। आपको बता दें कि देश में ये पहला मौका है जब किसी बाघिन की तलाश के लिए इतना बड़ा ऑपरेशन चलाया जा रहा है। इस ऑपरेशन में अब तक तीस लाख रुपये से ज्यादा खर्च हो चुके हैं। बाघिन की तलाश का काम ख्7 सितंबर से बदस्तूर चल रहा है।

अपनी तरह का पहला ऑपरेशन

रामनगर रेंज में इस आदमखोर बाघिन की तलाश के लिए स्पेशियली हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे पहले दो ड्रोन विमानों से इसकी तलाश की जा रही थी और दर्जन वन कर्मचारी भी तलाश में जुटे थे। अब कर्मचारियों की फौज भी बढ़ाकर ख्00 कर दी गई है। इतना ही नहीं, दो हाथियों को भी इस ऑपरेशन में लगाया गया है। वन कर्मचारी रात-दिन बाघिन की तलाश में जुटे हैं। रविवार को फॉरेस्ट की टीम को एक खेत में बाघिन के पगमार्क दिखे थे। दर्जनों कर्मचारी और शूटर्स ने उसकी तलाश की लेकिन वो हाथ नहीं लग पाई।

कैमरों में भी नहीं दिख रही

हैरत वाली बात ये है कि ये आदमखोर बाघिन अब तक जगह-जगह लगाए गए कैमरों में भी कहीं नजर नहीं आई है। बाघिन को ट्रैप करने के लिए पूरे इलाके के खेतों और जंगल में दर्जनों कैमरे लगाए गए हैं। ये सभी नाइट विजन कैमरे हैं, लेकिन वो कहीं नहीं दिखी है। वन अधिकारियों का कहना है कि ये बाघिन कॉर्बेट के रिकॉर्ड में नहीं है।

बेहद चालाक है वो बाघिन

वन विशेषज्ञों का कहना है कि ये बाघिन बेहद चालाक है। वो कभी अचानक दिख रही है लेकिन पलभर में ओझल हो जाती है। विशेषज्ञों के मुताबिक ये बाघिन मुरादाबाद में ख्0क्ब् में शूट की गई बाघिन की जैसी ही है। ख्0क्फ् में मुरादाबाद वाली बाघिन के नाम से प्रसिद्ध बाघिन ने ब्0 दिन में म् लोगों का शिकार कर डाला था। उसने अपना पहला शिकार संभल जिले में किया। जहां उसने एक ख्क् साल के युवक को अपना निवाला बनाया। इस बाघिन का आखिरी शिकार फरवरी में बिजनौर फॉरेस्ट रेंज में एक म्भ् साल का वृद्ध बना था। विशेषज्ञों का कहना है कि ये दोनों शिकार बाघिन ने करीब क्00 किलोमीटर की दूरी पर किए जो आश्चर्यजनक हैं। क्योंकि बाघिन का एक इलाका होता है और वो उससे बाहर जाकर शिकार नहीं करती। अंदेशा है कि कहीं रामनगर वाली बाघिन भी ऐसा न करे। वो भी अपनी रेंज बढ़ा सकती है और अगर ऐसा हुआ तो उसे शूट करने में कई हफ्तों तक ऑपरेशन चलाना पड़ सकता है।

देश में यह पहला मौका है, जब आदमखोर को पकड़ने के अभियान में हेलीकॉप्टर की मदद ली जा रही है। ड्रोन से भी निगहबानी के साथ ही चार हाथियों की सेवाएं भी ली जा रही हैं। लेकिन, बाघिन अधिक चालाक है और वह नजर आने के बाद पलभर में ओझल हो जा रही है। कुछ दिक्कतें लोगों की भीड़ के कारण भी हो रही हैं। विभाग पूरी तरह कोशिश कर रहा है और भरोसा है कि ये ऑपरेशन जल्द खत्म हो जाएगा।

डीबीएस खाती, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक, उत्तराखंड

-फ् साल है बाघिन की उम्र

-ख् लोगों को बना चुकी है निवाला

-ख् लोगों को कर चुकी है घायल