सुमित्रा महाजन का सख्त फैसला

संसद में कामकाज शुरू करने के सरकार के सभी प्रयास विफल रहे। सत्र की शुरुआत से ही लोकसभा नहीं चलने देने वाले कांग्रेसी सांसदों ने सोमवार को बार-बार चेतावनी के बावजूद हंगामा जारी रखा, तो अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने अनुशासन बनाए रखने के लिए सख्त फैसला ले लिया। उन्होंने पार्टी के 44 में से 25 सांसदों को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया। इसके बाद सरकार और विपक्ष के बीच लड़ाई और बढ़ गई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी समेत अन्य सांसदों ने भी पांच दिनों तक सदन के बहिष्कार की घोषणा कर दी। अब तक हंगामे से दूरी बना रहा विपक्ष भी सरकार के खिलाफ लामबंद हो गया।

चेतावनी के बावजूद जारी रहा हंगामा

पिछले कई दिनों की तरह सोमवार को भी कांग्रेस के सांसद हाथों में काली पट्टी बांधकर तख्तियों के साथ लोकसभा पहुंचे थे। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने आसन के पास हंगामा कर रहे सांसदों को वापस जाने के लिए पांच मिनट का वक्त दिया। लेकिन बार-बार चेतावनी के बावजूद सांसदों का हुड़दंग जारी रहा। इस पर महाजन ने लोकसभा संचालन के नियम 364 (ए) के तहत 25 सांसदों को निलंबित कर दिया। इससे नाराज कांग्रेस ने उन पर भी हमला बोल दिया। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि सांसदों का निलंबन संसदीय लोकतंत्र के लिए खतरनाक है। दूसरी तरफ, भाजपा ने स्पीकर के फैसले को सही ठहराया है।  

भाजपा का सर्मथन

वहीं भाजपा और सहयोगी दलों ने ने इस निलंबन को सही और आवशक बताया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि ‘लोकसभा में सूक्ष्मदर्शी से ढूंढने लायक प्रतिनिधित्व होने के बावजूद कांग्रेस ने संसद को बंधक बना रखा है। अधिकांश दल चर्चा के पक्ष में हैं, लेकिन कांग्रेस सदन चलने नहीं दे रही।’ सरकार ने विपक्ष के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि वह सदन में हर मुद्दे पर चर्चा कराने के लिए तैयार है, लेकिन कांग्रेस अडिय़ल रवैया अपना रही है। संसदीय कार्य मंत्री वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार विपक्ष की बातें मानती रही है। उनका कहना था कि कांग्रेस और एक दो अन्य पार्टियों को छोडक़र सभी दल मानते हैं कि संसद की कार्यवाही चले और चर्चा हो।

सर्वदलीय बैठक बेनतीजा

इससे पहले संसद में जारी गतिरोध को तोडऩे के लिए सरकार द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में भी कोई नतीजा नहीं निकल पाया। बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने संवाददाताओं से कहा कि विपक्षी दल भी संसद चलने देना चाहते हैं। लेकिन दुर्भाग्य से सरकार चाहती है कि हर काम उसकी शर्तों पर हो। वह ललित मोदी प्रकरण और व्यापम घोटाले में शामिल लोगों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करना चाहती। सरकार के इसी रवैये के कारण बैठक का नतीजा शून्य रहा।

ये सांसद हुए निलंबित

सुष्मिता देव, रंजीत रंजन, मुल्लापल्ली रामचंद्रन, दीपेंद्र हुड्डा, विनसेंट पाला, गौरव गोगोई, के. सुरेश, राजीव सातव, केसी वेणुगोपाल, रवनीत सिंह बिट्टू, एसपी मुदाहनुमेगौड़ा, केएच मुनियप्पा, एमके राघवन, ताम्रध्वज साहू, बीएन चंद्रप्पा, संतोख सिंह चौधरी, अबु हशीम खान चौधरी, आर ध्रुवनारायण, निनोंग इरिंग, सुकेंद्र रेड्डी, सुरेश कोडिकुन्निल, सीएल रुआला, टी. मेन्या, अभिजीत मुखर्जी और बीवी नाईक।

नियम 374 (ए) के आधार पर निलंबन

कोई सदस्य अगर सदन में गंभीर अव्यवस्था पैदा करे, वेल में आकर लगातार नारेबाजी या हंगामा करे और स्पीकर ऐसे सदस्य का नाम ले तो वह सदन की कार्यवाही के लगातार पांच सत्रों या सत्र की शेष अवधि, जो भी कम हो, के लिए स्वत: निलंबित हो जाता है। इसी आधार पर इन सांसदों का निलंबन किया गया है।

लगभग सभी विपक्षी पार्टियां कांग्रेस के साथ

सांसदों के निलंबन के विरोध में कांग्रेस, तृणमूल, माकपा, भाकपा, आरएसपी, मुस्लिम लीग, राजद, जदयू और आप यानि कुल नौ विपक्षी दलों ने अगले पांच दिन तक लोकसभा की कार्यवाही के बहिष्कार का फैसला किया है। इस तरह से सदन में मौजूद एक दो को छोड़ कर लगभग सभी का सर्मथन कांग्रेस को मिल रहा है। जाहिर है कि सरकार के लिए मानसून सत्र की राह आसान होने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है।

Hindi News from India News Desk

National News inextlive from India News Desk