AGRA (26 March): प्रदेश शासन से नया फरमान आया है। जनपद में थानों को हाईटेक बनाया जाए। यहां एफआईआर से लेकर क्रिमिनल्स रिकॉर्ड तक, माउस की एक क्लिक पर मिले। मसलन थाने पेपरलैस हों। ई-थाने बन जाएं। खुद मुख्य सचिव आलोक रंजन ने आला अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं, लेकिन हकीकत काफी अलग है। अभी क्राइम एंड क्रिमिनल्स ट्रैकिंग सिस्टम (सीसीटीएनएस) का काम अधूरा पड़ा है। थानों में सिर्फ एफआईआर ही डिजिटलाइज हो सकी हैं। इन हालातों में ई-थाने के फरमान को अमल में लाना महकमे में लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

मीटिंग में दिए दिशा-निर्देश

हालांकि शासन के निर्देश पर ई-थानों की कवायद जोर पकड़ने लगी है। क्योंकि पिछले दिनों लखनऊ में हुई मीटिंग में चीफ सेक्रेटरी आलोक रंजन ने इस बारे में सभी अधिकारियों को दिशा-निर्देश दिए हैं। दरअसल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया की तर्ज पर सूबे की सरकार भी प्रदेश के थानों को पेपरलैस कराना चाहती है।

लखनऊ से कनेक्ट होगा आगरा का कंट्रोल रूम

पुलिस को हाईटेक करने की दिशा में लखनऊ में पीईएमएस (पुलिस इमरजेंसी मैनेजमेंट सिस्टम) 100 डायल योजना के अन्तर्गत हाईटेक कंट्रोल रूम बनाया जाना है। 2325.33 करोड़ की लागत से बनने वाले हाईटेक कंट्रोल रूम से आगरा के कंट्रोल रूम को भी कनेक्ट किया जाएगा। इसके तहत पूरे प्रदेश में 3200 चार पहिया वाहन और 1600 दो पहिया वाहन हर समय पेट्रोलिंग करते रहेंगे। इस योजना के तहत कोई भी कंट्रोल रूम में फोन करेगा तो उसकी रिकॉर्डिग आगरा के अलावा लखनऊ के कंट्रोल रूम में भी होगी।

सीसीटीएनएस के तहत होने वाले काम

सभी थानों को सीसीटीएनएस से जोड़ना

थानों को सीसीटीवी कैमरे से सुसज्जित करना।

हाईटेक कंट्रोल रूम तैयार करना

थानों पर पब्लिक एड्रेस सिस्टम का होना

क्राइम डिटेल, अरेस्ट फॉर्म, सीजर फॉर्म, चार्जशीट, फाइनल रिपोर्ट आदि दर्ज किए जाएं

सीसीटीएनएस का रिपोर्ट कार्ड

जनपद के 42 में से नौ थाने सीसीटीएनएस के तहत कनेक्ट नहीं।

दर्जन भर से ज्यादा थानों में इंटरनेट की सेवा ही उपलब्ध नहीं है।

थानों में अब तक हाईटेक सीसीटीवी कैमरा तक नहीं लग पाए हैं।

सिर्फ पांच चौराहों पर सीसीटीवी लगे हैं। कई में तकनीकी खामी है।

जिले में 32 प?िलक एड्रेस सिस्टम हैं, इनमें से 28 ही काम कर रहे।

मौजूदा समय में कम्प्यूटर सिस्टम पर एफआईआर ही दर्ज हो रही है।

पुलिस लाइन में मॉर्डन पुलिस कंट्रोल रूम बनाया जा चुका है। यहां से मंडल के चार जिले इसमें मथुरा, मैनपुरी, फीरोजाबाद और आगरा शामिल है। इसमें आठ लाइनें बिछाई गई हैं। फिर भी वारदात होने पर पुलिस कंट्रोल रूम में फोन न उठने की शिकायतें मिलती हैं।

आईटीएमएस प्रोजेक्ट के रिपोर्ट कार्ड पर एक नजर

जिले में 12 बॉडी वोर्न कैमरा मिलने थे, पर अभी नहीं मिले।

दिल्ली पुलिस की तर्ज पर मल्टीपर्पज बैरियर लगाए जाने हैं।

ट्रैफिक लाइट का टाइम-टेबल नहीं है, अभी कार्य शुरु नहीं।

ट्रैफिक लाइन में हाइटेक कंट्रोल करना, अभी काम शुरु नहीं।

आगरा में केवल 18 लाख रुपये ही शासन से प्राप्त हुए हैं। इसमें पांच लाख बॉडी-वोर्न कैमरे के लिए 13 लाख रुपये कंट्रोल रूम के लिए प्राप्त हुए हैं। इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम के तहत आगरा समेत 12 जिलों हो ट्रैफिक जाम से निजात दिलाने के लिए इस प्रोजेक्ट पर काम किया जाना था।