-यूपी पॉवर कॉरपोरेशन के चेयरमैन की बुक में शहर को 24 घंटे बिजली

-पीवीवीएनएल अफसरों की समीक्षा के दौरान चैयरमैन ने जताई हैरानी

Meerut: एक और जहां मेरठ में बिजली की किल्लत नासूर बनी हुई है, वहीं पॉवर कॉरपोरेशन की बुक में मेरठ को चौबीस घंटे बिजली मुहैया कराई जा रही है। चौंकाने वाली बात तो यह है कि यूपीपीसीएल के चेयरमैन को यह सुनकर अटपटा लगा कि मेरठ में भी बिजली की समस्या बनी हुई है। चेयरमैन की ओर से यह हैरान कर देने वाला जवाब पश्चिमांचल की समीक्षा बैठक के दौरान उस समय आया जब उनसे मेरठ की पॉवर सप्लाई बेहतर करने से संबंधित सवाल पूछा गया।

मेरठ को 24/7 बिजली?

दरअसल, उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन संजय अग्रवाल और एमडी एपी मिश्रा ने शुक्रवार को पश्चिमांचल विद्युत वितरण निगम के अफसरों की बैठक ली। समीक्षा बैठक के बाद में ब्रीफिंग के लिए विभाग की ओर से मीडिया को आमंत्रित किया गया। इस दौरान चेयरमैन संजय अग्रवाल ने बैठक के एजेंडे संबंधित जानकारी मीडिया को देते हुए मेरठ की बिजली आपूर्ति के बारे में बताया। जब चेयरमैन ने शहर की पॉवर सप्लाई की बेहतरी के बारे में पूछा गया तो उन्होंने हैरानी जताते हुए उल्टा सवाल दाग दिया। मेरठ को 24/7 बिजली नहीं मिल रही क्या?

एमडी ने संभाली स्थित

चेयरमैन संजय अग्रवाल की ओर जब मेरठ को 24/7 बिजली आपूर्ति की बात कही गई, तभी बगल में बैठे पॉवर कॉर्पोरेशन के एमडी एपी मिश्रा ने स्थित संभाली। एपी मिश्रा ने बताया कि तकनीकि फॉल्ट और कुछ अपरिहार्य कारणों से कभी-कभी कटौती करनी पड़ती है तो इस पर चेयरमैन हैरानी जताते हुए चुप हो गए।

एक नहीं दो बार बोले चेयरमैन

ऐसा नहीं कि चेयरमैन संजय अग्रवाल ने मेरठ में 24/7 बिजली सप्लाई का दावा एक बार ही किया है। बैठक के बाद जब चेयरमैन मोबाइल कैश वैन का उद्घाटन करने बाहर आए तब भी उन्होंने वार्ता के दौरान मेरठ को 24/7 घंटे बिजली दिए जाने की बात कही।

अभी निजी हाथों में नहीं जाएगी बिजली

मामला प्राइवेटाइजेशन का

असल में शासन की ओर से मेरठ, गाजियाबाद व वाराणसी की बिजली को प्राइवेट हाथों में सौंपने की तैयारी चल रही है। शासन की ओर से मेरठ शहर की बिजली को निकॉन कंपनी के देने का प्रस्ताव था। शुक्रवार को मेरठ में समीक्षा करने आए चेयरमैन ने निजीकरण की अटकलों पर विराम लगाते हुए का कि अभी निजीकरण पर कोई फैसला नहीं लिया गया है। अभी प्राइमरी स्टेज पर इन शहरों की फिजीबिलिटी चेक कराई जा रही है। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाएगा।

हानि-लाभ पर होगा निर्णय

शासन का मानना है कि शहर में बिजली विभाग अपेक्षानुसार राजस्व नहीं जुटा पा रहा है। इसके अलावा शहर में चालीस फीसदी लाइन लॉस से कार्पोरेशन को राजस्व का बड़ा फटका लग रहा है। शहर को घाटे का सौदा मानते हुए कार्पोरेशन ने शहर की बिजली को निजी हाथों में सौंपने का मन बनाया था। हालांकि अब चेयरमैन लाभ और हानी का गणित लगाकर ही प्राइवेटाइजेशन संबंधी कोई निर्णय लेने की बात कह रहे हैं।

अफसरों का घेराव

बिजली कर्मचारी संघर्ष समिति के बैनर तले ऊर्जा भवन पहुंचे सैकड़ों कर्मचारियों ने नारेबाजी शुरू कर दी। इसी बीच बैठक कर बाहर निकले कंपनी के लोगों को कर्मचारियों ने बंधक बना लिया। गुस्साए कर्मचारियों ने किसी भी कीमत पर निजीकरण होने देने की घोषणा करते हुए कंपनी के लोगों के साथ धक्का-मुक्की कर दी। मामला तूल पकड़ते देख विभाग के लोगों ने किसी तरह बीच बचाव कराया। कर्मचारियों का उग्र रूप देख कंपनी के लोगों ने मेरठ शहर में बिजली का कांट्रेक्ट न उठाने का आश्वासन दिया। कंपनी के आश्वासन पर कर्मचारी वापस लौट गए।

अफसरों पर गिरी गाज

दरअसल, विभाग की आरएपीडीआरपी योजना में पश्चिमांचल के 56 टाउन रखे गए हैं, जिनमें से 36 टाउन में काम शुरू हो चुका है। समीक्षा बैठक के दौरान चेयरमैन संजय अग्रवाल और एमडी एपी मिश्रा ने अफसरों से वन-टू-वन योजना की प्रोग्रेस पूछी। इस दौरान चांदपुर में प्रोग्रेस डाउन मिलने पर वहां के अधिशासी अभियंता जकाउल्ला खान को चार्जशीट दे दी गई, जबकि एसई बागपत राजेन्द्र सिंह को एडवर्सरी रिमार्क दे दिया गया। इसके अलावा खराब परफोरमेंस को लेकर संभल के एसई, चंदौसी के एक्सईएन, मुरादाबाद के एसई को काम में सुधार लाने की चेतावनी देकर छोड़ दिया गया।

कम राजस्व, अधिक लाइन लॉस

दरअसल, चेयरमैन का गुस्सा कम राजस्व और अधिक लाइन लॉस वाले क्षेत्रों को लेकर था। चेयरमैन ने यह स्पष्ट कर दिया कि राजस्व में बढ़ोतरी और लाइन लॉस 15 फीसदी तक कम नहीं किया गया तो नकारा अफसरों को और अधिक बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।