इसी बीच ओडिशा पुलिस संघ ने धमकी दी है कि अगर कट्टर माओवादियों को छोड़ा गया, तो वो माओवादियों के इलाकों में काम बंद कर देंगे और जरूरत पड़ने पर आंदोलन भी करेंगे।

माओवादियों ने ओडिशा में दो अलग-अलग मामलों में इतालवी पर्यटक बोसुस्को पाओलो और बीजू जनता दल विधायक झीना हिकाका का अपहरण किया है। इन दोनों की रिहाई के लिए माओवादियों नें मांगें रखी हैं, जिनमें 30 माओवादियों की रिहाई की मांग है।

बयान

सोमवार को ओडिशा सरकार ने कहा कि 23 लोगों को छोड़ने के लिए उनकी जमानत याचिका दर्ज की जाएगी जिससे उनकी रिहाई की कानूनी प्रक्रिया पूरी की जाएगी। सरकार ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया में में जितना वक्त लगता है वो लगेगा। रविवार को सीपीआई माओवादी आंध्र ओडिशा बॉर्डर स्पेशल जोनल कमिटी के प्रवक्ता जगबंधु ने मीडिया बयान जारी किया था।

इस बयान में कहा गया कि जिन 30 माओवाद कैदियों की रिहाई की उन्होंने मांग की थी मंगलवार को उन सभी को कोरापुट जिले के बालीपेटा गाँव पहुँचाया जाए, तो झीना हिकाका को उनके परिवार के हाथों सौंप दिया जाएगा।

माओवादियों ने जिन 30 लोगों की रिहाई के बदले हिकाका को मुक्त करने की पेशकश की है, उनमें ऐसे 23 लोग हैं जिन्हें रिहा करने के बारे में सरकार पहले ही घोषणा कर चुकी है।

पुलिस की धमकी

शुक्रवार को माओवादियों की और से इन 23 के अलावा पांच अन्य लोगों की रिहाई की मांग की गई थी। लेकिन ओडिशा पुलिस की धमकी से सरकार भी गंभीर हो गई है। ओडिशा पुलिस संघ ने कहा है कि अगर कट्टर माओवादियों को छोड़ा जाता है तो वो नक्सल विरोधी ऑपरेशन में शामिल नहीं होंगे ।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक ओडिशा पुलिस संघ के अध्यक्ष सावरमल शर्मा ने संवाददाताओं से कहा, "हम कट्टर माओवादियों को छोड़ने किसी भी पहल का एड़ी-चोटी से विरोध करेंगे। जरूरत पड़ी तो हम उनकी रिहाई रोकने के लिए सशक्त आंदोलन भी करेंगे." ओडिशा सरकार ने कट्टर माओवादियों को छोड़ने की शर्त पर पुलिस की राय मांगी है।

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