-राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने आर्य समाज अनाथालय का किया निरीक्षण

-जांच के दौरान मिली अव्यवस्थाएं, अध्यक्ष बोले बंद होने चाहिए ऐसे अनाथालय

BAREILLY : राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने वेडनसडे को आर्य समाज अनाथालय का निरीक्षण किया। जिसमें अनाथालय प्रबंध समिति की हकीकत की पोल खुल गई। कमरों में गद्दों की जगह कंबल बिछे थे और गंदी चादर बिछी थी। बिस्तरों के नीचे बर्तन और बुक्स रखी थीं। एक कमरे में सीमेंट के बोरे रखे हुए थे। जिस पर अध्यक्ष ने नाराजगी जाहिर करते हुए अनाथालय को बंद कराने की चेतावनी दे डाली। वहीं, अनाथालय के प्रबंधक अमृतलाल नागर के ऑफिस में दीवार पर तिरछा तिरंगा देख आयोग के अध्यक्ष ने तुंरत ठीक करवाया।

 

13 और 18 का पहाड़ा याद नहीं

राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता सुबह करीब 10 बजे डीएवी कॉलेज स्थित आर्य समाज अनाथालय पहुंचे। उनके साथ आयोग की सदस्य सुचिता चतुर्वेदी, डिप्टी सीपीओ नीता अहिरवार व एसीएम सेकंड भी थे। उन्होंने पहले अनाथालय के प्राथमिक विद्यालय का निरीक्षण किया। जहां अध्यापक बच्चों का परिवेश के बारे में पढ़ा रहे थे। आयोग के अध्यक्ष ने एक बच्चे को खड़ा करके पहले 13 और 18 का पहाड़ा सुनाने को कहा, लेकिन बच्चा पहाड़ा नहीं सुना पाया। इसके बाद उन्होंने दूसरे बच्चे को बोर्ड पर आर्शीवाद लिखने को कहा लेकिन उसने गलत लिखा। इस पर उनका पारा चढ़ गया। उन्होंने कहा कि बच्चों को आप परिवेश के बारे में पढ़ा रहे हैं लेकिन इनको बेसिक जानकारी भी नहीं है।

 

टीचर को नहीं पता लौह पथ गामिनी का अर्थ

आयोग के अध्यक्ष विशेष गुप्ता ने शिक्षक से ही लौह पथ गामिनी का अर्थ पूछ लिया। लेकिन शिक्षक इसका जवाब नहीं दे सके। उन्होंने एबीएसए को निर्देश दिए कि एक महीने के अंदर स्कूल के बच्चों का प्रोफाइल तैयार कर डीएम के माध्यम से उनको उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि इन बच्चों को अभी तैयार नहीं किया गया तो यह भविष्य में कुछ नहीं कर पाएंगे। आयोग के अध्यक्ष ने एबीएसए को निर्देशित करते हुए कहा कि बीएसए बच्चों की आदत, दबाव, तनाव, प्रोफाइल आदि का रिव्यू एक महीने में तैयार करेंगे।

 

दर्ज नहीं थी उपस्थित

बच्चों की उपस्थिति रजिस्टर पर दर्ज न मिलने पर आयोग के अध्यक्ष ने शिक्षक की जमकर फटकार लगाई। उन्होंने कहा कि बीएसए जैसे बताएंगे वैसे ही काम करना होगा। कभी परंपरा से भी हटकर काम कर लिया करो। दरअसल, शिक्षक ने आधे बच्चों की हाजिरी ही रजिस्टर पर चढ़ाई थी। बाकी बच्चों की हाजिरी पूछने पर वह पेज में जगह न होने का बहाना करने लगे।

 

शिक्षक दिवस की नहीं थी जानकारी

आज शिक्षक दिवस था लेकिन अनाथालय के प्राथमिक स्कूल में पढ़ऩे वाले बच्चों को इसकी जानकारी नहीं थी। जब आयोग के अध्यक्ष ने बच्चों से इस बारे में पूछा तो कोई भी जवाब नहीं दे पाया। शिक्षक की फटकार लगाते हुए उन्होंने एबीएसए को निर्देश दिए कि इस पर भी अधिकारी ध्यान दें। योगी सरकार ने महापुरुषों की जयंती पर अवकाश खत्म कर दिए हैं लेकिन शिक्षक उनके बारे में भी बच्चों को जानकारी नहीं देते।

 

मिड-डे मिल मतलब चावल

आयोग के अध्यक्ष का पारा उस वक्त चढ़ गया। जब उन्होंने मिड-डे मील का बीते एक सप्ताह का मेन्यू देखा। सरकार के मेन्यू के हिसाब से बच्चों को सप्ताह में दो दिन रोटी दी जानी चाहिए, लेकिन मिड-डे मील सप्लाई करने वाली एनजीओ एक सप्ताह से बच्चों को चावल ही खिला रही है। सुबह भी खाने में तहरी बनी हुई थी। वहीं दूध और फल का भी मेन्यू में कहीं भी जिक्र नहीं था। उन्होंने शिक्षक और सम्बन्धित एनजीओ को नोटिस देने के निर्देश दिए हैं।

 

हास्पिटल के बेड पर सो रहे बच्चे

हॉस्टल में निरीक्षण के दौरान आयोग के अध्यक्ष को हॉस्पिटल के बेड पर बच्चे सोते हुए मिले। कमरों में सीमेंट के कट्टे रखे थे। छतों पर मकड़ी के जाले लगे थे। बिस्तर पर लगी चादरें गंदी थी। गद्दों की जगह कम्बल बिछाए गए थे। बिस्तर के नीचे किताबें, प्लेट, थाली आदि रखी थीं। खिड़कियों की जाली भी टूटी थीं। इनको देखकर लग रहा था कि निरीक्षण की जानकारी होते ही हड़बड़ाहट में इनको ठीक करने की कोशिश की गई है। इस पर आयोग के अध्यक्ष ने नाराजगी जाहिर की। सीमेंट के कट्टे तत्काल वहां से हटवाने के निदेर्1श दिए।

 

नया सामान मिला स्टोर में

अनाथ बच्चे जहां गंदे बिस्तर पर थे वहीं नए बिस्तर स्टोर में रखे हुए मिले। प्रबंधक ने स्टोर के बक्सों में नया सामान भर रखा था। जब प्रबंधक से इस बारे में पूछा गया तो वह सर्दियों में इनके प्रयोग की बात कहने लगे। वहीं उनके ऑफिस में रखे राशन का भी आयोग की टीम ने सैंपल भरा। ऑफिस में जहां गंदी दाल और चावल रखे हुए थे। वहीं तेल की टीन भी खुली हुई थी। इतना ही नहीं यहां बच्चों को आरओ के पानी की बजाय सादा पानी पीने को दिया जा रहा है।

 

इस तरह के अनाथालयों को बंद होना चाहिए। अच्छे अनाथालयों को चलाने में सरकार पूरा सहयोग करेगी। ऐसे अनाथालयों के बच्चों को अच्छे अनाथालयों में शिफ्ट किया जाएगा। निरीक्षण की रिपोर्ट शासन को सौंपी जाएगी।

विशेष गुप्ता, अध्यक्ष, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग