लखनऊ से लंदन तक की इस कहानी में इश्क है, दोस्ती है और रिश्तों की गर्माहट है। वाकया साठ के दशक का है। डेनियल के पिता सेसिल डे लेविस पब्लिशिंग हाउस चैटो एंड विंडस में डायरेक्टर और सीनियर एडिटर थे।

यहां एक दिन उनकी मुलाकात एक्ट्रेस-राइटर आतिया हुसैन से होती है। सेसिल खुद भी एक मशहूर पोएट और नॉवेलिस्ट थे। लंदन के लिट्रेरी सर्किल में उनका नाम बेहद सम्मान से लिया जाता था।

आतिया लखनऊ में पैदा और पली बढी थीं। लखनवी नजाकत, अदब और तहजीब से भरी। वह काकोरी की एक बेहद रेप्युटेड फैमिली को बिलांग करती थीं। उनकी शुरुआती पढ़ाई ला मार्टिनियर गल्र्स कॉलेज से हुई। फिर पंद्रह बरस की उम्र में पढ़ाई जारी रखने के लिए इशाबेला थोबर्न कॉलेज और फिर लखनऊ यूनिवर्सिटी में दाखिला लिया।

सिर्फ तहजीब और अदब में नहीं आतिया पढ़ाई में भी आगे थीं। किसी तालुकेदार परिवार से ग्रेजुएट करने वाली वह पहली महिला थीं। ग्रेजुएशन की डिग्री से साथ उन्हें लखनऊ यूनिवर्सिटी से गोल्ड मेडल भी मिला।

इसी साल 1933 में उनकी शादी भी हो गई। सन सैंतालीस के बाद वह इंग्लैंड आ गईं। यहां वह बीबीसी से महिलाओं के बीच एक बेहद पापुलर रेडियो शो की होस्ट के तौर पर जुड़ गईं।

साल 1953, आतिया की किताब फीनिक्स फ्लड चैटो एंड विंडस से छपकर आ गई थी। इसी साल मॉडल राइटर एलिजाबेथ के साथ सेसिल का अफेयर शुरू हो गया। हालांकि यह ज्यादा लंबा नहीं चला।

ठीक दो बरस पहले सेसिल ने अपनी पहली पत्नी मेरी को डाइवोर्स देकर अपने से 21 साल छोटी एक्ट्रेस जिल बालकन के साथ घर बसाया था। जिससे न सिर्फ मेरी बल्कि उनकी प्रेमिका रोजामंड की दिल भी टूट गया था।

आतिया की सेसिल से मुलाकात साठ के दशक की शुरुआत में हुई। उन्होंने 1991 में दिए एक इंटरव्यू में अपनी मुलाकात का जिक्र कुछ इस तरह किया था।

'मैंने सनलाइट ऑन ए ब्रोकेन कॉलम लिखी लेकिन उससे बेहद खुश नहीं थी। बहरहाल मैंने उसे एक एजेंट को दे दिया। जिसने बताया कि उसे सेसिल डे लेविस एडिट कर रहे थे। यह मैं सोच भी नहीं सकती थी। मैं जो उनकी कविताएं पढ़ती आई थी.'

'एजेंट ने कहा कि उनका कहना है, नॉवेल ऑटोबायोग्राफिकल ज्यादा है। मुझे गुस्सा आ गया और मैंने कहा, आखिर उनका मतलब क्या है। किसी का भी पहला नॉवेल या कोई भी नॉवेल उसकी जिंदगी और उसके आसपास के लोगों से ही निकलकर आता है.'

'एजेंट ने मुझे उनसे मिलने की सलाह दी। इसके बाद मेरी उनसे पहली मुलाकात हुई और फिर हम बेहद करीबी दोस्त बन गए.'

'मैंने उनसे कहा, मुझे डर है कि वह उसे हाथ भी नहीं लगाएंगे। उन्होंने कहा कि उसमें कुछ हिस्से हैं जो होने ही नहीं चाहिए थे। फिर उन्होंने कहा लाइफ आर्ट नहीं है तुम किताब लिख रही हो जो बात मेरे दिमाग में धर कर गई.'

आतिया के लिए सेसिल से रिश्ता एक दोस्त का था जो उनके बेहद करीब था। बहरहाल एक ब्रिटिश न्यूजपेपर को दिए इंटरव्यू में सेसिल की पहली पत्नी मेरी के बेटे सीन डे लेविस ने कहा था कि उनका मानना है कि दोनों के बीच रिश्ते कहीं ज्यादा गहरे थे।

सेसिल की दूसरी पत्नी जिल को भी इस बात का शक था। कहते हैं एक बार जब उन्हें किसी ने बताया कि सेसिल आतिया से मिलने सैवी थिएटर के ड्रेसिंग रूम में गए थे तो वह गुस्से से भर उठी थीं। डेनियल डे लेविस उन्हीं जिल के बेटे हैं।

गांधी से शुरू हुआ था करियर

1989 में माई लेफ़ट फुट और 2007 में देयर विल बी ब्लड के लिए बेस्ट एक्टर का एकेडमी अवार्ड जीत चुके डेनियल के इंडिया कनेक्शन की कहानी यहां खत्म नहीं होती।

आप में से किसी ने अगर रिचर्ड एटेनबेरो की 1982 में बनी फिल्म गांधी देखी होगी तो शायद एक चेहरा याद होगा.कोलिन के किरदार में गांधी बने बेन किंग्सले पर नस्लीय टिप्पणी कर रहा युवक। वह और कोई नहीं डे लेविस ही थे। तब उनकी उम्र महज 24 साल और गांधी उनकी पहली फिल्म थी।

इस सीन की शूटिंग पुणे में हुई थी। सेट को रिचर्ड एटेनबेरो ने साउथ अफ्रीका का लुक दिया था। उन्होंने अपने इस रोल को बखूबी निभाया था।

फिल्म गांधी के तीन साल बाद लेविस माई ब्यूटीफुल लांड्रेट में नजर आए। इसमें उनकी पहली फिल्म में नेहरू का रोल निभाने वाले रोशन सेठ ने भी काम किया था। हालांकि स्क्रीन पर वह एक और इंडियन सईद जाफरी के साथ दिखे। उन्होंने इसमें एक होमोसेक्सुअल सड़क छाप अपराधी का किरदार निभाया था।

उसी साल उन्होंने एक और फिल्म में काम किया जिसे बाद में ऑस्कर भी मिला। ए रूम विद ए व्यू, इस फिल्म में उन्होंने लूसी हनीचर्च के मंगेतर का रोल किया था। जेम्स आइवरी के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को प्रोड्यूस किया था मुंबई में जन्मे इस्माइल मर्चेंट ने। फिल्म इसी नाम पर बेस्ड ईएम फॉरेस्टर के नॉवेल पर बनी थी।

फॉरेस्टर ने एक और बुक ए पैसेज टू इंडिया भी लिखी है। इस फिल्म के स्क्रीनराइटर रूथ प्रवर झाबवाला की शादी एक इंडियन पारसी आर्किटेक्ट साइरस झाबवाला के साथ हुई थी।

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