- सीमित साधन के हिसाब से प्रदर्शन बहुत बढि़या

- स्टेट में दो प्रतिशत कोटा बहुत दिनों से बंद

Meerut । हमारे यहां सुविधाओं का अभाव है। उसके बावजूद हम किसी से कम नहीं है। उसका नतीजा आपके सामने है। रियो ओलंपिक में दो मेडल आए हैं। ओलंपिक में प्रदर्शन और खेल सुविधाओं पर चर्चा के दौरान कोच पर खिलाडि़यों का दर्द उजागर हो गया। मौका था आई नेक्स्ट कार्यालय में आयोजित ग्रुप डिस्कशन का। वक्ताओं ने साफ कहा कि यदि सुविधाएं बेहतर होतीं तो मेडल की संख्या में इजाफा होता। साधनों के हिसाब से हमारे खिलाडि़यों ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।

कोच का अभाव

हमारे यहां कोच का अभाव है। बहुत से ऐसे खेल है जहां पर बिना कोच के ही खिलाड़ी मेहनत कर रहे हैं। प्रतिदिन आकर अभ्यास करते है और चले जाते हैं। उनको दिशा देने वाला कोई होना चाहिए।

आधुनिक उपकरण नहीं

हमारे पास आधुनिक उपकरण की कमी है। हम अभी नब्ज देखकर खिलाडि़यों का स्टेमिना जान लेते है। जबकि विदेशों में इसके लिए आधुनिक मशीनें हैं। मेडिकल के मामले में हम विदेशों की तुलना बहुत पीछे है।

स्कूलों से मिले प्रशिक्षण

स्कूलों में खेल की फीस तो ली जाती है। लेकिन उस हिसाब से सुविधा नहीं दी जाती है। जबकि होना यह चाहिए कि स्कूल से ही बच्चों को खेल के प्रति जागरूक करना चाहिए। जो जिस खेल में माहिर है उसको आगे बढ़ाना चाहिए। स्कूल में खेल नहीं होते तब ही बच्चे स्टेडियम की ओर भागते हैं।

गरीब परिवार से आते हैं खिलाड़ी

जितने भी अच्छे खिलाड़ी होते है वह गरीब और मध्यम परिवार से आते हैं। उसको खिलाड़ी बनाने में घर और कोच का सबसे महत्वपूर्ण योगदान होता है। परिवार कैसे कैसे करके उसको स्टेडियम तक पहुंचाते हैं। एक खिलाड़ी को तैयार करने में बहुत मेहनत करनी पड़ती है। आसानी से कोई खिलाड़ी तैयार नहीं होता है।

टैलेंट को उभारने की जरूरत

पीवी सिंधू और साक्षी मलिक के जीतने के बाद जिस प्रकार से खिलाडि़यों को सम्मान दिया जा रहा है। वह सम्मान देना चाहिए। लेकिन जिन खिलाडि़यों का सुविधाओं के अभाव में करियर समाप्त हो जाता है। उनकी ओर ध्यान देने की जरूरत है।

दो प्रतिशत कोटा बंद

प्रदेश में नौकरी के लिए खिलाडि़यों का दो प्रतिशत कोटा है। लेकिन वह काफी दिनों से बंद है। पूर्व सीएम मायावती व वर्तमान सीएम अखिलेश यादव ने दो प्रतिशत कोटा लागू करने की कई बार घोषणा की। लेकिन वह अभी तक लागू नहीं हो पाया है।

दूसरे राज्यों से खेलते हैं खिलाड़ी

प्रदेश में दो प्रतिशत कोटा बंद है। खिलाडि़यों के लिए रोजगार नहीं है। इसीलिए खिलाड़ी दूसरे राज्यों से खेलना पसंद करते है। यूपी के अनेक खिलाड़ी है जो हरियाणा की ओर से खेलते है। क्योंकि वहां पर खिलाडि़यों के लिए रोजगार है। यदि प्रदेश में खिलाडि़यों के लिए रोजगार मिल जाए तो प्रदेश के बहुत से खिलाड़ी ऐसे है जो प्रदेश का नाम रोशन कर सकते हैं।

कोटे का मिस यूज

यूपी में दो प्रतिशत जो कोटा है उसका मिस यूज ज्यादा होता है। क्योंकि सब अपने चहेतों को उसमें रख लेते हैं। जो वाकई में हकदार है वह पीछे रह जाता है।

पीएम की एक अच्छी पहल

रियो ओलंपिक के लिए जो टॉस्क फोर्स गठित की है। वह एक अच्छी पहल है।

खेलों के प्रति जागृति आई है। युवा खेल के लिए आगे आ रहे हैं। लेकिन सुविधाओं के अभाव में वह पीछे रह जाते हैं। हमारे यहां टैलेंट की कमी नहीं है। सुविधाएं मिले तो मेडल की झड़ी लग जाएगी।

जबर सिंह सोम कुश्ती कोच

हमारे यहां सुविधाओं की कमी है। मेंटीनेंस के लिए बजट बहुत कम है। जो चीज एक बार खराब हो गई। वह फिर मुश्किल से ही ठीक होती है। बहुत से ऐसे नेशनल खिलाड़ी है जो सुविधाओं के अभाव में आगे नहीं जा पा रहे।

प्रभात कुमार, कोच बैडमिंटन

देश के लिए खेलना हर खिलाड़ी को अच्छा लगता है। खासकर जब ओलंपिक या फिर एशियन गेम्स में अपने के देश के लिए खेलता है। हमें यदि सुविधा मिले तो हम भी देश के लिए मेडल ला सकते हैं।

विवेक, नेशनल खिलाड़ी बैडमिंटन

बॉक्सिंग में पुराने उपकरण है। काफी खराब हो चुके हैं। जिस कारण ठीक से अभ्यास नहीं हो पाता है। सरकार को स्टेडियम पर ध्यान देना चाहिए। खेल के बजट को बढ़ाना चाहिए। जिससे और भी अच्छे खिलाड़ी देश के लिए खेल सकें और मेडल लाएं

विवेक यादव, नेशनल खिलाड़ी बॉक्सिंग

हमारे देश में खिलाडि़यों के लिए रोजगार नहीं है। खिलाडि़यों के लिए अलग से कोटा रखना चाहिए। प्रदेश में खिलाडि़यों के लिए सुविधाओं की कमी है। हॉस्टल बहुत कम है।

सुनील चौहान, नेशनल खिलाड़ी बॉक्सिंग