बिहार विधानसभा के चुनाव का आगाज आज होने जा रहा है। पहले चरण के चुनाव में दस जिले और 49 विधानसभा का भाग्य मतदाता पेटी में बंद हो जाएगा.किसके भाग्य में क्या आने वाला है, इसे जानने के लिए हम मतदान से 16 घंटे पहले पहुंचे मतदाता के पास। सैकड़ों से बातचीत कर यह जानने की कोशिश की गई कि आखिर इस बार वोटर्स किसे वोट देने वाले हैं और क्यों? आपको सुनकर आश्चर्य होगा कि आधे से अधिक मतदाता यह तक नहीं जानते थे कि वे जिस पार्टी को वोट डालने जा रहे हैं उसका कैंडिडेट कौन है? वह क्या करता है और जीतने पर क्या कर देगा? पेश है बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग से 16 घंटे पहले बेगूसराय की तीन विधानसभा से अश्रि्वनी पांडेय की लाइव रिपोर्ट

दिनकर के गांव का हाल

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर का गांव तेघड़ा विधानसभा में है। पहले चरण का चुनाव इस विधानसभा में भी होना है। जब हम टूटी सड़कों से दिनकर के गांव की ओर बढ़े तो गांव के बाहर हमारी मुलाकात पल्टन मोची से हुई। जूते चप्पल की मरम्मत करने में जुटे पल्टन से जब हमने पूछा कि इस बार चुनाव में किसे वोट देने वाले हैं तो उन्होंने जवाब दिया बाबू अभी सोचा नहीं है। देखेंगे कल बूथ पर जाकर। जिसे मन होगा उसे दे देंगे। पिछले साल किसे वोट दिया था? तीर(जदयू) को दिया था। तो क्या इस बार भी जदयू को वोट देंगे। नहीं, ये अभी सोचा नहीं है। कल सुबह 11 बजे तक दुकान चलाऊंगा और उसके बाद घर जाकर नहाने-धोने के बाद बूथ पर जाऊंगा। जिसे मन होगा उसे वोट दे देंगे। आप जिसे वोट देने वाले है उस शख्स का नाम तो जानते होंगे? बाबू, यहां तो चुनाव के समय हर दिन हाथ जोड़ते लोग आते हैं और फिर भूल जाते हैं। हम किस-किस का नाम याद रखें।

हमारा वोट तो फिक्स है

गांव में जब आगे बढ़े तो हमारी मुलाकात एक नौजवान से हुई। बीएचयू से पढ़ाई कर अपने गांव की सेवा में लगे हुए मुचकुंद कुमार ने कहा कि मैं अपना वोट वाम को दूंगा। हर साल मेरा वोट वाम को ही जाता है। मैं जानता हूं कि पिछले कई साल से वामपंथी जीत नहीं पा रहे हैं लेकिन हमारे पूरे परिवार का वोट उन्हीं को जाता है। जो जीतते हैं वे इस गांव के लिए कुछ नहीं करते तो हम अपना वोट बदलकर भी क्या करेंगे। साहित्यकार का गांव आज इतनी बदहाली में है, इसकी किसी को कोई सुध नहीं है।

आप वोट मांगने आए हैं क्या?

जैसे ही हम अगले घर की ओर बढ़े तो दरवाजे पर बैठे लल्लन सिंह ने कहा कि क्या आज भी वोट मांगने हैं क्या? अपना परिचय देने के बाद जब हमने उनसे पूछा कि किसे वोट देने वाले हैं तो उनका जवाब आया कमल? पिछले विधानसभा में भी कमल को वोट दिया था क्या? हम पुराने कांग्रेसी है, लेकिन पिछले दो विधान सभा से कमल को वोट दे रहे हैं। हमारे परिवार में दो सदस्य है दोनों वोट कमल को जाएंगे। वैसे भी महागठबंधन ने राजद का उम्मीदवार उतारा है।

पता नहीं कौन कैंडिडेट है

अगली मुलाकात सुंदर देवी से हुई। आप किसे वोट देगी? इस बार तो बाबू कमल को ही देंगे। पिछली बार किसे दिया था? यह तो याद नहीं है। वोट डालने गए थे, कौन सा बटन दबाया था, पांच साल तो किसे याद रहेगा। हमने अगला सवाल किया कमल से कौन कैंडिडेट है? जवाब मिला, यह तो हमें पता नहीं है।

पार्टी ही नहीं तो बदलना होगा

अब हमारी टीम मटिहानी विधानसभा पहुंची। चौराहे पर कुछ लोग खड़े चुनाव की बातें कर रहे थे। उसी में एक अजीत शर्मा भी है। हमने अजीत से पूछा कि आप इस बार किसे वोट देने वाले हैं। जवाब मिला कि कमल को। क्यों पिछले बार भी कमल को ही वोट दिया था क्या? नहीं, पिछले बार हमने राजद को वोट दिया था। हर साल हमारा वोट राजद को ही जाता है लेकिन इस बार हमारी पार्टी का कैंडिडेट ही मैदान में नहीं है तो पार्टी बदलनी पड़ेगी। इसलिए हमारा वोट भाजपा को जाएगा।

पहले विधायक ही अच्छे है

राजदुलारी किराने की दुकान से सामान खरीदकर अपने घर जा रही थी। जब उनसे पूछा गया कि कल आप किसे वोट करने वाली है। तो उन्होंने तपाक से बोला पिछले विधायक ही अच्छे है। उन्होंने यहां के लिए बहुत कुछ किया है। हमारा वोट तो तीर को ही जाएगा। पिछले बार भी हमने तीर को ही वोट दिया था। हमारे गांव का पूरा वोट जदयू को ही रहता है।

हमारा वोट महागठबंधन को

बेगूसराय के रहने वाले अहमद खान ने कहा कि इस बार तो हमारा वोट कांगे्रस को जाएगा। महागठबंधन ने कांग्रेस को सीट दी है। इसलिए कांग्रेस को ही वोट दिया जाएगा। यदि महागठबंधन ने राजद या जदयू को सीट दी होती तो हम उसे वोट देते।

बाहर के लोग आते तो समीकरण बदल जाते

मटिहानी विधानसभा के रहने वाले और स्थानीय पार्षद राम सागर ने बताया कि यहां के अधिकांश लोग कलकत्ता, दिल्ली और मुंबई में नौकरी करते हैं। अगर ये लोग वोट डालने आते तो समीकरण कुछ और ही होते। मेरे परिचय में हजारों लोग बाहर नौकरी करने वाले हैं लेकिन एक भी व्यक्ति वोट डालने के लिए इस बार अभी तक नहीं आया है।

कोई नहीं जानता नोटा को

हमारे इस लाइव रिपोर्ट में आश्चर्यचकित करने वाली बात यह है कि गांव में 95 प्रतिशत लोग नोटा के बारे में जानते ही नहीं है। मटिहानी विधानसभा के 25 लोग एक ग्रुप में राजनीति की चर्चा कर रहे थे। जब उनसे नोटा के बारे में पूछा तो वे भी इसका जवाब नहीं दे पाए कि नोटा क्या है।